बिलासपुर : कोरोना महामारी के दौरान रेमडेशिविर इंजेक्शन (Remdesivir injection) की जमकर कालाबाजारी हुई थी. मरीज को बचाने के लिए परिजन कई गुना ज्यादा कीमत पर इस इंजेक्शन को खरीद रहे थे. वर्तमान में एक भी पॉजिटिव अस्पताल में भर्ती नहीं है.लिहाजा अब 27 रुपए के 5 सौ इंजेक्शन एक्सपायरी होने की कगार पर हैं. हॉस्पिटल प्रबंधन को अब समझ में नहीं आ रहा कि इन इंजेक्शन का इस्तेमाल कहां किया जाए.
क्यों एक्सपायरी डेट तक पहुंचे इंजेक्शन : जब कोरोना अपने चरम पर था तब रेमडेशिविर इंजेक्शन की डिमांड मार्केट में तेजी से बढ़ी. हर तरफ इस इंजेक्शन के लिए मारामारी थी. इसी समय स्वास्थ्य विभाग ने रेमेडेशिविर इंजेक्शन काफी संख्या में खरीद लिए. लेकिन इसके लिए कोई प्लानिंग नहीं की गई. क्योंकि जिस कंपनी ने इन इंजेक्शन की सप्लाई की थी. उसने साफ शब्दों में कह दिया था कि इन्हें किसी भी शर्त में वापस नहीं लिया (Reduced demand for Remdesivir in Bilaspur) जाएगा.
क्यों किया गया था स्टॉक : कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के बाद ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि एक बार फिर भारत में वायरस पैर पसार सकता है.लिहाजा तीसरी लहर आने से पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने रेमडेशिविर इंजेक्शन स्टॉक कर लिए थे ताकि यदि तीसरी लहर की स्थिति आए भी तो मरीजों को तुरंत इंजेक्शन मुहैया करवाया जा सके. लेकिन तीसरी लहर की आने की आशंका गलत साबित हुई.
कितनी है इंजेक्शन की कीमत : रेमडेशिविर इंजेक्शन की एक शीशी की कीमत 54 सौ रुपए (remdesivir injection price) हैं. ऐसी 5 सौ शीशियां स्वास्थ्य विभाग के पास पड़ी हैं.जिनकी एक्सपायरी डेट अगस्त 2022 है. इन इंजेक्शन की कीमत करीब 27 लाख रुपए है.ऐसे में अस्पताल संचालकों को लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है. दूसरी तरफ किसी को बेवजह इंजेक्शन लगाए भी नहीं जा सकते .
एक माह में कितने केस : यदि कोरोना के केस की बात करें तो पिछले डेढ़ महीने में एक पॉजिटिव केस मिला हैं. इस वजह से जिले में कोरोना वायरस की रफ्तार धीमी है. 22 अप्रैल से 24 मई तक 1 माह के दौरान मात्र एक पॉजिटिव की पहचान की गई है. इसमें से 18 दिन ऐसे थे जब एक भी पॉजिटिव नहीं मिला .वही किसी भी दिन दो से ज्यादा संक्रमित की पहचान नहीं की गई है.
कितने में बिका था एक इंजेक्शन : कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने जिस तरह तांडव मचाया था. उसमें रेमडेशिविर की मांग बढ़ गई थी. 54 सौ रुपए की मिलने वाला इंजेक्शन एक लाख से सवा लाख रुपए तक की कीमत में बिका था. कालाबाजारी करने वालों ने इसे धड़ल्ले से बेचकर अपनी जेबें भरी थीं. लेकिन अब इसी इंजेक्शन की डिमांड ना के बराबर है.