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बलरामपुर नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडराया, कांग्रेस पार्षदों ने लाया अविश्वास प्रस्ताव - बलरामपुर नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा

सरगुजा संभाग के बलरामपुर नगर पालिका (Balrampur Municipality president) में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस कब्जे वाली इस नगरपालिका में कांग्रेस पार्षदों ने ही अविश्वास प्रस्ताव लाकर जिले में हलचल पैदा कर दी है.

Councilors brought no confidence motion in Balrampur Municipality
बलरामपुर में नगरपालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर मंडराया खतरा
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Published : Mar 24, 2022, 2:01 PM IST

सरगुजा : लंबे समय बाद सत्ता मेंआई कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह दिख रही है. बलरामपुर नगर पालिका में अध्यक्ष (Balrampur Municipality president) के खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है. अध्यक्ष की कुर्सी अब खतरे में दिख रही है. नगर पालिका में कांग्रेस पार्षदों (Congress councilors) ने निर्दलीय पार्षदों के साथ मिलकर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion ) लाया है. अविश्वास प्रस्ताव पर 4 अप्रैल को फैसला होगा. अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion ) लाने के बाद 15 में से 13 पार्षद लापता हो गए हैं. सभी पार्षदों के रायपुर में होने की बात सामने आ रही है.

अविश्वास प्रस्ताव क्यों?: इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे बिना सहमति के कराए जा रहे निर्माण कार्य हैं. सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष ने दो करोड़ रुपए के सड़क निर्माण कार्य को बिना सहमति के मंजूरी दी है. बलरामपुर नगर पालिका (Balrampur Municipality ) में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार काबिज है. 15 वार्डों के इस निकाय में कांग्रेस के 8 पार्षद, बीजेपी के 4 और निर्दलीय तीन पार्षद चुनाव जीतकर आए थे. कांग्रेस सरकार ने नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में गोविन्द राम को कुर्सी पर बैठाया था.

विकास कार्य को लेकर विवाद : अध्यक्ष और पार्षदों के बीच लंबे समय से विकास कार्य को लेकर विवाद है. कोरोना काल बीतने के बाद भी विकास कार्य नहीं करने पर पार्षदों ने कलेक्टर से गुहार लगाई और अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. अध्यक्ष के खिलाफ बीजेपी, निर्दलीय पार्षदों के साथ कांग्रेस के पार्षदों ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाया है. जिसके बाद जिले में हड़कंप मच गया है. कलेक्टर ने अब 4 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब नगरीय प्रशासन मंत्री जिले के दौरे पर आए तो उन्होंने सड़क निर्माण के लिए राशि पास की.जिसके बाद टेंडर को लेकर विवाद हुआ. निर्माण के एवज में ठेकेदार ने पार्षदों को कमीशन दे दिया था साथ ही वर्क ऑर्डर भी निकल गया था.लेकिन पार्षदों ने निर्माण कार्य के टेंडर की मांग की. जो की संभव नहीं था. अध्यक्ष ने जब इसमे रजामंदी नहीं दी तो पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया. अब गोविंद राम को 4 अप्रैल को बहुमत साबित करना है.



ये भी पढ़ें- प्रभारी मंत्री शिव डहरिया का बलरामपुर दौरा: फसल नुकसान पर मुआवजा देने का मंत्री ने दिया निर्देश

4 को पूछूंगा क्या गलती हो गई : बलरामपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष गोविंद राम ((Balrampur Municipality president)) ने कहा कि उन्होंने ही मुझे अध्यक्ष पद में बैठाया था. कोरोना काल के बाद विकास के कार्य हो रहे है. मंत्री जी के आने पर 2 करोड़ का कार्य स्वीकृत कराया गया था. सड़क निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है. पार्षदों के कहना है कि जिस काम के लिए हमने फरारी काटी तो काम हमें मिलना चाहिए. मैने कहा था कि भविष्य में दूसरा काम दिया जाएगा. मैं घर बेचकर जरूरत पूर्ण नही कर सकता. अपने ही दल के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने पर बलरामपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इसे लेकर हम चिंतित है. लंबे समय के बाद सरकार में आने से सभी की अपेक्षाएं ज्यादा ही बढ़ गई थी जो अध्यक्ष के द्वारा पूर्ण नही की गई. सभी वार्डों के लिए बराबर राशि वितरित हुई. लेकिन कुछ पार्षदों की अपेक्षाएं ज्यादा थी.जिसे अध्यक्ष पूरा नहीं कर सकते थे.

