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Designer Khadi trend in Bilaspur: सादे खादी की जगह डिजायनर खादी की बढ़ी पूछपरख

Designer Khadi trend in Bilaspur: खादी ग्रामोद्योग भंडार के कपड़ों की डिमांड धीरे धीरे कम होते जा रही है. हालत ये है महीनेभर में 2 से 4 कपड़े ही निकल रहे हैं.

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Published : Mar 1, 2022, 1:57 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 11:16 AM IST

Designer Khadi trend in Bilaspur
बिलासपुर में डिजायनर खादी का ज्यादा चलन

बिलासपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंद के खादी की डिमांड अब कम होने लगी है. इसकी जगह नए जमाने के फैशनेबल कपड़ों ने ले ली है. राजनेताओं का ब्रांड कहलाने वाले खादी को साइडकर नेता भी अब दूसरे डिजाइनर कपड़े पहनने लगे हैं. हालांकि हमेशा खादी पहनने वालों का कहना है कि खादी का अपना स्टाइल है इसकी जगह कोई और नहीं ले सकता.

आजादी के पहले खादी के कपड़ों को जनता अपनाएं इसके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा चलाया था और संदेश दिया था कि स्वदेशी कपड़े पहने और खादी का उपयोग ज्यादा करें. गांधी जी के आह्वान पर लोगों ने विदेशी कपड़ो की होली जलाई थी. लोगों ने पूरी तरह खादी को ही अपनाया था. लेकिन समय गुजरा और धीरे-धीरे खादी की मांग कम होने लगी. खादी को प्रमोट करने की मंशा से केंद्र सरकार ने खादी ग्रामोद्योग आयोग का गठन किया. ताकि खादी की मांग बने रहने के साथ ही इससे जुड़े लोगों को रोजगार भी मिले.

बिलासपुर में डिजायनर खादी का ज्यादा चलन

ग्रामोद्योग भंडार के कपड़ों की डिमांड कम

खादी ग्रामोद्योग भंडार के कपड़ों की डिमांड धीरे धीरे कम होते जा रही है. आज स्थिति ये है कि बमुश्किल महीने में 2-4 खादी के कपड़े ही बिकते है. खादी ग्रामोधोग भंडार की दुकानों में खादी के कपड़ों पर धूल जमने लगती है जबकि निजी कंपनियों के बनाए खादी के कपड़ों की मांग बाजार में बनी हुई है. इस मामले में खादी ग्रामोधोग भंडार के प्रबंधक धनंजय शर्मा ने बताया कि 'बाजार में डिजाइनर कपड़ों की मांग है. ग्रामोधोग भंडार में डिजाइनर कपड़े नहीं बनते. शायद यही कारण है कि ग्रामोद्योग के खादी के कपड़ों की डिमांड कम है. लेकिन यदि डिजाइनर कपड़ों की मांग आती है तो हम डिजाइनर कपड़े भी बनवाएंगे'. (Designer Khadi trend in Bilaspur)

'छत्तीसगढ़ की भूमि, किसानों, विद्यार्थियों की समस्या का आभास है, उसे समझते हुए बहुत अच्छा सौल्यूशन देने का प्रयास करुंगा'

खादी के डिजायनर कपड़ों की मार्केट में डिमांड

आजकल कई निजी कंपनियां खादी ग्रामोद्योग के कपड़ों को ब्रांडनेम देकर मार्केट डिमांड के अनुसार खादी के फैशनेबल कपड़े बना रही है. यही वजह है कि निजी कंपनियों के बनाए खादी के कपड़ों की मांग दुकानों में ज्यादा है. दुकानों के साथ ही खादी के कपड़ों की प्रदर्शनी में भी बिक्री की जा रही है. प्रदर्शनी के प्रबंधक एमएल शर्मा ने बताया कि ' डिमांड के अनुसार खादी के अब डिजाइनर कपड़े तैयार हो रहे हैं. युवा पीढ़ी खादी में कलरफुल और नए फैशन के अनुसार पसंद कर रही है. लड़कियों के लिए खादी के कपड़े में वर्ली प्रिंटिंग, स्टैंड कॉलर और नैचुरल कलर के साथ कुर्ते बनाए गए हैं. निंजी कंपनियां मार्केट को देखते हुए खादी के बने रेडिमेड कपड़ों को मार्केट में ला रही है. जो अच्छी तरह बिक भी रही है'.

शरीर के लिए अनुकूल सादा खादी

खादी को लेकर युवा और बुजुर्गों को मानना है कि डिजायनर खादी की जगह सादा खादी ही शरीर के लिए ज्यादा अनुकूल है. लेकिन मार्केट में इस समय डिजायनर खादी का चलन है. जिससे लोग उसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

खादी के है कई फायदे

खादी के कपड़ों में कई खासियत होती है. खादी का धागा रुई से बनता है. रुई की प्राकृतिक ताशीर है कि वह पानी हो या पसीना सोखता है. खादी के कपड़ों को गर्मी में पहनने से शरीर को ठंडक मिलती है. गर्मी का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता. इसके साथ ही खादी के कपड़े पहनने से खुजली और गर्मी के प्रभाव से होने वाली स्किन की बीमारी भी नहीं होती.

