गौरेला पेंड्रा मरवाही : 2 साल पहले कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य होने के बाद भी बिलासपुर पेंड्रा कटनी रेलखंड में यातायात सामान्य नहीं हुआ है. बिलासपुर से पेंड्रा के बीच पड़ने वाले लगभग 10 रेलवे स्टेशनों में रुकने वाली पैसेंजर और लोकल ट्रेनों का परिचालन अब तक शुरू नही हो सका है, जिससे ना सिर्फ इन स्टेशनों से आने जाने वाले यात्री परेशान हो रहे हैं. बल्कि रेलवे के इन स्टेशनों से होने वाले स्थानीय व्यापार पूरी तरह ठप हो गए हैं. लोगों की रेलवे प्रशासन और सरकार से मांग है कि इस रूट पर यात्री ट्रेनों का परिचालन जल्द से जल्द शुरु करें.
क्यों बंद हैं रूट पर ट्रेनें : देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों के बाद केंद्र सरकार ने जब पूरे देश में लॉक डाउन लगाया था. तब देश की सभी यात्री ट्रेनों को बंद कर दिया गया था. बाद में स्थिति सामान्य होने के बाद ट्रेनें चलाई गई. अब जबकि 75 परसेंट से ज्यादा आबादी को टीका लग चुका है. बावजूद रेलवे प्रशासन ने बिलासपुर कटनी रेल खंड पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरु नहीं किया है.वहीं जो ट्रेनें शुरु की गईं हैं.वो केवल बड़े स्टेशनों पर रुकती हैं. बिलासपुर और पेंड्रा के बीच 10 स्टेशन आते हैं जिसमें ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं (Passenger trains are closed since Corona period ) है.
कितनी ट्रेनें चल रहीं रूट पर : अभी सिर्फ एक ट्रेन बिलासपुर-कटनी मेमू ही इन स्टेशनों पर रूकती है. जो दिन में सिर्फ एक फेरा ही लगाती है. जबकि पहले इन स्टेशनों पर रुकने वाली लगभग चार से पांच ट्रेनें थी. जिससे इन स्टेशनों से चलने वाले यात्रियों को सुविधा मिल रही थी. बल्कि इन स्टेशनों से होने वाला छोटा व्यापार जिसमें सब्जी और दूध का व्यापार शामिल है बड़े आसानी से हो रहा (Trains do not stop at small stations) था.
2 साल में स्टॉल कर्मचारी बेहाल : 2 वर्ष से न सिर्फ यात्री परेशान हैं बल्कि व्यापार भी प्रभावित हुआ है. रेलवे स्टेशन पर स्टाल लगाकर समोसा चाय पानी बेचने वाले रेलवे के ठेकेदारों की हालत खराब है. उनकी माने तो जहां सामान्य दिनों में प्रतिदिन 1 स्टॉल से 4 से 5 हजार का व्यापार बड़े आसानी होता था. अब मुश्किल से हजार बारह सौ की ही बिक्री हो पाती है.जिससे स्टॉल कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं निकल पा रही.
किराया दोगुना और परेशानी भी डबल : वही यात्रियों की बात करें तो बिलासपुर के बीच में पड़ने वाले स्टेशनों में रुकने वाली ट्रेनों का स्टॉपेज बंद होने से यात्री खासे परेशान हैं. उन्हें पांच 5 घंटे ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है. जबकि पहले आसानी से ट्रेन मिल जाया करती थी. वहीं ट्रेनें बंद होने से ग्रामीणों को मजबूरन सड़क मार्ग से सफर करना पड़ रहा है. जिसमें रेलवे के मुकाबले दोगुना किराया लगता है.
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ऑटो चालकों की मुश्किलें बढ़ीं : वही रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों पर आश्रित ऑटो चालक बुरी स्थिति में हैं. पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन में लगभग 150 छोटी ऑटो संचालित है. जिसमें पहले प्रतिदिन हर ऑटो वाले को कम से कम 2 से 3 फेरा आसानी से मिल जाया करता था. तो अब स्थिति यह है कि किसी किसी दिन ऑटो वालों की कमाई नहीं होती.