सरगुजा : लंबे समय बाद सत्ता मेंआई कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह दिख रही है. बलरामपुर नगर पालिका में अध्यक्ष (Balrampur Municipality president) के खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है. अध्यक्ष की कुर्सी अब खतरे में दिख रही है. नगर पालिका में कांग्रेस पार्षदों (Congress councilors) ने निर्दलीय पार्षदों के साथ मिलकर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion ) लाया है. अविश्वास प्रस्ताव पर 4 अप्रैल को फैसला होगा. अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion ) लाने के बाद 15 में से 13 पार्षद लापता हो गए हैं. सभी पार्षदों के रायपुर में होने की बात सामने आ रही है.

अविश्वास प्रस्ताव क्यों?: इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे बिना सहमति के कराए जा रहे निर्माण कार्य हैं. सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष ने दो करोड़ रुपए के सड़क निर्माण कार्य को बिना सहमति के मंजूरी दी है. बलरामपुर नगर पालिका (Balrampur Municipality ) में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार काबिज है. 15 वार्डों के इस निकाय में कांग्रेस के 8 पार्षद, बीजेपी के 4 और निर्दलीय तीन पार्षद चुनाव जीतकर आए थे. कांग्रेस सरकार ने नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में गोविन्द राम को कुर्सी पर बैठाया था.

विकास कार्य को लेकर विवाद : अध्यक्ष और पार्षदों के बीच लंबे समय से विकास कार्य को लेकर विवाद है. कोरोना काल बीतने के बाद भी विकास कार्य नहीं करने पर पार्षदों ने कलेक्टर से गुहार लगाई और अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. अध्यक्ष के खिलाफ बीजेपी, निर्दलीय पार्षदों के साथ कांग्रेस के पार्षदों ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाया है. जिसके बाद जिले में हड़कंप मच गया है. कलेक्टर ने अब 4 अप्रैल को बहुमत साबित करने को कहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब नगरीय प्रशासन मंत्री जिले के दौरे पर आए तो उन्होंने सड़क निर्माण के लिए राशि पास की.जिसके बाद टेंडर को लेकर विवाद हुआ. निर्माण के एवज में ठेकेदार ने पार्षदों को कमीशन दे दिया था साथ ही वर्क ऑर्डर भी निकल गया था.लेकिन पार्षदों ने निर्माण कार्य के टेंडर की मांग की. जो की संभव नहीं था. अध्यक्ष ने जब इसमे रजामंदी नहीं दी तो पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया. अब गोविंद राम को 4 अप्रैल को बहुमत साबित करना है.



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4 को पूछूंगा क्या गलती हो गई : बलरामपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष गोविंद राम ((Balrampur Municipality president)) ने कहा कि उन्होंने ही मुझे अध्यक्ष पद में बैठाया था. कोरोना काल के बाद विकास के कार्य हो रहे है. मंत्री जी के आने पर 2 करोड़ का कार्य स्वीकृत कराया गया था. सड़क निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है. पार्षदों के कहना है कि जिस काम के लिए हमने फरारी काटी तो काम हमें मिलना चाहिए. मैने कहा था कि भविष्य में दूसरा काम दिया जाएगा. मैं घर बेचकर जरूरत पूर्ण नही कर सकता. अपने ही दल के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने पर बलरामपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इसे लेकर हम चिंतित है. लंबे समय के बाद सरकार में आने से सभी की अपेक्षाएं ज्यादा ही बढ़ गई थी जो अध्यक्ष के द्वारा पूर्ण नही की गई. सभी वार्डों के लिए बराबर राशि वितरित हुई. लेकिन कुछ पार्षदों की अपेक्षाएं ज्यादा थी.जिसे अध्यक्ष पूरा नहीं कर सकते थे.

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