रायपुर: मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर कांग्रेस ने भाजपा पर 9 सवाल दागे. तिलमिलाई भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस से 27 सवाल पूछ लिए. मामला इतने पर ही नहीं रुका. कांग्रेस ने इस बार भाजपा से 91 सवाल पूछ लिए. हालांकि जवाब ना तो 9 सवाल का आया, न 27 सवालों का और न ही 91 का. छत्तीसगढ़ की जनता कांग्रेस और बीजेपी से सभी 127 सवालों का जवाब मांग रही है. आखिर क्या हैं ये 127 सवाल, इनका छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा, आइए जानने की कोशिश करते हैं.
9 साल में किए गए 91 वादों का बीजेपी दे जवाब-कांग्रेस: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "मोदी सरकार के 9 साल पूरे हुए. ऐसे में सवाल विपक्ष में बैठे कांग्रेस को करना है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से सवाल पूछा है, मोदी से उनके वादों का हिसाब अब जनता और विपक्ष मांग रही है. लेकिन भाजपा उनका जवाब देने की बजाय उल्टा 27 सवाल पूछ रही है. यह लोग अपनी गालियां गिनते हैं. 91 गालियां दी गई है, जबकि जनता बता रही है कि आपने 91वादे किए थे, जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है. सवाल के बदले सवाल पूछने की बजाय युवाओं के रोजगार, किसानों की आय दोगुनी, पेट्रोल डीजल, सिलेंडर के दाम कम नहीं हुए, इसका जवाब भारतीय जनता पार्टी को देना चाहिए."
"यह जुमले की राजनीति करते हैं. अपने दम पर इन्होंने कभी कुछ नहीं किया. आज तक न तो एक बांध बनाया और न ही कोई नया उपक्रम शुरू किया. 9 साल की उपलब्धि की बात करते हैं. नोटबंदी की है. 2000 के नोट छापे फिर बंद कर दिया." -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग
मोदी सरकार ने जनता को दिया है जवाब-भाजपा: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि "यह भाजपा का सवाल नहीं, बल्कि आम छत्तीसगढ़ीयों का सवाल है, जो सवाल पिछले साल 4 साल से जनता कांग्रेस सरकार से कर रही है. इस प्रकार गोलमोल घुमाकर सवाल दागने से आप अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं."
"सत्ताधीश का काम है सवाल का जवाब देना, न कि फिर से नए सवाल करना. केंद्र सरकार की बात की जाए तो मोदी सरकार ने जनता के सामने हर सवालों का जवाब दिया है. कांग्रेस ने जो सवाल किए हैं वह राजनीति से प्रेरित हैं." -गौरीशंकर श्रीवास, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
मोदी से कांग्रेस अपना रही जवाब ना देने की परंपरा: वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी जवाब न देने की परंपरा को लोकतंत्र और राजनीतिक दलों के लिए अच्छा नहीं मानते. रामअवतार तिवारी के मुताबिक "जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब से उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दूसरी पार्टियों या आम जनता के सवालों का जवाब देना बंद कर दिया. अब यही परंपरा और सीख दूसरी पार्टियों को भी मिल गई है जो कि एक गलत परंपरा है. सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टेलीविजन पर बात रखी जा सकती है. बावजूद इसके जवाब क्यों नहीं आ रहा है यह अपने आप में बड़ा सवाल है. यदि यह जवाब नहीं आएंगे तो आने वाले समय में जनता इन दलों को जवाब देगी."
"वोट के सही उपयोग से आपके 1 वोट से नेता, मंत्री, विधायक और सांसद मान सम्मान पाते हैं. ऐसे लोगों पर जनता नजर रख रही है. नैतिकता के नाते सभी दलों को पूछे गए सवालों का जवाब देना चाहिए." -रामअवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार
दोनों ही दल बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. लेकिन इस समस्या के समाधान के लिए न तो कांग्रेस ने कोई बड़ी पहल की है और न ही बीजेपी ने. यही वजह है कि जनता को उनके सवालों के जवाब आज तक नहीं मिल पाए हैं.