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सरगुजा में ग्रामीण निकालते हैं देसी जुगाड़ से तेल

फूड ऑयल बाजार में बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों से बनकर आता है. वर्तमान में इसके दाम में आग लगी हुई है. रिफाइन ऑयल की कीमत डेढ़ सौ से 2 सौ रुपये लीटर तक जा पहुंची है. ऐसे में हम आपको ग्रामीणों का वो जुगाड़ दिखाने जा रहे हैं, जिससे वो मुफ्त में अपने खाने के लिये तेल का जुगाड़ कर लेते हैं. जुगाड़ के इस संयंत्र को ग्रामीण तिरही बोलते हैं.sarguja latest news

सरगुजा में ग्रामीण निकालते हैं देसी जुगाड़ से तेल
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Published : Sep 19, 2022, 3:52 PM IST

Updated : Sep 19, 2022, 6:56 PM IST

सरगुजा: सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण वन संपदा से तेल बनाते हैं. इसे पेरने के लिये संयत्र भी इनके ही द्वारा बनाया जाता है. बिना किसी मशीन के लकड़ी से बनाये गए जुगाड़ के संयत्र से ये ग्रामीण तेल पेर लेते (desi jugaad tirhi ) हैं. वे अपने खाने और शरीर मे लगाने के लिये तेल का जुगाड़ कर लेते हैं.

सरगुजा में ग्रामीण निकालते हैं देसी जुगाड़ से तेल

तमाम तरह की वेरायटी: सरसों, खाली, डोरी सहित तमाम वन संपदा सहित तिलहन फसलों से यह तेल निकाला जाता है. फिलहाल ठंड आने वाली है इसलिए अब ग्रामीण महुये की डोरी का तेल निकाल रहे (extracting edible oil in sarguja ) हैं. महुये के फल के अंदर से निकलने वाले बीज को ग्रामीण डोरी कहते हैं. इस डोरी को सुखा लिया जाता है. सूखे हुए डोरी को सरपट से बनी पोटली में भर दिया जाता है.

ऐसे निकालते हैं तेल: अब यह पोटली एक ऐसी लकड़ी के ऊपर रखी जाती है, जिसमें तेल के गिरने के लिए नालीदार रास्ता बनाया जाता है. नाली के सामने एक बर्तन रख दिया जाता है, जिसमें तेल एकत्र होता है. अब इन पोटलियों के ऊपर लकड़ी का करीब 10 फीट लंबा वजनदार हिस्सा रखा जाता है. लकड़ी को और दबाव दिया जाता है. लकड़ी के दबाव से पोटली में बंद डोरी पर इतना अधिक दबाव पड़ता है कि उसमें से तेल निकलने लगता है.

महंगाई का असर नहीं: ग्रामीणों में बढ़ती महंगाई से कोई खास असर नहीं पड़ता है क्योंकि उनके पास जीवन जीने के अपने ही संसाधन होते हैं. पूरी तरह से शुद्ध बिना मिलावट के बिना खर्च के ग्रामीण अपने लिये तेल का इंतजाम कर लेते हैं. ऐसे बहुत से दैनिक उपयोग के सामान हैं, जो जंगल और गांव में रहने वाले लोगों को खरीदने नहीं पड़ते हैं.

ये भी पढ़ें -स्वच्छता लीग में माई अंबिकापुर स्वच्छ टीम ने किया आगाज

निमोनिया का इलाज संभव: स्थानीय क्रांति रावत कहते हैं कि "कई प्रकार के तेल ग्रामीण इस पद्धति से निकालते हैं लेकिन डोरी का तेल बेहद खास है. यह महुये के फूल का बीज होता है, जिसे सुखाकर उसका तेल निकाला जाता है. खाने और शरीर में लगाने के अलावा इसका एक बहुत कारगर उपयोग निमोनिया के इलाज में होता है. खासकर बच्चों को अगर निमोनिया हो गया है तो डोरी का तेल छाती में लगाने से निमोनिया जड़ से खत्म हो जाता है."sarguja latest news

सरगुजा: सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण वन संपदा से तेल बनाते हैं. इसे पेरने के लिये संयत्र भी इनके ही द्वारा बनाया जाता है. बिना किसी मशीन के लकड़ी से बनाये गए जुगाड़ के संयत्र से ये ग्रामीण तेल पेर लेते (desi jugaad tirhi ) हैं. वे अपने खाने और शरीर मे लगाने के लिये तेल का जुगाड़ कर लेते हैं.

सरगुजा में ग्रामीण निकालते हैं देसी जुगाड़ से तेल

तमाम तरह की वेरायटी: सरसों, खाली, डोरी सहित तमाम वन संपदा सहित तिलहन फसलों से यह तेल निकाला जाता है. फिलहाल ठंड आने वाली है इसलिए अब ग्रामीण महुये की डोरी का तेल निकाल रहे (extracting edible oil in sarguja ) हैं. महुये के फल के अंदर से निकलने वाले बीज को ग्रामीण डोरी कहते हैं. इस डोरी को सुखा लिया जाता है. सूखे हुए डोरी को सरपट से बनी पोटली में भर दिया जाता है.

ऐसे निकालते हैं तेल: अब यह पोटली एक ऐसी लकड़ी के ऊपर रखी जाती है, जिसमें तेल के गिरने के लिए नालीदार रास्ता बनाया जाता है. नाली के सामने एक बर्तन रख दिया जाता है, जिसमें तेल एकत्र होता है. अब इन पोटलियों के ऊपर लकड़ी का करीब 10 फीट लंबा वजनदार हिस्सा रखा जाता है. लकड़ी को और दबाव दिया जाता है. लकड़ी के दबाव से पोटली में बंद डोरी पर इतना अधिक दबाव पड़ता है कि उसमें से तेल निकलने लगता है.

महंगाई का असर नहीं: ग्रामीणों में बढ़ती महंगाई से कोई खास असर नहीं पड़ता है क्योंकि उनके पास जीवन जीने के अपने ही संसाधन होते हैं. पूरी तरह से शुद्ध बिना मिलावट के बिना खर्च के ग्रामीण अपने लिये तेल का इंतजाम कर लेते हैं. ऐसे बहुत से दैनिक उपयोग के सामान हैं, जो जंगल और गांव में रहने वाले लोगों को खरीदने नहीं पड़ते हैं.

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निमोनिया का इलाज संभव: स्थानीय क्रांति रावत कहते हैं कि "कई प्रकार के तेल ग्रामीण इस पद्धति से निकालते हैं लेकिन डोरी का तेल बेहद खास है. यह महुये के फूल का बीज होता है, जिसे सुखाकर उसका तेल निकाला जाता है. खाने और शरीर में लगाने के अलावा इसका एक बहुत कारगर उपयोग निमोनिया के इलाज में होता है. खासकर बच्चों को अगर निमोनिया हो गया है तो डोरी का तेल छाती में लगाने से निमोनिया जड़ से खत्म हो जाता है."sarguja latest news

Last Updated : Sep 19, 2022, 6:56 PM IST
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