सरगुजा : यूनिवर्सल हेल्थ केयर (universal health care) की बात करने वाली कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में भी स्वास्थ्य के अधिकार (Right to Health in Chhattisgarh) की बात करती रही है, लेकिन अचानक मुख्यमंत्री ने निजी क्षेत्रों की सहभागिता की बात कह दी. स्वास्थ्य मंत्री ने इस पर अपनी असहमति जताई है. प्रदेश के स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ने ETV भारत से खास बातचीत की है. इस बातचीत में सिंहदेव ने कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए.
सवाल : यूनिवर्सल हेल्थ केयर की बात और अब ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में निजी क्षेत्र को शामिल करने को मुख्यमंत्री कह रहे हैं?
जवाब : यूनिवर्सल हेल्थ केयर अकेले मेरी बात नहीं है, कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में इसे लिखा है. मैंने भी उसी को आगे बढ़ाने की बात की है. रही बात ग्रामीण चिकित्सा में निजी क्षेत्र को लाने की तो इस पर मुख्यमंत्री ने कोई घोषणा नहीं की है. इसे लेकर कोई प्रस्ताव आया है जिसे उद्योग विभाग को जांच के लिये दिया गया है. इस संबंध में मेरी राय मैं लिखित में दे दूंगा.
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सवाल : ये कितना सही है, क्या होना चाहिए?
जवाब : देखिये यूनिवर्सल हेल्थ केयर और कुछ नहीं है इसमें यही है कि पब्लिक के टैक्स के पैसे से कैसे अच्छी और निशुल्क स्वास्थ्य हो जानी चाहिये. पैसा पब्लिक के जेब से नहीं जाना चाहिये. जो बात हो रही है कि विशेषज्ञ चिकित्सक गांव में जाकर सेवा दे रहे हैं, तो मुझे नहीं लगता की शासकीय क्षेत्र के अलवा कोई विशेषज्ञ चिकित्सक गांव में जाकर सेवा दे रहे हो. रही बात इनके माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों को गांव में भेजने की तो मुझे नहीं लगता की इतनी संख्या में विशेषज्ञ चिकित्सक छत्तीसगढ़ में मिलेंगे. वैसे ही इनकी कमी है. अगर निजी क्षेत्र के लोग निशुल्क सेवा देंगे तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर ये लोगों से लाभ भी लेंगे और सरकार उनको पैसे देगी तो ये मुझे ठीक नहीं लगता है. सरकार अगर आपको अस्पताल बनाने के लिए ग्रांट देती है तो आप जाये और निशुल्क सेवा दें तो ठीक है. पैसा अगर हमको निजी क्षेत्र में देना है तो सरकारी तंत्र को पहले मजबूत करना चाहिये.
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सवाल : छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल कैसी व्यवस्था है ?
जवाब : मितानिन से लेकर मेडिकल कॉलेज तक एक पूरी चेन काम कर रही है. गांव में मितानिन, ANM, मेडिकल ऑफिसर, नर्सिंग स्टाफ लगातार काम कर रहा है. इनके माध्यम से गांव में ही मलेरिया टाइफाइड जैसी बीमारियों के प्राथमिक उपचार की व्यवस्था गांव में ही की है. उसके ऊपर सब हेल्थ सेंटर, पीएचसी, सीएचसी में प्रसव सहित अन्य बीमारियों के इलाज की व्यवस्था है. हमने लगातार ग्रामीण अस्पताल में डॉक्टरों के पदों को भरने का काम किया है. इसमें प्रमोशन के तरीके को प्राथमिकता दी गई है.
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सवाल : सरकार में आने से पहले शराबबंदी की बात कही गई अब नहीं हो रही है, इसके कारण अपराध घटित हो रहे हैं?
जवाब : सरकार ने कमेटी बनाई है, जिन राज्यों में शराब बंदी की गई या जहां प्रस्तावित है. कुछ राज्य ऐसे हैं जहां लागू की गई लेकिन सफल नहीं हो पाई. इस पर विचार चल रहा है एक पहलू तो ये है, जैसा आप बता रहे हैं की राजनांदगांव में बेटियों ने पिता की हत्या कर दी वहीं दूसरा पहलू है की लाकडाउन में कुछ आदतन शराबियों की मौत हो गई. तो ये दोनों पहलू हैं कि शराब से कुरीतियां और शराब बंदी के प्रभाव दोनों पर सरकार पहल कर रही है.