कोरबा: बालको नगर सेक्टर-4 वार्ड में भोजली विसर्जन कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में महापौर राजकिशोर प्रसाद और सभापति श्यामसुंदर सोनी शामिल हुए. महापौर ने भोजली त्योहार की शुभकामनाएं देते हुए क्षेत्र के विकास, सुख-शांति तथा सामाजिक समरसता की कामना की. इस दौरान जोन के सभी नागरिकों ने भोजली विसर्जन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के पालन का विशेष ध्यान रखा.
महापौर राजकिशोर ने पूजा अर्चना की और भोजली विसर्जन का कार्यक्रम का संपन्न कराया. इस अवसर पर महापौर ने कहा कि मित्रता और आदर का प्रतीक यह भोजली त्योहार छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार है. साथ ही कहा कि भोजली त्योहार आने वाली अच्छी फसल का प्रतीक भी है. उन्होंने भोजली माता से क्षेत्र के उत्तरोत्तर विकास, सुख-समृद्धि, हरियाली, फसल की अच्छी पैदावार और सभी नागरिकों के बीच आपसी प्रेम व्यवहार और समरसता की मंगलकामना करता हुए प्रार्थना किया. वहीं श्यामसुंदर सोनी ने भी भोजली त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं दी और खुशहाली, हरियाली, आपसी प्रेम, सद्भावना की कामना की.
भोजली का अर्थ
छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार भोजली मित्रता, आदर और विश्वास का प्रतीक है. छत्तीसगढ़ का ये पहला ऐसा त्योहार है, जो सिर्फ अपने अंतिम दिन यानि विसर्जन के दिन के लिए प्रसिद्ध है. भोजली गीत छत्तीसगढ़ की पहचान है. सावन के महीने में भोजली का गीत गाया जाता है.
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भोजली यानि भूमि में जल हो. लोग गीत के माध्यम से यहीं कामना करते हैं. भोजली देवी यानि प्रकृति की पूजा की जाती है. महिलाएं धान, गेहूं, जौ या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकनी में बोती हैं. उस टोकनी में खाद मिट्टी पहले रखती है. जब वे उगता है तो उसे भोजली कहा जाता है. रक्षा बंधन के बाद भोजली को नदी विसर्जन किया जाता है.