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Shankaracharya on RSS: शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने RSS पर बोला हमला, कहा- उनके पास कोई ग्रंथ नहीं

बुधवार को बिलासपुर में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्मसभा में आरएसएस पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा किसी के पास बाइबल है, किसी के पास कुरान, किसी के पास गुरु ग्रंथ है. लेकिन आरएसएस के पास कोई ग्रंथ नहीं है. ऐसे में वे किस आधार पर काम करेंगे और राज करेंगे. Shankaracharya on RSS

Shankaracharya statement on rss
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
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Published : Apr 13, 2023, 9:17 AM IST

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

बिलासपुर: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बिलासपुर प्रवास पर हैं. बुधवार को शंकराचार्य के विशाल धर्मसभा का आयोजन बिलासपुर के सीएमडी कॉलेज मैदान में हुआ. इस दौरान श्कराचार्य ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था और देश की स्थिति को लेकर खुलकर बात की. शंकराचार्य ने सभा के दौरान आरएसएस को लेकर कई बड़ी बातें भी कही.

शंकराचार्य ने आरएसएस को आड़े हाथों लिया: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि 62 साल पहले वे जब दिल्ली में विद्यार्थी थे, उस समय आरएसएस के जितने संचालक थे, उनके बड़े भाई के पास आते थे. शंकराचार्य ने कहा कि वे किसी भी संगठन के विरोधी नहीं हैं. लेकिन आरएसएस के पास परंपरा प्राप्त कोई ग्रंथ नहीं है. इससे ज्यादा नाजुक स्थिति कुछ नहीं हो सकती है.

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि "आरएसएस के पास कोई ग्रंथ का आश्रय ही नहीं है. परंपरा प्राप्त कोई गुरु, कोई नेता भी नहीं है. बिना ग्रंथ, गुरु और गोविंद के कहां जाएंगे. जहां भी जाएंगे घूम फिर कर यहीं आएंगे, नहीं तो भटकते रहेंगे."

यह भी पढ़ें: Bilaspur : भारत विभाजन देश के राजनेताओं की देन, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का बयान

राजनीति का नाम राजधर्म: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि "राजनीति का नाम राज धर्म है. धर्म की सीमा के बाहर कभी भी राजनीति नहीं होती है. राजनीति मतलब राजधर्म, अर्थ, नीति, छात्र, धर्म यह एकार्थक है. धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं होनी चाहिए. राजनीति का अर्थ ही होता है राजधर्म, जो सार्थक होते हैं उनका धर्म होता है, प्रजा के हित में अपने जीवन का अनुपालन और उपयोग करना. धर्म विहीन राजनीति की कल्पना नहीं कर सकते, लेकिन धार्मिक जगत में हस्तक्षेप करके मठ मंदिरों की मर्यादा को विकृत करना राजनीति नहीं है, राजनीति के नाम का उन्माद है. हिंदू खतरे में नहीं है, हिंदू धर्म को ना जानने वाले और उसे ना मानने वाले खतरे में हैं."

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

बिलासपुर: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बिलासपुर प्रवास पर हैं. बुधवार को शंकराचार्य के विशाल धर्मसभा का आयोजन बिलासपुर के सीएमडी कॉलेज मैदान में हुआ. इस दौरान श्कराचार्य ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था और देश की स्थिति को लेकर खुलकर बात की. शंकराचार्य ने सभा के दौरान आरएसएस को लेकर कई बड़ी बातें भी कही.

शंकराचार्य ने आरएसएस को आड़े हाथों लिया: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि 62 साल पहले वे जब दिल्ली में विद्यार्थी थे, उस समय आरएसएस के जितने संचालक थे, उनके बड़े भाई के पास आते थे. शंकराचार्य ने कहा कि वे किसी भी संगठन के विरोधी नहीं हैं. लेकिन आरएसएस के पास परंपरा प्राप्त कोई ग्रंथ नहीं है. इससे ज्यादा नाजुक स्थिति कुछ नहीं हो सकती है.

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि "आरएसएस के पास कोई ग्रंथ का आश्रय ही नहीं है. परंपरा प्राप्त कोई गुरु, कोई नेता भी नहीं है. बिना ग्रंथ, गुरु और गोविंद के कहां जाएंगे. जहां भी जाएंगे घूम फिर कर यहीं आएंगे, नहीं तो भटकते रहेंगे."

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राजनीति का नाम राजधर्म: शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि "राजनीति का नाम राज धर्म है. धर्म की सीमा के बाहर कभी भी राजनीति नहीं होती है. राजनीति मतलब राजधर्म, अर्थ, नीति, छात्र, धर्म यह एकार्थक है. धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं होनी चाहिए. राजनीति का अर्थ ही होता है राजधर्म, जो सार्थक होते हैं उनका धर्म होता है, प्रजा के हित में अपने जीवन का अनुपालन और उपयोग करना. धर्म विहीन राजनीति की कल्पना नहीं कर सकते, लेकिन धार्मिक जगत में हस्तक्षेप करके मठ मंदिरों की मर्यादा को विकृत करना राजनीति नहीं है, राजनीति के नाम का उन्माद है. हिंदू खतरे में नहीं है, हिंदू धर्म को ना जानने वाले और उसे ना मानने वाले खतरे में हैं."

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