बिलासपुर: बिलासपुर का बिलासा ताल गार्डन इन दिनों अपनी बदहाली के दौर से गुजर रहा है. बिलासा ताल गार्डन को कब्जाधारियों के चंगुल से निकालकर जिला प्रशासन ने विकसित करने की जिम्मेवारी वन विभाग को दी थी. लेकिन बजट के अभाव में अब इस गार्डन की मरम्मत और देखरेख की राह में बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
सरकारी जमीन को कब्जाधारकों से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने वन विभाग को जिम्मेदारी दी थी. जिसके तहत बिलासा ताल उद्यान का निर्माण किया गया. अधिकारी ने बताया कि इस कार्य में करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई. कोरोना संक्रमण से पहले उद्यान में रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते थे. पर्यटकों से टिकट और साइकिल स्टैंड के माध्यम से मिलने वाला पैसा सालाना लगभग 28 से 30 लाख रुपए होता था.
कोरोना संक्रमण से आया आर्थिक संकट
बिलासा ताल गार्डन की व्यवस्था सुधारने और मरम्मत के लिए विभाग को काफी पैसा मिल जाता था. कोरोनाकाल में संक्रमण की वजह से पर्यटकों की संख्या गिनती की रह गई. उनसे मिलने वाली सालाना आय दो से ढाई लाख रुपए तक सिमट गई. विभागीय कर्मचारी और चौकीदारों को मिलाकर 12 से 13 कर्मचारी सेवा दे रहे हैं. उन्हें साल में दिए जाने वाले 14 से 15 लाख के वेतन के भी लाले पड़ गए हैं. उद्यान मरम्मत के लिए हर साल खर्च होने वाला 15 से 17 लाख रुपए भी इकट्ठा नहीं हो पा रहा है.
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जिला प्रशासन से नहीं मिल रहा बजट
पैसे के अभाव में बिलासा ताल उद्यान की मरम्मत का काम अधर में लटक गया है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उद्यान की मरम्मत के लिए पिछले दिनों जिला प्रशासन को बजट का प्रस्ताव भेजा गया था. इसमें नौका विहार, बाल उद्यान, डायनासोर पार्क और सड़कों की मरम्मत के लिए लगभग एक करोड़ 25 लाख रुपए का बजट मांगा गया था. इसकी आज तक स्वीकृति नहीं मिल सकी.
अधिकारियों ने कहा कि वन विभाग उद्यानों का संचालन नहीं करता. इसलिए शासकीय तौर पर बिलासा ताल की मरम्मत के लिए विभाग के पास किसी प्रकार का बजट नहीं है. अब मरम्मत और देखरेख के अभाव में उद्यान की हालत काफी जर्जर हो चुकी है. झूले टूटकर बिखर रहे हैं. पार्क में बनी डायनासोर की मूर्ति भी जर्जर होने लगी है.