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हसदेव बचाओ आंदोलन में कौन किस पाले में.. सियासत का किसे मिलेगा फायदा

effect of Hasdeo Bachao Andolan on Political Parties: हसदेव बचाओ आंदोलन से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही नुकसान झेलना पड़ सकता है. दोनों ही पार्टियां एक तरफ आंदोलनकारियों के साथ होने की बात कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ परसा कोल ब्लॉक का काम भी तेजी से जारी है. इस बीच छत्तीसगढ़ में जनाधार बनाने में जुटी आप पार्टी भी मामले में सक्रिय हो गई है.

Hasdeo Bachao Andolan effect
राजनीतिक पार्टियों पर हसदेव बचाओ आंदोलन का असर
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Published : Jun 6, 2022, 12:58 PM IST

Updated : Jun 7, 2022, 12:37 AM IST

सरगुजा : हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक के मामले में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल अब जनाधार खोते दिख रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस मामले में फंस चुके हैं. भले ही इन पार्टियों के राष्ट्रीय व प्रदेश के नेताओं को खास फर्क ना पड़े लेकिन स्थानीय नेताओं को विरोध झेलना पड़ सकता है. भाजपा और कांग्रेस के प्रति नाराजगी का फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. (Hasdeo Bachao Andolan effect )

देश के साथ विदेशों में भी हो रहा विरोध: हसदेव अरण्य बचाने हरिहरपुर, साल्ही से लेकर दिल्ली और अमेरिका में भी विरोध हुआ. देश और दुनिया के तामाम लोग हसदेव अरण्य बचाने की मुहिम से जुड़ते चले गये. इधर भाजपा और कांग्रेस भी आंदोलन में शामिल होकर इनके साथ होने का दावा कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि राज्य में कांग्रेस सत्ता में है और केंद्र में भाजपा काबिज है. अगर दोनों ही दल हसदेव नहीं उजड़ने देना चाहते तो फिर कौन है जो हसदेव को नष्ट करना चाहता है. (Hasdeo Bachao Andolan effect on political parties in chhattisgarh )

राजनीतिक पार्टियों पर हसदेव बचाओ आंदोलन का असर

सरगुजा में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए देशभर से जुटेंगे पर्यावरणविद !

हसदेव का समर्थन के बावजूद प्रशासन काट रहा पेड़: एक तरफ भाजपा आंदोलन का समर्थन करती है और दूसरी तरफ केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा के ही मंत्रियों के विभाग से कोल ब्लॉक की अनुमति जारी होती है. कुछ ऐसा ही आलम कांग्रेस का भी है, कांग्रेस के लोग आंदोलन में पहुंचते हैं, कांग्रेस के नेता दोबारा ग्राम सभा कराने की मांग करते हैं. लेकिन यहां से भी खदान खोलने के सारे पेपर क्लियर हो जाते हैं. यहां तक की रात के अंधेरे में पेड़ काटे जा रहे रहे थे. जब ग्रामीणों ने देख लिया तो प्रशासन ने उस जगह को छावनी में बदल दिया.

सरगुजा में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन

राष्ट्रीय दल कर रहे गुमराह: ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस हसदेव आंदोलन के साथ हैं या उसके खिलाफ हैं. लोग गुमराह हो रहे हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि जब देश और प्रदेश की सत्ता धारी दोनों दल के लोगों का समर्थन है तो फिर कौन से लोग हैं. जिनके इशारे पर ये सब चल रहा है. जब कांग्रेस पेड़ नहीं कटने देना चाहती तो किसके इशारे पर प्रशासन पुलिस बल तैनात करता है.

आम आदमी पार्टी को होगा फायदा: हसदेव अरण्य के मामले में दोनों ही राष्ट्रीय दलों पर से स्थानीय लोगों का भरोसा उठ रहा है. जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. आम आदमी पार्टी मामले में लगातार सक्रिय है. इनके कार्यकर्ता लगातार हसदेव अरण्य के क्षेत्र में जा रहे हैं. आंदोलनकारियों के साथ खड़े होकर खुद भी आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आम आदमी पार्टी सरगुजा में अपना जनाधार बढ़ा रही है. जो आने वाले विधानसभा चुनावों में दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिये नुकसानदायक साबित हो सकता है. (AAP support to Hasdeo Aranya coal block movement )

Campaign to save Hasdev Aranya: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध जारी

बदल सकते हैं सियासी समीकरण: बहरहाल परसा कोल ब्लॉक और हसदेव अरण्य का मामला अंतरराष्ट्रीय विषय बना हुआ है. हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस आंदोलन में शामिल है. एक ताकतवर धड़ा ऐसा है जिसे सिर्फ कोल खदान संचालन से मतलब है. जंगल की कटाई और जैव विविधता का दमन इनके लिये कोई समस्या नहीं है. अब देखना है कि हसदेव अरण्य आंदोलन से कितने सियासी रंग निकलेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर पड़ेगा.



