बिलासपुर: भारतीय रेलवे का मुख्य उद्देश्य यात्रियों के लिए आवागमन का सस्ता और सुलभ व्यवस्था करना है. कम खर्च में देश की जनता एक जगह से दूसरी जगह जा सके. इसी उद्देश्य से रेलवे का विस्तार किया गया था. लेकिन वक्त के साथ रेलवे का उद्देश्य बदल गया है. अब रेलवे यात्रियों की सुविधा का जरिया नहीं, बल्कि कमाई का जरिया बनता जा रहा है. भारतीय रेलवे लगातार ट्रेनों को रद्द कर माल गाड़ियों के परिचालन (giving priority to goods train to increase income) को तरजीह दे रही है. पिछले कुछ महीनों में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन लगातार यात्री ट्रेनों को कैंसिल कर रहा है. यात्री ट्रेनों के बजाय बिलासपुर जोन कोयला परिवहन को प्राथमिकता दे रही है.
नागरिकों को नुकसान, रेलवे को फायदा: ट्रेनों को रद्द करने से यात्रियों को नुकसान हुआ है लेकिन रेलवे को फायदा मिला है. यात्री ट्रेन चलाने में जितना खर्च आता है, टिकट बेच कर उससे रेलवे को मात्र 35% मिलता है. यानी सौ रुपए खर्च और 35 रुपए वापस होता है. जिससे भारतीय रेलवे लगातार घाटे में चल रही है. लेकिन यात्री ट्रेनों का परिचालन रद्द (trains cancelled by bilaspur zone) कर मालगाड़ी दौड़ाने से रेलवे को अब तक 250 करोड़ रुपए का लाभ हो रहा है. कोयला गाड़ियों के लिए रेलवे लाइन खाली करने लगातार यात्री ट्रेनों का परिचालन रद्द किया जा रहा है.
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एसईसीआर लगातार कर रहा ट्रेनों को रद्द: एसईसीआर (SECR) ने हाल ही में 29 अगस्त को 58 यात्री ट्रेन रद्द किए. 6 अगस्त को भी 68 ट्रेनों को रद्द किया गया था. ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला करीब 4 माह से चल रहा है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी मंडलों से सफर करने वाले लगभग 4 लाख 23 हजार यात्रियों की टिकट कैंसिल हो चुकी है. रेलवे को करीब 107 करोड़ रुपए रिफंड करना पड़ा. ट्रेन रद्द होने से लोगों के कारोबारी कामकाज, तीर्थ यात्रा, परीक्षा और इलाज जैसे जरूरी काम प्रभावित हुए हैं. ट्रेन रद्द होने के पीछे एसईसीआर ने पहले अधोसंरचना, लाइन कनेक्टिविटी, कोयला परिवहन का तर्क दिया. अब इंटरलॉकिंग की दलील दी जा रही है.