जशपुर: जैन मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महाराज (jain Muni Shri 108 Suyash Sagar Ji Maharaj) ने जशपुर के जलते हुए जंगल और अंधाधुंध कटाई पर दु:ख व्यक्त किया है. मुनि के मुताबिक जंगलों की खूबसूरती का ध्यान समाज और सरकार दोनों को मिलकर रखना चाहिए. जैन मुनि ने कहा कि वे दिगम्बर संत हैं और उन्हें प्रकृति के बदलाव के संकेत पहले ही मिल जाते हैं. उनके मुताबिक जैसे ही वे लोरो घाट पर पहुंचे, वैसे ही उन्हें 3 से 4 डिग्री के तापमान में गिरावट महसूस हुई. यह अंतर जशपुर की पहाड़ियों और अत्यधिक मात्रा में लगे पेड़ों के कारण है, जो कि अद्भुत है.
सड़क आवश्यक लेकिन जंगल भी जरूरी : मुनि सुयश सागर जी (jain Muni Shri 108 Suyash Sagar Ji Maharaj) ने कहा कि विकास के लिए सड़क जरूरी है. लेकिन ये भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि इसके लिए कम से कम पेड़ों की कटाई (Minimal felling of trees) हो. वहीं जहां भी वृक्षों को काटा जाए, वहां दस गुना ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाए (Plant ten times more trees) जाने चाहिए. मुनि के मुताबिक जब वे जशपुर विहार के लिए आए थे, तब सड़क के दोनों ओर सघन आम, जामुन के वृक्ष थे जो न केवल सुंदर दिखते थे बल्कि राहगीरों के लिए सुविधाजनक भी थे. लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये जाने के लिए उन वृक्षों को काट दिया गया. बदले में कहीं भी वृक्ष लगाए नहीं लगाए गए हैं.
वृक्षों को लेकर सरकार को देना होगा ध्यान : मुनि ने सीमेंट से बनाये जा रहे सड़कों पर भी अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि ये सड़कें न तो पर्यावरण की दृष्टि से उचित हैं और न ही जैन साधुओं के विहार के लिए उपयुक्त. उन्होंने बताया कि जैन समाज की ओर से भी ऐसे सड़क निर्माण पर केंद्रीय स्तर पर आपत्ति (Central level objection to cement road construction) की गई है . सरकार से यह आश्वासन मिला है कि अब देश में सीमेंट कांक्रीट के सड़कों का निर्माण नहीं किया जाएगा.
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उद्योग पर भी रखी अपनी बात : जशपुर में लगातार उद्योग लगाए जाने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि जशपुर के जंगल स्वयं में (The forest of Jashpur itself is an industry) उद्योग हैं . यहाँ किसी भी प्रकार के अन्य उद्योग लगाने की आवश्यकता ही नहीं है . जशपुर के जंगलों के पास ही इतनी सम्पत्ति है कि वो हजारों वनवासियों को रोजगार दे सकते हैं . सरकार को इस ओर विचार करना चाहिए. बता दें कि मुनि श्री 108 सुयश सागर जी, मुनि श्री सद्भाव सागर जी सहित झुलक जी का जशपुर विहार हुआ है. इसके पश्चात मुनि संघ बगीचा और सन्ना के विहार के लिए प्रस्थान करेंगे. यह पहली बार हुआ है कि जशपुर के प्रकृति के संरक्षण के लिए किसी जैन संत ने समाज और सरकार से आह्वान किया है.