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Elephant in danger! देशभर में 14 साल में 1,357 हाथियों की हुई असमय मौत, करंट से 898 ने तोड़ा दम, RTI में खुलासा - आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया

इन दिनों भारतवर्ष में गणेशोत्सव चल रहा है. गणेश जी को गजानन भी कहा जाता है. लेकिन हमारे देश में दुनिया के सबसे बड़े वन्य जीव हाथी पर संकट गहरा रहा है. एक आरटीआई में मांगी गई जानकारी के अनुसार प्रोजेक्ट हाथी के वैज्ञानिक डॉ मुथामिज़ सेलवन की तरफ से जो जवाब मिला है, वो आपके होश उड़ा देगा. क्या है ये जवाब, पढ़िए इस खबर में. Death of elephants in India

Elephant in danger
हाथियों का समाचार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2023, 8:46 AM IST

Updated : Sep 22, 2023, 2:46 PM IST

RTI एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया ने हाथियों को लेकर जानकारी मांगी थी

हल्द्वानी (उत्तराखंड): देश में हाथियों पर लगातार संकट मंडरा रहा है. आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पिछले 14 साल में देश के विभिन्न राज्यों में 1,357 हाथियों की मौत हुई है. इसमें करंट से 898, ट्रेन से कटकर 228, शिकारियों द्वारा 191 हाथी मारे गए हैं. 40 हाथियों को जहर खिलाकर मौत के घाट उतारा गया है.

आरटीआई में हाथियों पर बड़ा खुलासा: उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि जून माह में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ सूचनाएं मांगी थीं. प्रोजेक्ट हाथी देख रहे वैज्ञानिक डॉ. मुथामिज़ सेलवन की तरफ से जवाब आया. जवाब में बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत करंट से हुई है.

14 साल में असमय मर गए 1,357 हाथी: पिछले 13 साल में 898 हाथियों की करंट लगने से मौत हुई है. हाथियों की मौत का दूसरा बड़ा कारण ट्रेन से कटकर मौत होना बताया गया है. ट्रेन से कटकर 228 हाथियों ने जान गंवाई है. ट्रेन से कटकर उत्तराखंड में 27 हाथी मारे जा चुके हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश में हाथियों की अनुमानित संख्या में नार्थ ईस्ट के अरुणाचल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, वेस्ट बंगाल, मणिपुर और मिज़ोरम में मिलाकर 10,139 हाथी हैं.

Elephant in danger
देश में हाथियों की मौत का आंकड़ा

भारत में हैं 29, 964 हाथी: ईस्ट सेंट्रल रीजन में ओडिसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल (दक्षिण) में 3,128 हाथी हैं. नार्थ वेस्ट रीजन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल में 2,085 हाथी हैं. दक्षिणी क्षेत्र के केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार आइलैंड में हाथियों की संख्या 14,612 है. हाथियों का देश भर में कुल योग 29,964 है.
ये भी पढ़ें: तराई वन प्रभाग में दो सप्ताह के अंदर एक और हाथी की मौत, पड़ताल में जुटा वन महकमा

वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल: आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि जिस तरह से देश में हाथियों की आकस्मिक मौत हो रही है, कहीं न कहीं वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. भारी भरकम विभाग को बजट भी काफी बड़ा मिलता है. उसके बावजूद भी हाथियों की असामयिक मौत चिंताजनक बन रही है. ऐसे में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय को हाथियों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है.
ये भी पढ़ें: Elephant died in accident: हरिद्वार में ट्रेन की टक्कर से हाथी की मौत, झुंड से भटक गया था गजराज

वन और वन्यजीवों के लिए मिली धनराशि: आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014-15 में जहां वन्यजीव के हैबिटेट बचने के लिए भारत के राज्यों को ₹6,588.99857 लाख की धनराशि मिली थी. वहीं वर्ष 2022-23 में ये धनराशि ₹5,648.84523 लाख रह गई. केंद्र ने हाथी संरक्षण के लिए वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश में ₹5.16 लाख तो उत्तराखंड में ₹103.908 लाख खर्च किये. वर्ष 2022-23 में अबतक दोनों राज्यों के सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं हुए हैं.