सरगुजा : हसदेव अरण्य कोल ब्लॉक के मामले में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल अब जनाधार खोते दिख रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस मामले में फंस चुके हैं. भले ही इन पार्टियों के राष्ट्रीय व प्रदेश के नेताओं को खास फर्क ना पड़े लेकिन स्थानीय नेताओं को विरोध झेलना पड़ सकता है. भाजपा और कांग्रेस के प्रति नाराजगी का फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. (Hasdeo Bachao Andolan effect )

देश के साथ विदेशों में भी हो रहा विरोध: हसदेव अरण्य बचाने हरिहरपुर, साल्ही से लेकर दिल्ली और अमेरिका में भी विरोध हुआ. देश और दुनिया के तामाम लोग हसदेव अरण्य बचाने की मुहिम से जुड़ते चले गये. इधर भाजपा और कांग्रेस भी आंदोलन में शामिल होकर इनके साथ होने का दावा कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि राज्य में कांग्रेस सत्ता में है और केंद्र में भाजपा काबिज है. अगर दोनों ही दल हसदेव नहीं उजड़ने देना चाहते तो फिर कौन है जो हसदेव को नष्ट करना चाहता है. (Hasdeo Bachao Andolan effect on political parties in chhattisgarh )

राजनीतिक पार्टियों पर हसदेव बचाओ आंदोलन का असर

सरगुजा में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए देशभर से जुटेंगे पर्यावरणविद !

हसदेव का समर्थन के बावजूद प्रशासन काट रहा पेड़: एक तरफ भाजपा आंदोलन का समर्थन करती है और दूसरी तरफ केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा के ही मंत्रियों के विभाग से कोल ब्लॉक की अनुमति जारी होती है. कुछ ऐसा ही आलम कांग्रेस का भी है, कांग्रेस के लोग आंदोलन में पहुंचते हैं, कांग्रेस के नेता दोबारा ग्राम सभा कराने की मांग करते हैं. लेकिन यहां से भी खदान खोलने के सारे पेपर क्लियर हो जाते हैं. यहां तक की रात के अंधेरे में पेड़ काटे जा रहे रहे थे. जब ग्रामीणों ने देख लिया तो प्रशासन ने उस जगह को छावनी में बदल दिया.

सरगुजा में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन

राष्ट्रीय दल कर रहे गुमराह: ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस हसदेव आंदोलन के साथ हैं या उसके खिलाफ हैं. लोग गुमराह हो रहे हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि जब देश और प्रदेश की सत्ता धारी दोनों दल के लोगों का समर्थन है तो फिर कौन से लोग हैं. जिनके इशारे पर ये सब चल रहा है. जब कांग्रेस पेड़ नहीं कटने देना चाहती तो किसके इशारे पर प्रशासन पुलिस बल तैनात करता है.

आम आदमी पार्टी को होगा फायदा: हसदेव अरण्य के मामले में दोनों ही राष्ट्रीय दलों पर से स्थानीय लोगों का भरोसा उठ रहा है. जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. आम आदमी पार्टी मामले में लगातार सक्रिय है. इनके कार्यकर्ता लगातार हसदेव अरण्य के क्षेत्र में जा रहे हैं. आंदोलनकारियों के साथ खड़े होकर खुद भी आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि आम आदमी पार्टी सरगुजा में अपना जनाधार बढ़ा रही है. जो आने वाले विधानसभा चुनावों में दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिये नुकसानदायक साबित हो सकता है. (AAP support to Hasdeo Aranya coal block movement )

Campaign to save Hasdev Aranya: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध जारी

बदल सकते हैं सियासी समीकरण: बहरहाल परसा कोल ब्लॉक और हसदेव अरण्य का मामला अंतरराष्ट्रीय विषय बना हुआ है. हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस आंदोलन में शामिल है. एक ताकतवर धड़ा ऐसा है जिसे सिर्फ कोल खदान संचालन से मतलब है. जंगल की कटाई और जैव विविधता का दमन इनके लिये कोई समस्या नहीं है. अब देखना है कि हसदेव अरण्य आंदोलन से कितने सियासी रंग निकलेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर पड़ेगा.



Last Updated : Jun 7, 2022, 12:37 AM IST
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