गौरेला पेंड्रा मरवाही: जल संसाधन विभाग द्वारा सोनभद्र नदी पर बनाए गए घाघरा जलाशय एवं नहर निर्माण के 18 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन सालों बाद भी आज तक आधा दर्जन से अधिक गांवों में नहरों में बांध का पानी नहीं पहुंच सका है. नहर एवं सिंचाई की यह पूरी योजना ग्रामीणों के लिए फायदेमंद (Farmers are upset due to non availability of water) साबित नहीं हो रही है. वहीं जल संसाधन विभाग के जवाबदार लोग शीघ्र ही सभी संबंधित गांवों में पानी पहुंचा देने का दावा कर रहे हैं.
मरम्मत के नाम पर काफी पैसा खर्च: पेंड्रा विकासखंड के पढ़वनिया, कंचनडीह, सकोला, कोटलीखुर्द, अमारू जैसे लगभग आधा दर्जन से अधिक गांवों में बांध का पानी नहीं पहुंच सका है. हालांकि बांध बनने के बाद विभाग कई बार नहरों की मरम्मत के नाम पर काफी पैसा खर्च कर चुका है. लेकिन किसानों को पानी अब तक नहीं मिली है. किसानों का कहना है कि "गर्मी के वक्त जब नहरों की मरम्मत हो रही थी. तब कंक्रीट में पानी तराई के लिए बांध से पानी छोड़ा गया. तब नहरों में पानी छोड़ा गया था. उसके बाद कभी भी पानी नहीं दिया गया .
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गैप फिलिंग कर रही सरकार: इस जलाशय से काफी बड़े इलाके में सिंचाई सुविधा का विस्तार भी हुआ. विभाग की लापरवाही की वजह से पेंड्रा विकासखंड के कई प्रमुख गांवों में नहरें बनने के बावजूद पानी नहीं दिया जा रहा. जल संसाधन विभाग इसे तकनीकी चूक या विभागीय लापरवाही तो नहीं मान रहा. इसके लिए बांध निर्माण के समय बनी कच्ची नहरों की वजह से पानी न पहुंचने की बात कहता है. हालांकि सरकार द्वारा चलाई जा रही वर्तमान योजना के तहत उन गांवों में पक्की नहरें बनाकर पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसमें टूटी हुई नहरों की मरम्मत भी शामिल है. विभाग का दावा है कि जो काम 18 वर्षों में नहीं हुआ वह बहुत जल्दी पूरा हो जाएगा. हांलाकि सरकार की वर्तमान योजना को गैप फिलिंग का नाम दिया जा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने शुरू की थी योजना: छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद राष्ट्रीय सिंचाई औसत से आधे से भी कम सिंचित इलाको में पेन्ड्रा मरवाही का भी नाम शामिल था. पेन्ड्रा मरवाही इलाके में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और जल आपूर्ति बनाए रखने के लिए घाघरा सहित कई सिंचाई परियोजना की शुरूआत की गई. छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने इसकी शुरूआत की. विभाग की बड़ी लापरवाही की बजह से ही इतने वर्षों बाद भी कई ग्रामीण इलाकों तक पानी नहीं पहुंचा है.