बिलासपुर: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंद के खादी की डिमांड अब कम होने लगी है. इसकी जगह नए जमाने के फैशनेबल कपड़ों ने ले ली है. राजनेताओं का ब्रांड कहलाने वाले खादी को साइडकर नेता भी अब दूसरे डिजाइनर कपड़े पहनने लगे हैं. हालांकि हमेशा खादी पहनने वालों का कहना है कि खादी का अपना स्टाइल है इसकी जगह कोई और नहीं ले सकता.

आजादी के पहले खादी के कपड़ों को जनता अपनाएं इसके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखा चलाया था और संदेश दिया था कि स्वदेशी कपड़े पहने और खादी का उपयोग ज्यादा करें. गांधी जी के आह्वान पर लोगों ने विदेशी कपड़ो की होली जलाई थी. लोगों ने पूरी तरह खादी को ही अपनाया था. लेकिन समय गुजरा और धीरे-धीरे खादी की मांग कम होने लगी. खादी को प्रमोट करने की मंशा से केंद्र सरकार ने खादी ग्रामोद्योग आयोग का गठन किया. ताकि खादी की मांग बने रहने के साथ ही इससे जुड़े लोगों को रोजगार भी मिले.

बिलासपुर में डिजायनर खादी का ज्यादा चलन

ग्रामोद्योग भंडार के कपड़ों की डिमांड कम

खादी ग्रामोद्योग भंडार के कपड़ों की डिमांड धीरे धीरे कम होते जा रही है. आज स्थिति ये है कि बमुश्किल महीने में 2-4 खादी के कपड़े ही बिकते है. खादी ग्रामोधोग भंडार की दुकानों में खादी के कपड़ों पर धूल जमने लगती है जबकि निजी कंपनियों के बनाए खादी के कपड़ों की मांग बाजार में बनी हुई है. इस मामले में खादी ग्रामोधोग भंडार के प्रबंधक धनंजय शर्मा ने बताया कि 'बाजार में डिजाइनर कपड़ों की मांग है. ग्रामोधोग भंडार में डिजाइनर कपड़े नहीं बनते. शायद यही कारण है कि ग्रामोद्योग के खादी के कपड़ों की डिमांड कम है. लेकिन यदि डिजाइनर कपड़ों की मांग आती है तो हम डिजाइनर कपड़े भी बनवाएंगे'. (Designer Khadi trend in Bilaspur)

'छत्तीसगढ़ की भूमि, किसानों, विद्यार्थियों की समस्या का आभास है, उसे समझते हुए बहुत अच्छा सौल्यूशन देने का प्रयास करुंगा'

खादी के डिजायनर कपड़ों की मार्केट में डिमांड

आजकल कई निजी कंपनियां खादी ग्रामोद्योग के कपड़ों को ब्रांडनेम देकर मार्केट डिमांड के अनुसार खादी के फैशनेबल कपड़े बना रही है. यही वजह है कि निजी कंपनियों के बनाए खादी के कपड़ों की मांग दुकानों में ज्यादा है. दुकानों के साथ ही खादी के कपड़ों की प्रदर्शनी में भी बिक्री की जा रही है. प्रदर्शनी के प्रबंधक एमएल शर्मा ने बताया कि ' डिमांड के अनुसार खादी के अब डिजाइनर कपड़े तैयार हो रहे हैं. युवा पीढ़ी खादी में कलरफुल और नए फैशन के अनुसार पसंद कर रही है. लड़कियों के लिए खादी के कपड़े में वर्ली प्रिंटिंग, स्टैंड कॉलर और नैचुरल कलर के साथ कुर्ते बनाए गए हैं. निंजी कंपनियां मार्केट को देखते हुए खादी के बने रेडिमेड कपड़ों को मार्केट में ला रही है. जो अच्छी तरह बिक भी रही है'.

शरीर के लिए अनुकूल सादा खादी

खादी को लेकर युवा और बुजुर्गों को मानना है कि डिजायनर खादी की जगह सादा खादी ही शरीर के लिए ज्यादा अनुकूल है. लेकिन मार्केट में इस समय डिजायनर खादी का चलन है. जिससे लोग उसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

खादी के है कई फायदे

खादी के कपड़ों में कई खासियत होती है. खादी का धागा रुई से बनता है. रुई की प्राकृतिक ताशीर है कि वह पानी हो या पसीना सोखता है. खादी के कपड़ों को गर्मी में पहनने से शरीर को ठंडक मिलती है. गर्मी का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता. इसके साथ ही खादी के कपड़े पहनने से खुजली और गर्मी के प्रभाव से होने वाली स्किन की बीमारी भी नहीं होती.

Last Updated : Mar 2, 2022, 11:16 AM IST
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