रायपुर : छत्तीसगढ़ में पहली बार संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक होनी है. इस बैठक के पहले 7 सितंबर से 9 सितंबर तक निर्णय टोली की बैठक होगी. जिसमें हिस्सा लेने संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) आज राजधानी रायपुर पहुंचे हैं.
संघ के कई पदाधिकारी पहुंचे रायपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के साथ निर्णय टोली के करीब दो दर्जन सदस्य रायपुर (RSS chief Mohan Bhagwat Chhattisgarh visit) पहुंचे. आपको बता दें कि 7 सितंबर से 9 सितंबर तक निर्णय टोली की बैठक होनी है. 7 सितंबर से 9 सितंबर तक निर्णय टोली की बैठक में 10 से 12 सितंबर तक होने वाली तीन दिनों की बैठक को लेकर पूरा फैसला होगा कि किस दिन किस मुद्दे पर चर्चा होगी. इसमें तय एजेंडों के मुताबिक ही समन्वयक समिति की बैठक होगी. समन्वयक समिति की बैठक में रोज के लिए करीब एक दर्जन संघ के एजेंडे तय होंगे. 3 दिनों में तीन दर्जन संघ के एजेंडे तय करने के बाद इन पर 3 दिनों तक मंथन (Big meeting of RSS in Raipur ) होगा.
बैठक में कौन-कौन होगा शामिल : संघ की समन्वय बैठक में भारतीय किसान संघ के दिनेश कुलकर्णी, विद्या भारतीय के रामकृष्ण राव, जी एम काशीपति शामिल होंगे. इसमें राष्ट्र सेविका समिति, वनवासी कल्याण आश्रम से प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.इस बैठक में सभी अपने अपने कार्य एवं उपलब्धियों पर प्रस्तुति के साथ कार्यो के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे. बैठक में सामाजिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों सहित वैचारिक क्षेत्र, आर्थिक जगत, सेवा कार्यों के बारे में गहन चर्चा की जाएगी. संघ ऐसे संगठनों में कार्यरत सक्रिय स्वयंसेवकों के साथ समन्वय रखता (Raipur latest news ) है.
बैठक में किन चीजों पर होगा फोकस : सूत्रों की माने तो मिशन 2023 को लेकर भाजपा, आरएसएस और आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों की क्या भूमिका होगी, इस पर विस्तार से विचार-मंथन कर रणनीति बनाई जाएगी. बैठक में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागत, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई संगठनों के प्रमुख् पदाधिकारी शामिल होंगे. बैठक में संघ परिवार के 37 आनुषांगिक संगठनों के 200 से ज्यादा पदाधिकारी शामिल होने आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार सभी पदाधिकारी 9 सितंबर तक पहुंच जाएंगे. रहने की व्यवस्था जैनम मानस भवन में ही होगी.आरएसएस के स्थानीय स्वयंसेवक जो व्यवस्था में रहेंगे, उनके अलावा किसी को भी भीतर जाने की अनुमति नहीं होगी.
क्यों RSS पर भाजपा ने जताया है भरोसा : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को मिली करारी हार ने पार्टी को चिंता में डाल दिया है . 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटों पर सिमट गई. उसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव, नगरी निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है.लगातार हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के दिग्गज नेताओं को किनारे करते हुए आरएसएस के नेताओं पर भरोसा जताया है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए इस बार आरएसएस की पृष्ठभूमि से जुड़े नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है हाल फिलहाल में जो भी पार्टी में नियुक्ति की गई है. उनमें RSS बैकग्राउंड वाले लोगों को शामिल किया गया है. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता में वापस लाने की जिम्मेदारी आरएसएस की तिकड़ी राष्ट्रीय सगसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के साथ भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष बिलासपुर के सांसद अरुण साव को सौंपी है. भाजपा इनके भरोसे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है. वहीं सरकार को सदन में घेरने धरमलाल कौशिक के स्थान पर नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब संगठन महामंत्रियों और जिला अध्यक्षों को बदला (RSS meeting in raipur) जाएगा.
बैठक को लेकर कांग्रेस का तर्क : प्रदेश में आरएसएस की बढ़ती भूमिका को देखते हुए कांग्रेस सतर्क हो गई है. लगातार एक के बाद एक RSS पर हमला बोला जा रहा है. आगामी दिनों में होने वाली बैठक के दौरान आरएसएस के द्वारा चुनावी रणनीति बनाने के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि '' वह तो सांस्कृतिक संगठन है, उसे चुनाव से क्या लेना देना, वह आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की रणनीति क्यों बनाएगी.'' कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भी भाजपा सहित RSS पर जोरदार हमला बोला है. सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि '' भाजपा के स्थानीय नेता जनता का भरोसा खो चुके हैं. यही वजह है कि एक के बाद एक अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का छत्तीसगढ़ प्रवास हो रहा है. यहां तक की छत्तीसगढ़ में होने वाले आंदोलन में भी भाजपा के राष्ट्रीय नेता शामिल हो रहे हैं. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अब भाजपा के राष्ट्रीय नेता आ रहे हैं. RSS भी आ रही है. जो अपने आप को गैर राजनीतिक संगठन बताती है. ऐसे में भाजपा और आरएसएस कितनी भी कोशिश कर ले, छत्तीसगढ़ में उनकी कोशिश फिजूल साबित होगी.'