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सर्दी में बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर लोगों को वायरस का खतरा: एम्स स्वास्थ्य विशेषज्ञ - एम्स स्वास्थ्य विशेषज्ञ

एच9एन2 (H9N2) सहित सभी वायरस सर्दी के दौरान फैल सकते हैं. सर्दियों के दौरान तापमान अनुकूल रहता है. इससे लोगों में इसके फैलने का खतरा बना रहता है. ईटीवी भारत के गौतम देबरॉय ने एम्स में रुमेटोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. उमा कुमार से इस बारे में बातचीत की. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...Viruses spread during winter

Viruses can spread during winter (symbolic photo)
सर्दियों के दौरान वायरस फैल सकता है (प्रतिकात्मक फोटो )
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 2, 2023, 6:44 AM IST

नई दिल्ली: प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग (rheumatology department ) की प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) उमा कुमार ने कहा कि एच9एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस बड़े पैमाने पर बच्चों, बुजुर्गों, सांस की बीमारी और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है. डॉ. कुमार ने दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा,'बुखार, गले में खराश, निमोनिया इस इन्फ्लूएंजा के सामान्य लक्षण हो सकते हैं.

इसमें शरीर की सभी प्रणालियाँ शामिल हो सकती हैं. यह विशेष रूप से उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, बच्चे, बुजुर्ग लोग. मूल रूप से यह एक श्वसन बीमारी है.' उन्होंने यह भी आगाह किया कि एच9एन2 (H9N2) सहित सभी वायरस सर्दियों के दौरान फैल सकते हैं. सर्दियों के दौरान, तापमान अनुकूल रहता है. लोग काफी करीब रहते हैं जो वायरस के आसानी से फैलने का कारण है.

यह कहते हुए कि वायरल संक्रमण हमेशा चिंता का विषय है क्योंकि वायरस उत्परिवर्तित हो सकते हैं. डॉ. कुमार ने कहा, 'जब वह अधिकांश समय अपना स्वरूप बदलता है तो वे हानिरहित होते हैं लेकिन ये बेहद संक्रामक हो सकते हैं. इस तरह बीमारी की गंभीरता भी बढ़ जाती है. इसलिए, हम कुछ भी अनुमान नहीं लगा सकते. चूँकि हम पूरे वर्ष संक्रमणों के संपर्क में रहते हैं, इसलिए हमारे पास विभिन्न संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होगी, जो हमारी रक्षा कर सकती है.

हमें वैसी सख्ती का सामना नहीं करना पड़ेगा जैसा चीन को झेलना पड़ा. हालाँकि, यह कोई गारंटी नहीं है. हमने देखा है कि कोविड 19 के दौरान क्या हुआ था. इस बात पर जोर देते हुए कि भारत को सतर्क रहने की जरूरत है, डॉ. कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले से ही सावधानी बरतनी शुरू कर दी है. डॉ. कुमार ने कहा,'सरकार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है और विभिन्न अस्पतालों की तैयारियों की समीक्षा भी कर रही है.

हालाँकि, हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पड़ोस में कुछ चल रहा है. इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा. इससे पहले कि हम पर कोई हमला हो जाए, सभी तैयारियां पूरी होनी चाहिए.' सुरक्षा के तौर पर उठाए जाने वाले उपायों के बारे में बात करते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि लोगों को वास्तव में उन मानदंडों का पालन करने की जरूरत है जो कोविड19 के दौरान निर्धारित किए गए थे.

डॉ कुमार ने कहा कि अगर किसी को श्वसन संक्रमण है, तो उसे मास्क का उपयोग करना चाहिए. कुछ रुकावटें होनी चाहिए ताकि वायरस न फैले. खांसने, छींकने और संपर्क में आने से भी यह वायरस नाक, मुंह तक जा सकता है. इसलिए इन सभी संपर्क क्षेत्रों से बचने की जरूरत है. उत्तरी चीन में एच9एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकोप के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में राज्य सरकार को सतर्क रहने का सुझाव दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अपनी ओर से कई निवारक कदम उठाए जैसे कि आइसोलेशन बेड, आइसोलेशन वार्ड, उपकरण और अन्य चिकित्सा बुनियादी ढांचे.

