कोंडागांव: बस्तर हर साल मलेरिया से जंग लड़ता रहा है. इस साल भी स्वास्थ्य विभाग के सामने यह बड़ी चुनौती थी कि कोरोना के साथ-साथ मलेरिया से कैसे निपटा जाए. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान चला रही है, जिसके तहत पहले चरण में 15 जनवरी से 14 फरवरी तक 14 लाख 6 हजार लोगों की जांच की गई. इस दौरान 64 हजार 640 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए, जिनका मौके पर इलाज किया गया. साथ ही उन्हें दवाइयां भी दी गई.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दूसरे चरण के तहत कोण्डागांव जिले के सभी गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर पहुंचकर बच्चों से लेकर बुजुर्गों का ब्लड टेस्ट कर रही है. वहीं जांच के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उनका तुरंत इलाज भी किया जा रहा है.
मलेरिया औषधि किट से किया जा रहा इलाज
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अमले द्वारा घर-घर जाकर हर सदस्य का ब्लड लिया जा रहा है, जिसकी बड़े स्तर पर जांच की जा रही है. वहीं कोई व्यक्ति जांच के दौरान पॉजिटिव पाया जाता है तो उसका औषधि किट के माध्यम से इलाज किया जा रहा है.
कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी हुई मलेरिया जांच
कोंडागांव कलेक्टर के निर्देश के मुताबिक मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान को सफल बनाने के लिए दूसरे चरण में घर-घर जाकर सभी सदस्यों के मलेरिया की जांच सुनिश्चित की गई है. वहीं बुधवार को जिला कार्यालय में बैठक में उपस्थित जिले के सभी अधिकारियों का स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ब्लड का सैम्पल लेकर जांच करने के लिए भेजा है. इसके अलावा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी उपस्थित कर्मचारियों की जांच की गई.
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बता दें कि बारिश के मौसम में घने जगलों के बीच बसे गांवों में मलेरिया का प्रकोप ज्यादा हो जाता है. इसलिए बारिश के मौसम में सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें जिले के हर व्यक्ति तक जांच का विस्तार किया जा रहा है. मलेरिया के संभावित कारणों जैसे घरों के आस-पास पानी के जमाव, मच्छरदानी का उपयोग न करना और मलेरिया पीड़ितों का दवाईयों को पूरी अवधि तक न खाये जाने के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है.
कलेक्टर ने दिए निर्देश
कलेक्टर ने मलेरिया जांच की प्रक्रिया को पूरे जिले तक प्रसार करने के साथ हर रोज जांचों की संख्या को बढ़ाने और ग्राम स्तर पर लोगों के दैनिक जीवन के व्यवहार में परिवर्तन लाकर मलेरिया को नियंत्रित करने को कहा है. दैनिक व्यवहार परिवर्तन के द्वारा लोगों को मच्छरदानी के प्रयोग, शाम के वक्त ज्यादा से ज्यादा अंगों को ढककर रखने, अपने आस-पास पानी के सम्भावित जमावट जैसे सेप्टिक टैंक, पानी के गढ्ढों, हैण्डपम्प के पास पानी जमाव न होने देने जैसे आदतों का विकास करने का लक्ष्य रखा गया है.
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लक्ष्य के तहत लार्वा के पनपने के सम्भावित स्थानों की भी पहचान की जानी है. साथ ही ऐसे स्थान जहां लार्वा सम्भावित हैं वहां गम्बुजिया मछली डालकर, तेल की परत जमाकर, पानी के पृष्ठ तनाव को कम कर अण्डों को पनपने न देने की कोशिश की जा रही है. वहीं जल निकासी वाले क्षेत्रों में सोखता गढ्ढा, गढ्ढों में मिट्टी पाट कर पानी के जमाव को रोका जाएगा.