उत्तराखंड में हादसों में मरे 78 हाथी: बात उत्तराखंड की करें तो वर्ष 2001 से आज तक 508 हाथियों की मौत बड़ा आंकड़ा सामने आया है. वर्ष 2001 से लेकर अब तक कुल 184 हाथी प्राकृतिक मौत मरे. आपसी संघर्ष में 96 हाथी मारे गए. जबकि विभिन्न दुर्घटनाओं में 78 हाथी मारे गए. इसके अलावा करंट लगने से 43, जहर खिलाकर मारने से एक हाथी की मौत हुई. नौ हाथी पोचिंग में मारे गए तो 27 हाथियों की मौत ट्रेन से कटकर हुई है.

RTI एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया ने हाथियों को लेकर जानकारी मांगी थी

हल्द्वानी (उत्तराखंड): देश में हाथियों पर लगातार संकट मंडरा रहा है. आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पिछले 14 साल में देश के विभिन्न राज्यों में 1,357 हाथियों की मौत हुई है. इसमें करंट से 898, ट्रेन से कटकर 228, शिकारियों द्वारा 191 हाथी मारे गए हैं. 40 हाथियों को जहर खिलाकर मौत के घाट उतारा गया है.

आरटीआई में हाथियों पर बड़ा खुलासा: उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने बताया कि जून माह में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ सूचनाएं मांगी थीं. प्रोजेक्ट हाथी देख रहे वैज्ञानिक डॉ. मुथामिज़ सेलवन की तरफ से जवाब आया. जवाब में बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत करंट से हुई है.

14 साल में असमय मर गए 1,357 हाथी: पिछले 13 साल में 898 हाथियों की करंट लगने से मौत हुई है. हाथियों की मौत का दूसरा बड़ा कारण ट्रेन से कटकर मौत होना बताया गया है. ट्रेन से कटकर 228 हाथियों ने जान गंवाई है. ट्रेन से कटकर उत्तराखंड में 27 हाथी मारे जा चुके हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश में हाथियों की अनुमानित संख्या में नार्थ ईस्ट के अरुणाचल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, वेस्ट बंगाल, मणिपुर और मिज़ोरम में मिलाकर 10,139 हाथी हैं.

Elephant in danger
देश में हाथियों की मौत का आंकड़ा

भारत में हैं 29, 964 हाथी: ईस्ट सेंट्रल रीजन में ओडिसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल (दक्षिण) में 3,128 हाथी हैं. नार्थ वेस्ट रीजन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल में 2,085 हाथी हैं. दक्षिणी क्षेत्र के केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार आइलैंड में हाथियों की संख्या 14,612 है. हाथियों का देश भर में कुल योग 29,964 है.
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वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल: आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि जिस तरह से देश में हाथियों की आकस्मिक मौत हो रही है, कहीं न कहीं वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. भारी भरकम विभाग को बजट भी काफी बड़ा मिलता है. उसके बावजूद भी हाथियों की असामयिक मौत चिंताजनक बन रही है. ऐसे में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय को हाथियों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है.
ये भी पढ़ें: Elephant died in accident: हरिद्वार में ट्रेन की टक्कर से हाथी की मौत, झुंड से भटक गया था गजराज

वन और वन्यजीवों के लिए मिली धनराशि: आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014-15 में जहां वन्यजीव के हैबिटेट बचने के लिए भारत के राज्यों को ₹6,588.99857 लाख की धनराशि मिली थी. वहीं वर्ष 2022-23 में ये धनराशि ₹5,648.84523 लाख रह गई. केंद्र ने हाथी संरक्षण के लिए वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश में ₹5.16 लाख तो उत्तराखंड में ₹103.908 लाख खर्च किये. वर्ष 2022-23 में अबतक दोनों राज्यों के सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं हुए हैं.

उत्तराखंड में हादसों में मरे 78 हाथी: बात उत्तराखंड की करें तो वर्ष 2001 से आज तक 508 हाथियों की मौत बड़ा आंकड़ा सामने आया है. वर्ष 2001 से लेकर अब तक कुल 184 हाथी प्राकृतिक मौत मरे. आपसी संघर्ष में 96 हाथी मारे गए. जबकि विभिन्न दुर्घटनाओं में 78 हाथी मारे गए. इसके अलावा करंट लगने से 43, जहर खिलाकर मारने से एक हाथी की मौत हुई. नौ हाथी पोचिंग में मारे गए तो 27 हाथियों की मौत ट्रेन से कटकर हुई है.

Last Updated : Sep 22, 2023, 2:46 PM IST
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