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सुप्रीम कोर्ट में याचिका, कश्मीर नरसंहार के पीड़ित हिंदुओं और सिखों के पुनर्वास की मांग - NGO We the Citizens kashmiri pandit rehabilitaion

साल 1989-90 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से जुड़े मामले में एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जनहित याचिका दायर की है (Kashmiri pandits organisation moves sc). पीआईएल के जरिए मामले की जांच की मांग की गई है, साथ ही अपील की गई है कि हिंदुओं और सिखों का पुनर्वास कराया जाए.

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Published : Mar 28, 2022, 5:07 PM IST

Updated : Mar 28, 2022, 6:22 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर साल 1989-90 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार मामले की जांच की अपील की गई है. इसके साथ ही नरसंहार के बाद जिन हिंदुओं और सिखों को घाटी छोड़नी पड़ी उन्हें फिर से बसाने की मांग की गई है. इसी महीने एक पुनर्विचार याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर कर कश्मीरी पंडितों की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) वकील बरुन सिन्हा के माध्यम से एनजीओ 'वी द सिटिजन्स' (NGO We the Citizens) ने दायर की है. याचिका में नरसंहार के लिए प्रशासन और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया है. याचिका में कहा गया है कि प्रशासन और पुलिस ने कुछ नहीं किया इसलिए इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने जान गंवाई. याचिका में कहा गया है कि जिन लोगों को घाटी छोड़नी पड़ी उनके घर और संपत्तियों पर भी अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया. याचिकाकर्ता ने 1990 के बाद की सभी संपत्तियों की बिक्री को शून्य घोषित करने की मांग की है.

2017 में भी शीर्ष अदालत में कश्मीरी पंडितों के पलायन के संबंध में एक मामला पहुंचा था. अदालत ने जांच की मांग करने वाली याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि बहुत ज्यादा समय बीत चुका है ऐसे में सबूतों को साबित कर पाना मुश्किल होगा. इसके खिलाफ कश्मीरी पंडितों की संस्था 'रूट्स इन कश्मीर' ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

पढ़ें- कश्मीरी पंडित फिर SC पहुंचे, नरसंहार की दोबारा जांच कराने की अपील

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर साल 1989-90 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार मामले की जांच की अपील की गई है. इसके साथ ही नरसंहार के बाद जिन हिंदुओं और सिखों को घाटी छोड़नी पड़ी उन्हें फिर से बसाने की मांग की गई है. इसी महीने एक पुनर्विचार याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर कर कश्मीरी पंडितों की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) वकील बरुन सिन्हा के माध्यम से एनजीओ 'वी द सिटिजन्स' (NGO We the Citizens) ने दायर की है. याचिका में नरसंहार के लिए प्रशासन और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया है. याचिका में कहा गया है कि प्रशासन और पुलिस ने कुछ नहीं किया इसलिए इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने जान गंवाई. याचिका में कहा गया है कि जिन लोगों को घाटी छोड़नी पड़ी उनके घर और संपत्तियों पर भी अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया. याचिकाकर्ता ने 1990 के बाद की सभी संपत्तियों की बिक्री को शून्य घोषित करने की मांग की है.

2017 में भी शीर्ष अदालत में कश्मीरी पंडितों के पलायन के संबंध में एक मामला पहुंचा था. अदालत ने जांच की मांग करने वाली याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि बहुत ज्यादा समय बीत चुका है ऐसे में सबूतों को साबित कर पाना मुश्किल होगा. इसके खिलाफ कश्मीरी पंडितों की संस्था 'रूट्स इन कश्मीर' ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

पढ़ें- कश्मीरी पंडित फिर SC पहुंचे, नरसंहार की दोबारा जांच कराने की अपील

Last Updated : Mar 28, 2022, 6:22 PM IST
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