सरगुजा : अम्बिकापुर नगर निगम (Ambikapur nagar nigam) की नई सत्ता को तीन वर्ष होने जा रहा है. लेकिन बजट का आभाव यहां बना हुआ है. कई कार्य बजट के आभाव में रुके हैं. तो वहीं 32 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो सिर्फ इसलिये रुक गए क्योंकि राजस्व विभाग ने अब तक नगर निगम को जमीन नही दी है. ऐसे में अपने ही सिस्टम से लड़ता अम्बिकापुर नगर निगम अब हताश होता दिख रहा है.
प्रोजेक्ट्स से कितना होगा फायदा : नगर निगम अम्बिकापुर ने अपनी आय बढ़ाने और जन हित के 32 कार्यों के लिये सरगुज़ा कलेक्टर से शासकीय भूमि मांगी है। शमशान घाट, शॉपिंग काम्प्लेक्स, गार्डन, आंगनबाड़ी भवन जैसी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिये शासकीय भूमि नगर निगम को चाहिये लेकिन राजस्व विभाग जमीन देने में देरी कर रहा है। जिससे ये 32 प्रोजेक्ट लंबित पड़े हैं।
कितना पड़ेगा आय पर असर : अम्बिकापुर नगर निगम शासन के अनुदान पर निर्भर है। यहां ऐसा कोई भी आमदनी का बड़ा स्रोत नही है, जिससे नगर निगम की आय बढ़ सके। नगर निगम की आमदनी बढ़ाने के लिये शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाने का निर्णय लिया गया। जिससे न सिर्फ शहर का स्वरूप बढ़ेगा बल्कि लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही निगम की आय में वृद्धि होगी।
ठंडे बस्ते में ट्रांसपोर्ट नगर : नमनाकला में नगर निगम श्मशान घाट बनाना चाहता है. लेकिन श्मशान के लिये भी भूमिआबंटन नही हो सकी है. वहीं ट्रांसपोर्ट नगर की जमीन के लिए नगर निगम से ही राजस्व विभाग ने शासकीय जमीन के 56 लाख रूपए मांग लिए. निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण नगर निगम ट्रांसपोर्ट नगर की जमीन भी नही ले सका. अब 1 रुपये वर्ग फिट की दर से कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद उम्मीद जगी है कि नगर निगम यह जमीन राजस्व विभाग से खरीदेगा.
निगम की क्या है परेशानी : नगर निगम के मेयर डॉ अजय तिर्की का कहना हैं कि ''32 कार्यो के लिए कलेक्टर महोदय के माध्यम से जमीन मांगी गई है. जो अब तक नही मिली है. प्रक्रिया को इतना जटिल नही होना चाहिये. जनहित के कार्यों और निगम की आय बढ़ाने के लिये जमीन मांगी गई है. इतना विलंब होने से निगम भी हताश हो रहा है.''
नियमों का दिया जा रहा हवाला : वहीं इस मामले में सरगुज़ा कलेक्टर ने नियमों का हवाला देते हुये एक लाइन में अपनी बात खत्म कर दी. कलेक्टर संजीव कुमार झा ने कहा की ''नगर निगम ने कई कार्यों के लिए जमीन मांगी है. उसमें सभी मांग पत्रों पर आरबीसी के प्रावधान हैं. उन प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जा रही है.''
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धार्मिक और सामाजिक संगठनों को दान : एक ओर शासकीय जमीन के आबंटन के लिये प्रशासन का ही एक अंग परेशान है. तो वहीं दूसरी ओर सरकार धार्मिक सामाजिक संगठनों को जमीन बांटती फिर रही है. ऐसे में नगर निगम में बैठे अधिकारी और जनप्रतिनिधियों में हताशा का माहौल है. आखिर क्या वजह है कि 32 प्रोजेक्ट के लिए प्रशासन ने नगर निगम को अब तक जमीन नही दी है.