ETV Bharat / bharat

भारतीय चाय बागानों पर यूक्रेन युद्ध का असर, रूस को निर्यात रुकने से संकट में कारोबारी - tea industry may face a loss of around Rs 500 crore

यूक्रेन-रूस के बीच चल रही लड़ाई का असर भारत में टी (TEA) -सेक्टर पर भी पड़ा है. इस युद्ध के कारण भारत से रूस को होने वाले चाय के निर्यात में कमी आई है. आशंका जताई जा रही है कि इससे भारत को करीब 500 करोड़ का नुकसान होगा.

Assam's tea industry
Assam tea industry
author img

By

Published : Mar 28, 2022, 10:32 PM IST

मोरन (असम): भारत के असम और पश्चिम बंगाल की चाय की मांग दुनिया भर में है. मगर यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण चाय के एक्सपोर्ट पर भी निगेटिव असर पड़ा है. रूस असम की चाय का सबसे बड़ा खरीदार है, मगर लड़ाई के कारण अब भारतीय चाय का निर्यात काफी कम हो गया. 2020 में कोरोना वायरस की लहर के बावजूद भारत ने रुस को 25.22 मीट्रिक टन चाय का निर्यात किया था. तब चाय की मार्केट वैल्यू 453.26 करोड़ रुपये थी. 2021 में भारत ने 27.24 मीट्रिक टन चाय का निर्यात किया था, जिसकी अनुमानित कीमत 487.04 आंकी गई थी. मगर जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, रूस को चाय का निर्यात नहीं हो रहा है. रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते डॉलर के भुगतान में दिक्कत आ रही है.

भारतीय बागानों से करीब 20 फीसदी चाय, रूस को निर्यात की जाती है. मगर हालत यह है कि फरवरी व मार्च के लिए किए पुराने ऑर्डर का निर्यात नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा यूक्रेन में भी भारतीय चाय की डिमांड रहती है. युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन से भी नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक रूस में निर्यात ठप होने के कारण चाय कारोबारियों को 500 करोड़ का नुकसान हो सकता है. इस नुकसान का असर आसाम के चाय उत्पादकों और श्रमिकों पर पड़ेगा. युद्ध के कारण पहले ही चाय की कीमतों में गिरावट आई है. दक्षिण भारत के चाय बागानों में नीलामी के दौरान चायपत्ती की कीमत प्रति किलो 10 से 15 रुपये की कम बोली लगाई गई. अप्रैल की शुरूआत में चाय बागानों में नए पत्ते आएंगे. आशंका जताई जा रही है कि तब आसाम में भी नीलामी के दौरान चाय की कीमतें गिरेंगी. इसका असर चाय के बड़े और छोटे उत्पादकों पर भी पड़ सकता है. बता दें कि चुनौतियों से जूझने के बाद प्रदेश के कई चाय बागान बंद हो चुके हैं और कइयों में प्रोडक्शन बहुत कम हो गया है. अगर यूक्रेन युद्ध और लंबा चला तो असम के कई चाय बागान बंद हो सकते हैं.

मोरन (असम): भारत के असम और पश्चिम बंगाल की चाय की मांग दुनिया भर में है. मगर यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण चाय के एक्सपोर्ट पर भी निगेटिव असर पड़ा है. रूस असम की चाय का सबसे बड़ा खरीदार है, मगर लड़ाई के कारण अब भारतीय चाय का निर्यात काफी कम हो गया. 2020 में कोरोना वायरस की लहर के बावजूद भारत ने रुस को 25.22 मीट्रिक टन चाय का निर्यात किया था. तब चाय की मार्केट वैल्यू 453.26 करोड़ रुपये थी. 2021 में भारत ने 27.24 मीट्रिक टन चाय का निर्यात किया था, जिसकी अनुमानित कीमत 487.04 आंकी गई थी. मगर जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, रूस को चाय का निर्यात नहीं हो रहा है. रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते डॉलर के भुगतान में दिक्कत आ रही है.

भारतीय बागानों से करीब 20 फीसदी चाय, रूस को निर्यात की जाती है. मगर हालत यह है कि फरवरी व मार्च के लिए किए पुराने ऑर्डर का निर्यात नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा यूक्रेन में भी भारतीय चाय की डिमांड रहती है. युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन से भी नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक रूस में निर्यात ठप होने के कारण चाय कारोबारियों को 500 करोड़ का नुकसान हो सकता है. इस नुकसान का असर आसाम के चाय उत्पादकों और श्रमिकों पर पड़ेगा. युद्ध के कारण पहले ही चाय की कीमतों में गिरावट आई है. दक्षिण भारत के चाय बागानों में नीलामी के दौरान चायपत्ती की कीमत प्रति किलो 10 से 15 रुपये की कम बोली लगाई गई. अप्रैल की शुरूआत में चाय बागानों में नए पत्ते आएंगे. आशंका जताई जा रही है कि तब आसाम में भी नीलामी के दौरान चाय की कीमतें गिरेंगी. इसका असर चाय के बड़े और छोटे उत्पादकों पर भी पड़ सकता है. बता दें कि चुनौतियों से जूझने के बाद प्रदेश के कई चाय बागान बंद हो चुके हैं और कइयों में प्रोडक्शन बहुत कम हो गया है. अगर यूक्रेन युद्ध और लंबा चला तो असम के कई चाय बागान बंद हो सकते हैं.

पढ़ें : तेलंगाना में बिके दो नवजात, एक के मां-बाप लाचार, दूसरे का पिता निकला लालची

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.