सरगुजा: कोरोना काल में कई व्यवसायों को नुकसान पहुंचा है. कारोबारी हो या कृषक सभी को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा है. फल, सब्जी और अनाज किसान तो लॉकडाउन में मिली छूट की वजह से फसल बोने के काम में जुट गए थे, लेकिन फूलों की खेती करने वाले किसानों को इस दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ा है. सभी तीज-त्योहार और शर्तों के साथ शादी समारोह आयोजित होने की वजह से फूलों का उठाव कम हुआ है. इस वजह से फूलों का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है.
लंबे समय से लॉकडाउन की वजह से फूलों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. अन्य राज्यों से आने वाले फूल भी अब बंद हो गए हैं. स्थानीय किसानों की फसल खेत में ही खराब हो गई है. इस वजह से फूलों की कीमत 10 गुणा बढ़ गई है. लॉकडाउन में होने वाले नुकसान की भरपाई अब मार्केट में साफ नजर आ रही है. 5 से 10 रुपये की कीमत में बिकने वाले फूल अब 50 से 60 रुपये में बिक रहे हैं. ETV भारत की टीम जब अंबिकापुर के फूल बाजार में पहुंची, तो वहां पहले की तरह रौनक नहीं थी. गणेशोत्सव के समय फूल दुकानों में अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती थी, लेकिन इस साल पंडाल नहीं लगने की वजह से और फूलों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए लोग सिर्फ पूजा के लिए ही फूल ले जा रहे हैं.
फूलों की फसल हुई बर्बाद
फूल व्यवसायियों का कहना है कि इस साल उनकी फसल लॉकडाउन के दौरान ही बर्बाद हो गई थी और त्योहारी सीजन को देखते हुए फिर से नई फसल ली गई थी, इसमें उन्हें लागत लगानी पड़ी है. जबकि पुरानी फसल से उन्हें कोई मुनाफा नहीं हुआ है. दूसरे राज्य से भी फूलों की आवक लगभग नहीं के बराबर है. बाजार में भी फूलों की कीमत बढ़ गई है.
त्योहारों में होती थी जमकर कमाई
जनमाष्टमी, तीज और गणेश चतुर्थी में लाखों रुपये के फूल बिकते थे. इस साल किसी भी तरह का कोई भव्य आयोजन नहीं होने की वजह से फूलों की बिक्री न के बराबर है. शादियों का सीजन चले जाने से फूल कारोबारियों को त्योहारों से जो थोड़ी बहुत कमाई की उम्मीद थी, अब वह भी पूरी तरह से खत्म हो गई है. नुकसान की भरपाई करने के लिए अब किसानों से फूल अधिक दाम पर मिल रहे हैं. इस वजह से इसका साफ असर बाजार में देखने को मिल रहा है.