बिलासपुर : बाजार में बिकने वाली हल्दी काफी छोटे और अंगूठे या बीच की उंगली के साइज के होती हैं, लेकिन इस समय कृषि मेले (Bilaspur Agricultural Exhibition Fair )में प्रदर्शित एक हल्दी की साइज देखकर हर कोई हैरान है. हल्दी की खेती करने वाले किसान ने अब तक 20 किस्म की हल्दी पैदा की है. लेकिन मुख्य तौर पर वो अभी हल्दी के चार किस्में ही उगा रहे हैं. जिसमें से एक ये बड़ी साइज वाली हल्दी है.
किसान की हल्दी ने ध्यान खींचा : बिलासपुर साइंस कॉलेज मैदान में शुरू हुए तीन दिवसीय कृषि समृद्धि मेले में (Krishi Samridhi Mela in Bilaspur) प्रदेश भर के उन्नतशील किसान पहुंचे. उन्होंने अपनी उन्नत जैविक खेती से तैयार फल-सब्जी के साथ ही अलग-अलग किस्म के धान और फसलों की प्रदर्शनी लगाई . ऐसे ही जैविक खेती करने वाले रायपुर मोवा निवासी चमार सिंह पटेल भी हैं. जिन्होंने हल्दी की 20 किस्मों की पैदावार करके सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है.
एनडीएच 98 हल्दी की धूम : किसान ने उन्नत तकनीक से इंडीएच 98 हल्दी तैयार की है. किसान ने बताया कि वे अपने बेटे बसंत पटेल के साथ मिलकर पिछले 10 साल से हल्दी की अलग-अलग वैरायटी उगा रहे हैं. जिसमें एनडीएच 98 हल्दी की खेती पिछले दो साल से कर रहे हैं. इस हल्दी की खासियत यह है कि यह दूसरे किस्म की हल्दी से ज्यादा बड़ी है. साथ ही इसका उत्पादन एक एकड़ में करने से 120 क्विंटल फसल तैयार होती है.
5 एकड़ में अलग-अलग किस्म की खेती : किसान चमार सिंह 5 एकड़ के खेत में हल्दी की 20 वैरायटी (Twenty Variety of Turmeric in Bilaspur) पैदा कर रहे हैं. हल्दी की पैदावार के लिए किसान चमार सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों की मदद भी ली है.
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हल्दी की खेती करना है शौक : किसान चमार सिंह कहते हैं कि उन्होंने धान की खेती को छोड़कर हल्दी की खेती करना शुरू किया है. पिछले दस साल से वे हल्दी की फसल लगा रहे है. अब वे पैसे कमाने के लिए नहीं बल्कि अलग-अलग तरह के हल्दी की खेती कर किसानों को उन्नत करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ में हल्दी की खेती शुरू की. इसमें फायदा होने के बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न हल्दी की वेरायटी तैयार की जाए. इसलिए उन्होंने हल्दी की अलग-अलग वैरायटी की पैदावार शुरू की. अब वो अपनी फसल से लाखों कमा रहे हैं.