ये भी पढ़ें- कोरोना के बाद अब चीन में फैल रही नई बीमारी से भारत में भी बढ़ा खतरा, जानें डॉक्टर की राय

नई दिल्ली: प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग (rheumatology department ) की प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) उमा कुमार ने कहा कि एच9एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस बड़े पैमाने पर बच्चों, बुजुर्गों, सांस की बीमारी और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है. डॉ. कुमार ने दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा,'बुखार, गले में खराश, निमोनिया इस इन्फ्लूएंजा के सामान्य लक्षण हो सकते हैं.

इसमें शरीर की सभी प्रणालियाँ शामिल हो सकती हैं. यह विशेष रूप से उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, बच्चे, बुजुर्ग लोग. मूल रूप से यह एक श्वसन बीमारी है.' उन्होंने यह भी आगाह किया कि एच9एन2 (H9N2) सहित सभी वायरस सर्दियों के दौरान फैल सकते हैं. सर्दियों के दौरान, तापमान अनुकूल रहता है. लोग काफी करीब रहते हैं जो वायरस के आसानी से फैलने का कारण है.

यह कहते हुए कि वायरल संक्रमण हमेशा चिंता का विषय है क्योंकि वायरस उत्परिवर्तित हो सकते हैं. डॉ. कुमार ने कहा, 'जब वह अधिकांश समय अपना स्वरूप बदलता है तो वे हानिरहित होते हैं लेकिन ये बेहद संक्रामक हो सकते हैं. इस तरह बीमारी की गंभीरता भी बढ़ जाती है. इसलिए, हम कुछ भी अनुमान नहीं लगा सकते. चूँकि हम पूरे वर्ष संक्रमणों के संपर्क में रहते हैं, इसलिए हमारे पास विभिन्न संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होगी, जो हमारी रक्षा कर सकती है.

हमें वैसी सख्ती का सामना नहीं करना पड़ेगा जैसा चीन को झेलना पड़ा. हालाँकि, यह कोई गारंटी नहीं है. हमने देखा है कि कोविड 19 के दौरान क्या हुआ था. इस बात पर जोर देते हुए कि भारत को सतर्क रहने की जरूरत है, डॉ. कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले से ही सावधानी बरतनी शुरू कर दी है. डॉ. कुमार ने कहा,'सरकार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है और विभिन्न अस्पतालों की तैयारियों की समीक्षा भी कर रही है.

हालाँकि, हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पड़ोस में कुछ चल रहा है. इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा. इससे पहले कि हम पर कोई हमला हो जाए, सभी तैयारियां पूरी होनी चाहिए.' सुरक्षा के तौर पर उठाए जाने वाले उपायों के बारे में बात करते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि लोगों को वास्तव में उन मानदंडों का पालन करने की जरूरत है जो कोविड19 के दौरान निर्धारित किए गए थे.

डॉ कुमार ने कहा कि अगर किसी को श्वसन संक्रमण है, तो उसे मास्क का उपयोग करना चाहिए. कुछ रुकावटें होनी चाहिए ताकि वायरस न फैले. खांसने, छींकने और संपर्क में आने से भी यह वायरस नाक, मुंह तक जा सकता है. इसलिए इन सभी संपर्क क्षेत्रों से बचने की जरूरत है. उत्तरी चीन में एच9एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकोप के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में राज्य सरकार को सतर्क रहने का सुझाव दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अपनी ओर से कई निवारक कदम उठाए जैसे कि आइसोलेशन बेड, आइसोलेशन वार्ड, उपकरण और अन्य चिकित्सा बुनियादी ढांचे.

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