बिलासपुर: लखीराम ऑडिटोरियम में शनिवार को मुस्लिम समाज के 15 जोड़ों का सामूहिक निकाह हुआ. इनमें से अधिकांश बच्चियों के सिर से माता-पिता का साया छूट गया है. इन जोड़ों को नए जीवन में प्रवेश करने पर महापौर रामशरण यादव ने नकद राशि और उपहार देकर शुभकामनाएं दी.
बिलासपुर लखीराम ऑडिटोरियम में मुस्लिम विवाह: इमाम अल मेहंदी ट्रस्ट कोलकाता के सहयोग से मोमीनीन ऑफ बिलासपुर ने सामूहिक निकाह का आयोजन किया था. 15 जोड़ों, रिश्तेदारों और मेहमानों के रहने और भोजन की व्यवस्था संस्था द्बारा की गई थी. शनिवार सुबह से इन जोड़ों के सामूहिक निकाह की रस्म अदायगी शुरू हुई और दोपहर बाद निकाह संपन्न हुआ. मोमीनीन ऑफ बिलासपुर के प्रेसीडेंट जाकिर अली ने बताया कि जिन बच्चियों का निकाह कराया गया, वे सभी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इन जोड़ों का रिश्ता चार-पांच साल पहले तय हुआ था. इनकी सगाई भी हो गई थी, लेकिन आर्थिक समस्या के कारण इनका निकाह नहीं हो पाया था.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव सरताज अली ने बताया कि अधिकांश बच्चियों के माता-पिता का निधन हो चुका है. उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे निकाह का खर्च वहन कर सके. हमने सामाजिक बंधुओं से मिलकर निर्णय लिया कि एक ऐसी संस्था बनाई जाए, जिसके जरिए गरीब बच्चियों का घर बसाया जा सके. संस्था गठित करने के बाद मुस्लिम समाज की ऐसी बच्चियों की तलाश की गई, जिनकी सगाई हो चुकी है, लेकिन आर्थिक परिस्थिति के कारण उनका निकाह नहीं हो पा रहा है. अलग-अलग राज्यों से 15 जोड़े सामूहिक निकाह के लिए तैयार हुए, जिनका पंजीयन कराने के बाद बिलासपुर के लखीराम ऑटोरियम में निकाह कराया गया. अब यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महापौर यादव व समाजसेवी जयपाल मुदलियार का बड़ा सहयोग रहा. इन्होंने सामूहिक निकाह के लिए अपनी ओर से स्थान के साथ ही डेकोरेशन की व्यवस्था की.
दूसरे समाज भी लें प्रेरणा: महापौर यादव ने कहा कि किसी गरीब परिवार की बेटी का घर बसाने से बड़ा पुण्य और कुछ नहीं है. मुस्लिम समाज ने यह सामूहिक निकाह आयोजित कर एक मिसाल कायम की है. इससे अन्य समाज को भी प्रेरणा लेते हुए ऐसे आयोजन करना चाहिए, ताकि किसी भी गरीब परिवार को अपनी बेटी की शादी करने के लिए आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े.
उपहार और कैश भी : सामूहिक विवाह में नव दंपत्ति को उपहार में एक लाख रुपए का सामान संस्था की ओर से न सिर्फ गरीब बेटियों का निकाह नहीं कराया गया, बल्कि नवजीवन में प्रवेश करने पर उन्हें उपहार के रूप में आलमारी, कूलर, सोफा सेट, बर्तन, कपड़े, पलंग आदि मिलाकर करीब 1 लाख रुपए का सामान दिया गया, ताकि उन्हें घरेलू सामान के लिए जूझना न पड़े.