बिलासपुर : बिलासपुर प्रदेश में बारदाने की कमी अब दिखने लगी (Ration reached in plastic sacks in Bilaspur PDS shops) है. पीडीएस के चावल में अब जूट के बारदाने की जगह प्लास्टिक बोरियों का इस्तेमाल हो रहा है. प्लास्टिक बोरियों में चावल में नमी आने से खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. खराब चावल की आपूर्ति से उपभोक्ताओं सहित राशन दुकानों को नुकसान होने की संभावना है. शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आ रहे राशन को प्लास्टिक की बोरियों में भेजा जा रहा है. जिससे जूट के बारदाने की कमी साफ दिखाई दे रही है.
क्यों होगा राशन दुकानदारों को घाटा :धान खरीदी के समय बारदाना आपूर्ति की कमी का असर अब दुकानों में दिखने लगा (Chhattisgarh is facing shortage of gunny bags) है. नागरिक आपूर्ति निगम (Civil Supplies Corporation Chhattisgarh) ने इस महीने उचित मूल्य की दुकानों में जूट के बारदाने की बजाय प्लास्टिक की बोरियों में चावल और शक्कर की आपूर्ति की है. इसके कारण राशन दुकानों को घाटा हो रहा है. जूट के बारदाने को राशन दुकान संचालक बाजार में प्रति बारदाना 18 रुपए में बेच दिया करते थे. इससे छोटे दुकानदारों को हर माह 9-10 हजार रुपए मिल जाते थे. वहीं इससे चावल और शक्कर खराब नहीं होते थे. लेकिन प्लास्टिक बोरियों में इनकी आपूर्ति से इनके खराब होने की संभावना बढ़ गई है. ऐसे में राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि बारदानों की कमी की वजह से पीडीएस के राशन प्लास्टिक बोरा में सप्लाई की जा रही है.
क्या होगी उपभोक्ताओं को दिक्कत : आने वाले समय में राशन दुकानों में उपभोक्ताओं को खराब चावल और भीगे हुए शक्कर की आपूर्ति भी हो सकती है. उपभोगताओं को खराब राशन भी मिल सकती है.शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण के लिए जूट की बनी बोरियों का इस्तेमाल होता था. प्लास्टिक की बोरियों के रखरखाव और इस्तेमाल में बोरियां फट जाती है. राशन जमीन में बिखर जाता है और खराब हो जाता है.
राशन खराब होने का खतरा : आगामी दिनों में बारिश की वजह से प्लास्टिक की बोरी में भरे राशन में नमी आएगी. नमी की वजह से अंदर भरा राशन खराब हो जाएगा. ऐसे में राशन दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना (ration distribution in chhattisgarh) पड़ेगा. नमी की वजह से खराब हुए चावल और शक्कर को लेने के लिए उपभोक्ता राजी नहीं होंगे और उसका पूरा पैसा राशन दुकान संचालकों को अपनी जेब से भरना पड़ेगा. ऐसे में राशन दुकान संचालक ने बताया कि ''जूट की बोरियां ज्यादा सुरक्षित रहती है. क्योंकि जूट की बोरियों में नमी नहीं आती और सुरक्षित रहने की वजह से राशन भी खराब नहीं होता.''
क्यों होता है जूट का इस्तेमाल : जूट की बोरियां राशन के लिए काफी सुरक्षित होती है. जूट की तासीर गर्म होती है और इससे नमी बोरियों के अंदर रखें राशन तक नहीं पहुंच पाती. इसलिए राशन पूरी तरह से सुरक्षित रहता है, लेकिन प्लास्टिक की बोरियां नमी सोख लेती है और अंदर रखा राशन खराब हो जाता है. राशन के खराब होने से उपभोक्ताओं या फिर राशन दुकान संचालक को आर्थिक नुकसान पहुंच सकता है.
नही है बारदाने की कमी : जूट के बारदाने की कमी को लेकर जिला विपणन अधिकारी उपेंद्र खांडे ने इस मामले में कहा कि ''बारदाने की कोई कमी नहीं है, यदि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के राशन दुकानों में प्लास्टिक की बोरियों में भर कर राशन आ रहे हैं. इस बात की जानकारी शासन स्तर से लिया जाएगा कि आखिर जूट की बोरियों की जगह प्लास्टिक की बोरियों में राशन क्यों भेजा जा रहा है.''