सरगुजा: बायो मेडिकल वेस्ट के दर निर्धारण को लेकर ठेका कंपनी व आईएमए के बीच चल रहे विवाद पर फिलहाल विराम लग गया है. हेल्थ डायरेक्टर भीम सिंह की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अब शासकीय व निजी अस्पताल में 20 रुपए प्रति बिस्तर प्रति दिन की दर से ही भुगतान करेंगे. हालांकि यह तात्कालिक व्यवस्था के तहत लिया गया निर्णय है. हेल्थ डायरेक्टर ने आईएमए को यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही दर के निर्धारण या अस्पताल में मरीजों की संख्या के आधार पर शुल्क को लेकर नियम बनाए जाएंगे. Big decision in meeting of Health Director
स्थापित हो चुका है इंसिनेटर: अम्बिकापुर के भिट्टीकला में क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा मेसर्स व्हीएम टेक्नो सॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से करीब 3 करोड़ रुपए की लागत से संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा की स्थापना की गई है. इस प्लांट की स्थापना के पहले से ही शासकीय व निजी अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट के संधारण के लिये निर्धरित शुल्क को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई थी.
ठेकेदार और आईएमए के बीच विवाद: बायो मेडिकल वेस्ट इंसीनेटर संचालक द्वारा निजी व शासकीय अस्पतालों से 20 रुपए प्रति बेड प्रतिदिन शुल्क का निर्धारण किया गया है. यह शुल्क आईएमए को मान्य नहीं था. आईएमए व बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन के ठेकेदार के बीच विवाद बना हुआ था जिससे कोई भी निजी व शासकीय अस्पताल अपना बायो मेडिकल वेस्ट इन्हे नहीं दे रहा था.
यह भी पढ़ें: सरगुजा संभाग: हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंहदेव की अध्यक्षता में होगी स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक
हेल्थ डायरेक्टर ने ली बैठक: बुधवार को सरगुजा पहुंचे हेल्थ डायरेक्टर भीम सिंह ने ठेकेदार व आईएमए के पदाधिकारियों, सीएमएचओ व अन्य अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में यह हवाला दिया गया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर्यारण संरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है. नियमों का पालन नहीं करने पर यूपी में जुर्माना भी लगाया जा चुका है. इस दौरान आईएमए का कहना है कि रायपुर, बिलासपुर व कोरबा जैसे बड़े शहरों में 6 से 7 रुपए प्रति बिस्तर शुल्क निर्धारित है. तो फिर सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल में 20 रुपए प्रति बिस्तर का शुल्क कैसे मान्य होगा.
आईएमए अन्य जिलों का दे रहा हवाला: आईएमए (IMA) द्वारा शुरू से ही 3 से 4 रुपए प्रति बिस्तर शुल्क देने की बात कही जा थी. 20 रुपए शुल्क का निर्धारण करने से इसका सीधा असर आम जनता पर ही पड़ेगा. शासकीय अस्पतालों का शुल्क तो शासन की ओर से जमा किया जाएगा लेकिन निजी अस्पताल प्रबंधन यह राशि अपनी जेब से अदा नहीं करेंगे और इसका बोझ मरीज पर ही पड़ेगा व उनसे अतिरिक्त राशि वसूल की जाएगी.
भविष्य में नियम बदलने पर चर्चा: दोनों पक्षों को सुनने के बाद हेल्थ डायरेक्टर ने बड़ा फैसला लिया है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों का हवाला देते हुए फिलहाल सभी शासकीय व निजी अस्पताल को 20 रुपए प्रति बेड प्रतिदिन की राशि जमा करने के निर्देश दिए हैं. आईएमए ने मांग की है कि किसी भी अस्पताल में बिस्तर शत प्रतिशत नहीं भरते, ऐसे में पूरे बेड के हिसाब से शुल्क जमा करना संभव नहीं है. इसके लिए बेड में मरीजों की संख्या के हिसाब से शुल्क निर्धारित किया जाए. जिसके बाद भीम सिंह ने आने वाले समय में इसके अलग से नियम बनाने व चर्चा कर शुल्क संधारण करने का आश्वासन दिया है.