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Vishwakarma Jayanti 2022 पर जानिए पाताल भुवनेश्वर गुफा में निर्मित कुंड का महत्व - Vishwakarma Puja

आज विश्वकर्मा जयंती है. मान्यता है कि आज के दिन सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी के सातवें पुत्र विश्वकर्मा भगवान का जन्म हुआ था. आज हम आपको विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर विश्वकर्मा द्वारा निर्मित कुंड के बार में बताएंगे.

Vishwakarma Jayanti
विश्वकर्मा जयंती
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Published : Sep 17, 2022, 11:22 AM IST

बेरीनाग: 17 सितंबर को हर साल विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2022) मनाई जाती है. हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. आज हम आपको हिमालय की उन सुरम्य घाटियों में विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर विश्वकर्मा द्वारा निर्मित कुंड (Vishwakarma Kund) के बार में बताएंगे. मानस कांड के स्कंद पुराण में वर्णित है द्वापर युग में जब पांडव गुफा में आए थे, उन्होंने भगवान शंकर के साथ चौपड़ खेला था, तब वह विश्वकर्मा जी को अपने साथ में लेकर आए थे.

स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) ने 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी देवताओं के सामने इस कुंड का निर्माण किया था. भगवान शंकर की जटाओं से भागीरथी गंगा का जल इसी कुंड में जमा होता है. इसी जल से पाताल लोक के देवी देवताओं का अभिषेक होता है. आज विश्वकर्मा जयंती पर पाताल में इसी स्थान पर विश्वकर्मा जी का पूजन किया जाता है.

पाताल भुवनेश्वर गुफा में निर्मित कुंड का महत्व.

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने बताया कि पूजा को लेकर यहां पर तैयारी की गयी है. इस पूजा का अपने आप में अहम महत्व है. पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर 33 कोटी देवता हैं, जिनका अपना विशेष महत्व है. इस गुफा के दर्शन के लिए वर्ष भर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है.
पढ़ें- पशुओं की मंगलकामना के लिए कुमाऊं में मनाया जा रहा लोक पर्व खतड़ुवा

विश्वकर्मा जी ने सृष्टि को संवारा: मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी के सातवें पुत्र विश्वकर्मा भगवान का जन्म हुआ था. भगवान विश्वकर्मा ही ऐसे देवता हैं, जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं. संपूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है, वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है. यानी भगवान विश्वकर्मा ही दुनिया के पहले शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर थे. मान्यता है कि जब ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसे सजाने-संवारने का काम विश्वकर्मा भगवान ने किया था.

बेरीनाग: 17 सितंबर को हर साल विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2022) मनाई जाती है. हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. आज हम आपको हिमालय की उन सुरम्य घाटियों में विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर विश्वकर्मा द्वारा निर्मित कुंड (Vishwakarma Kund) के बार में बताएंगे. मानस कांड के स्कंद पुराण में वर्णित है द्वापर युग में जब पांडव गुफा में आए थे, उन्होंने भगवान शंकर के साथ चौपड़ खेला था, तब वह विश्वकर्मा जी को अपने साथ में लेकर आए थे.

स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) ने 33 कोटि यानी 33 प्रकार के देवी देवताओं के सामने इस कुंड का निर्माण किया था. भगवान शंकर की जटाओं से भागीरथी गंगा का जल इसी कुंड में जमा होता है. इसी जल से पाताल लोक के देवी देवताओं का अभिषेक होता है. आज विश्वकर्मा जयंती पर पाताल में इसी स्थान पर विश्वकर्मा जी का पूजन किया जाता है.

पाताल भुवनेश्वर गुफा में निर्मित कुंड का महत्व.

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने बताया कि पूजा को लेकर यहां पर तैयारी की गयी है. इस पूजा का अपने आप में अहम महत्व है. पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर 33 कोटी देवता हैं, जिनका अपना विशेष महत्व है. इस गुफा के दर्शन के लिए वर्ष भर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है.
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विश्वकर्मा जी ने सृष्टि को संवारा: मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी के सातवें पुत्र विश्वकर्मा भगवान का जन्म हुआ था. भगवान विश्वकर्मा ही ऐसे देवता हैं, जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं. संपूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है, वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है. यानी भगवान विश्वकर्मा ही दुनिया के पहले शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर थे. मान्यता है कि जब ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसे सजाने-संवारने का काम विश्वकर्मा भगवान ने किया था.

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