गरियाबंद: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और लोगों को आय का जरिया उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किए गए छत्तीसगढ़ शासन के गोधन न्याय योजना का लाभ आमजन तक पहुंचने लगा है. दो रुपये प्रति किलो की दर से निर्धारित गोबर बेचकर पशुपालक आय अर्जित कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर स्व-सहायता समूहों की महिलाएं भी लाभान्वित हो रही हैं.
वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण से जैविक कृषि को भी बढ़ावा मिल रहा है. सुराजी ग्राम योजना के तहत नरवा,गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना से बने आदर्श गौठानों में पहले से ही गोबर इकठ्ठा कर वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा था, जिसे गोधन न्याय योजना से और अधिक गति मिल रही है.
125 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का विक्रय
फिंगेश्वर ब्लॉक के अंतर्गत बोरसी गांव के राजीव लोचन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोस्ट खाद पहले से ही बनाया जा रहा है. वहीं गोधन न्याय योजना से जोड़ने के बाद महिला समूह को आसानी से गोबर उपलब्ध हो रहा है. जिसके कारण ज्यादा मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में सहायता मिली है. वर्मी कम्पोस्ट को उद्यानिकी और वन विभाग द्वारा 8.50 रुपये प्रतिकिलो ग्राम की दर से खरीदा भी जा रहा है. इससे स्व-सहायता समूह को अतिरिक्त लाभ हुआ है. इस दौरान फिंगेश्वर ब्लॉक के बोरसी, जेंजरा, रोहिना, सुरसाबांधा, भेंड्री गांव के बिहान की महिला ग्राम संगठनों द्वारा 125 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट विक्रय किया जा चुका है.
पशुपालकों को राशि का भुगतान
बता दें, गोधन न्याय योजना अंतर्गत गरियाबंद जिले के 100 गौठानों में पशुपालकों से 17 अगस्त तक कुल 6 हजार 137 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है. सभी गौठानों समितियों को 62 लाख 10 हजार 114 रुपये भुगतान के लिए समिति के खातों में जारी भी कर दिया गया है. जिसका अंतरण पशुपालकों के खाते में किया जा रहा है. अभी तक 3 लाख 81 हजार 433 रुपये का भुगतान पशुपालकों के खाते में किया जा चुका है. जबकि शेष का भुगतान प्रक्रिया जारी है.