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छत्तीसगढ़ में छाए चंदिया के घड़े, कम कीमत और खूबियों से हैं भरपूर - Sale of Chandiya pots in summer

छत्तीसगढ़ में गर्मी आते ही घड़ों की मांग बढ़ जाती (Chandia pots dominated Chhattisgarh) है. प्रदेश में लोकल घड़ों के अलावा मध्यप्रदेश के चंदिया के घड़े काफी लोकप्रिय हैं.

Chandia pots dominated Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में छाए चंदिया के घड़े
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Published : Apr 6, 2022, 9:20 PM IST

बिलासपुर : गर्मी आते ही सबसे ज्यादा डिमांड यदि किसी चीज की होती है तो वो है पानी. हमारे शरीर का ज्यादातर पानी पसीने के रूप में निकल जाता है. ऐसे में हमें पानी पीने की जरुरत होती है. और यदि हमारा गला शीतल जल से तर हो जाए तो फिर बात क्या. ठंडे पानी के लिए मध्यमवर्गीय और निम्नवर्ग के परिवारों में घड़ों का चलन है. घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम भी माना गया है.वहीं कम पैसे में आसानी से ठंडा पानी भी उपलब्ध हो जाता है. बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो लगभग हर जिले में गर्मी की शुरुआत में मिट्टी के घड़ों और सुराही की दुकानें सज (Chandia pots in Bilaspur) जाती हैं.

चंदिया के घड़े का बिजनेस

चंदिया के घड़े पहली पसंद :छत्तीसगढ़ में यूं तो लोकल स्तर पर कुम्हार घड़े बनाते हैं. लेकिन इन घड़ों की चिकनाई कम होती है. लिहाजा ज्यादातर बाजारों में मध्यप्रदेश के चंदिया घड़ों की डिमांड (demand for chandia pots in cg) ज्यादा है. चंदिया के घड़ों में चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल होता है. जिसके कारण इसका पानी ठंडा और मीठा लगता है. आज भी बाजारों में ग्राहक सबसे पहले चंदिया के घड़ों को ही तलाशता है. इसके बाद ही कोई दूसरा ऑप्शन देखता है.

क्यों बिकते हैं ज्यादा : चंदिया के घड़े कई सालों से छत्तीसगढ़ के बाजारों में बिक रहे हैं. ऐसे में बदलते वक्त के साथ इनके रंग और रूप में भी बदलाव हुआ है.इन दिनों टोटी लगे घड़े बाजार में आ रहे हैं.वहीं चंदिया के घड़ों की कीमत छत्तीसगढ़ में बनने वाले घड़ों से कम होती है. व्यापारियों की माने तो चंदिया के घड़े कम कीमत और किफायती (Chandiya pots cost less)होने के कारण ज्यादा चलन में हैं. जो भी इन घड़ों को एक बार ले गया वो इसके सिवा किसी दूसरे घड़े का पानी नहीं पीता.

लोकल कुम्हार की अपनी राय : चंदिया के घड़ों की तुलना में छत्तीसगढ़ में तैयार होने वाले घड़े कम बिकते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने इसकी वजह जानने की कोशिश की. जब हमारी टीम कुम्हार के पास पहुंची तो उसने बताया कि क्यों चंदिया के घड़े बाजार की पहली पसंद हैं.कुम्हार की माने तो छत्तीसगढ़ में मिट्टी महंगी है.वहीं यहां की मिट्टी चिकनी भी नहीं है. घड़ों में रेत का अंश होता है. बावजूद इसके चंदिया के मुकाबले लोकल घड़ों का पानी ज्यादा ठंडा होता है.फिर भी लोग बाहरी चीजों को पसंद करते हैं.

चंदिया की मिट्टी रेत रहित : चंदिया की मिट्टी में रेत नहीं होती इस वजह से एक ट्राली में पूरी मिट्टी मिलती है. लेकिन छत्तीसगढ़ की मिट्टी में रेत मिक्स होती है. इस वजह से एक ट्राली मिट्टी में आधा ट्राली रेत निकलती है. जिसके कारण घड़ों का रेट बढ़ (Chandiya pots cost less) जाता है. वहीं चंदिया की मिट्टी से घड़े ज्यादा बनते हैं. लिहाजा वो मार्केट में सस्ते दामों में बिकते हैंमिट्टी से बने घड़े के पानी पीने से सर्दी नहीं होती. इसके अलावा इस पानी में पर्याप्त मिनरल होता है. जो शरीर के लिए लाभदायक है.वहीं जिस जगह के पानी में मिनरल नहीं होते यदि वहां के पानी को मिट्टी के घड़ों में रखा जाए तो वो पीने लायक बन जाता है.

