बिलासपुर: न्यायधानी में बढ़ते जमीन फर्जीवाड़े और अवैध खरीद बिक्री के मामलों को लेकर जिला प्रशासन एक्शन मोड में है. जिला प्रशासन ने बड़ा एक्शन लेते हुए ऐसे करीब 100 एकड़ जमीनों के खरीद बिक्री पर रोक (Ban on sale of disputed land in Bilaspur) लगा दिया है. इन जमीनों के खरीद बिक्री के साथ किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकेगा. मामले में पंजीयन विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम को भी इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है. Bilaspur news
क्या है पूरा मामला: बिलासपुर नगर निगम में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों की बेशकीमती जमीन भू माफियाओं के निशाने पर है. यहां से एक के बाद एक जमीनों के फर्जीवाड़े, अवैध कब्जा और खरीद बिक्री की शिकायतें सामने आ रही हैं. छोटे बड़े झाड़ के जंगल वाली जमीनों तक को जमीन माफिया हड़प रहे हैं और कूटरचना कर जमीनों की खरीद बिक्री कर रहे हैं. मोपका, चिल्हाटी क्षेत्र में सबसे ज्यादा जमीन फर्जीवाड़े और गड़बड़ियों की शिकायत हं. कई मामलों में फर्जीवाड़े के शिकार लोगों ने इसकी शिकायत भी दर्ज कराई है. कुछ मामले खुद राजस्व विभाग ने पकड़े हैं. ऐसे में लगातार सामने आ रही शिकायतों और लोगों को इस फर्जीवाड़े से बचाने जिला प्रशासन ने मोपका, चिल्हाटी क्षेत्र के करीब 100 एकड़ जमीन के खरीद बिक्री पर रोक लगा दिया है. इन जमीनों पर खरीद बिक्री के साथ किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित रहेगा.
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भोंडूदास जमीन घोटाला से लिया सबक: पिछले दिनों जिन खसरा नंबरों पर रोक लगी है, उनमें 845/1न और 845/1झ, 1859/1 और चर्चित भोंदूदास प्रकरण वाली जमीन 224/380 पर पूरी तरह बटांकन और खरीद बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई गई है. मामले में पंजीयन विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम को भी इस संबंध में जानकारी भेजी गई है. एसडीएम ने बताया कि "क्षेत्र से लगातार जमीनों के फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आ रही हैं. जिसे देखते हुए विवादित खसरा नंबरों की जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगाई गई है. इसमें कई जमीनों की जांच भी की जा रही है, जिसके बाद रजिस्ट्री शून्य करने की भी कार्रवाई होगी. साल भर में जमीन फर्जीवाड़े के करीब 10 बड़े मामले उजागर हुए हैं, जिसमें कई मामलों में एफआईआर भी हुई है. इनमें कहीं खसरा पंचसाला और मूल दस्तावेज में छेड़छाड़, तो कहीं फर्जी तरीके से करोड़ों की बेशकीमती जमीन का गलत तरीके से खरीद बिक्री कर दिया गया है."
प्रशासन के संज्ञान में कैसे आया जमीन घोटाला का मामला: इस जमीन घोटाले के मामले में जिस शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन को शिकायत की थी. उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री और बिलासपुर रेंज के आईजी को भी शिकायत की थी. शिकायत में बताया गया था कि "भोंदूदास के नाम पर मोपका और चिल्हाटी में कई एकड़ सरकारी जमीन दर्ज थी. इस पर प्लॉटिंग भी शुरू हो गई. इस मामले की शिकायत के बाद IG रतनलाल डांगी ने जांच बिठा दी. जांच के बाद मामले की परत खुलने लगी, तो अचानक से तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने मामले में अपनी तरफ से एफआईआर करवाई. जांच के बाद पुलिस ने रिक्शा चालक भोंदूदास को गिरफ्तार कर लिया. जबकि इस पूरे मामले में घोटाले की एफआईआर वर्तमान अफसर को दर्ज करानी चाहिए थी. लेकिन वर्तमान अफसर की जगह पूर्व में तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने मामले पर खुद को बचाने एफआईआर दर्ज कराई थी.
जमीन घोटाले में ठगा न जाए, इस लिए लगाई रोक: इस मामले में जिला प्रशासन के एसडीएम तुलाराम भारद्वाज ने कहा कि मामले की एक एक बिंदु पर जांच कर रही है। किस तरह जमीन घोटाला किया गया, कौन कौन शामिल है और किस किस को गिरफ्तारी और होनी है इस मामले में लंबी जांच चलेगी और इस बीच कोई सामान्य व्यक्ति अपनी जिंदगीभर की कमाई लगाकर जमीन खरीद लेता है और बाद में उसे पता चला कि जिस जमीन को वो खरीदा है वो फर्जी तरीके से उसे बेचा गया है तो उसकी पूरी जिंदगी को कमाई खत्म हो जाएगी। इस लिए जमीन की खरीद फरोख्त पर रोक लगाई गई है।