बिलासपुर : गर्मी आते ही सबसे ज्यादा डिमांड यदि किसी चीज की होती है तो वो है पानी. हमारे शरीर का ज्यादातर पानी पसीने के रूप में निकल जाता है. ऐसे में हमें पानी पीने की जरुरत होती है. और यदि हमारा गला शीतल जल से तर हो जाए तो फिर बात क्या. ठंडे पानी के लिए मध्यमवर्गीय और निम्नवर्ग के परिवारों में घड़ों का चलन है. घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम भी माना गया है.वहीं कम पैसे में आसानी से ठंडा पानी भी उपलब्ध हो जाता है. बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो लगभग हर जिले में गर्मी की शुरुआत में मिट्टी के घड़ों और सुराही की दुकानें सज (Chandia pots in Bilaspur) जाती हैं.

चंदिया के घड़े का बिजनेस

चंदिया के घड़े पहली पसंद :छत्तीसगढ़ में यूं तो लोकल स्तर पर कुम्हार घड़े बनाते हैं. लेकिन इन घड़ों की चिकनाई कम होती है. लिहाजा ज्यादातर बाजारों में मध्यप्रदेश के चंदिया घड़ों की डिमांड (demand for chandia pots in cg) ज्यादा है. चंदिया के घड़ों में चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल होता है. जिसके कारण इसका पानी ठंडा और मीठा लगता है. आज भी बाजारों में ग्राहक सबसे पहले चंदिया के घड़ों को ही तलाशता है. इसके बाद ही कोई दूसरा ऑप्शन देखता है.

क्यों बिकते हैं ज्यादा : चंदिया के घड़े कई सालों से छत्तीसगढ़ के बाजारों में बिक रहे हैं. ऐसे में बदलते वक्त के साथ इनके रंग और रूप में भी बदलाव हुआ है.इन दिनों टोटी लगे घड़े बाजार में आ रहे हैं.वहीं चंदिया के घड़ों की कीमत छत्तीसगढ़ में बनने वाले घड़ों से कम होती है. व्यापारियों की माने तो चंदिया के घड़े कम कीमत और किफायती (Chandiya pots cost less)होने के कारण ज्यादा चलन में हैं. जो भी इन घड़ों को एक बार ले गया वो इसके सिवा किसी दूसरे घड़े का पानी नहीं पीता.

लोकल कुम्हार की अपनी राय : चंदिया के घड़ों की तुलना में छत्तीसगढ़ में तैयार होने वाले घड़े कम बिकते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने इसकी वजह जानने की कोशिश की. जब हमारी टीम कुम्हार के पास पहुंची तो उसने बताया कि क्यों चंदिया के घड़े बाजार की पहली पसंद हैं.कुम्हार की माने तो छत्तीसगढ़ में मिट्टी महंगी है.वहीं यहां की मिट्टी चिकनी भी नहीं है. घड़ों में रेत का अंश होता है. बावजूद इसके चंदिया के मुकाबले लोकल घड़ों का पानी ज्यादा ठंडा होता है.फिर भी लोग बाहरी चीजों को पसंद करते हैं.

चंदिया की मिट्टी रेत रहित : चंदिया की मिट्टी में रेत नहीं होती इस वजह से एक ट्राली में पूरी मिट्टी मिलती है. लेकिन छत्तीसगढ़ की मिट्टी में रेत मिक्स होती है. इस वजह से एक ट्राली मिट्टी में आधा ट्राली रेत निकलती है. जिसके कारण घड़ों का रेट बढ़ (Chandiya pots cost less) जाता है. वहीं चंदिया की मिट्टी से घड़े ज्यादा बनते हैं. लिहाजा वो मार्केट में सस्ते दामों में बिकते हैंमिट्टी से बने घड़े के पानी पीने से सर्दी नहीं होती. इसके अलावा इस पानी में पर्याप्त मिनरल होता है. जो शरीर के लिए लाभदायक है.वहीं जिस जगह के पानी में मिनरल नहीं होते यदि वहां के पानी को मिट्टी के घड़ों में रखा जाए तो वो पीने लायक बन जाता है.

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