कोलकाता: जल्द ही मलेरिया का ऐसा टीका आने वाला है जो बाकी सभी दवाओं से बेहतर होगा (Malaria vaccine to come soon). इसके लिए भारतीय डॉक्टर अनुसंधान कर रहे हैं. एक घरेलू फार्मा कंपनी बहुत जल्द यहां दूसरे चरण का परीक्षण शुरू करने जा रही है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में इस दवा का ट्रायल चल रहा था.
मलेरिया आमतौर पर 4 प्रकार का होता है - प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम), प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (पी. विवैक्स), प्लाज्मोडियम ओवले (पी. ओवले) और प्लाज्मोडियम मलेरिया (पी. मलेरिया). जबकि पूर्वी भारत में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाइवैक्स अधिक प्रचलित हैं.
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम सितंबर से फरवरी समय अवधि में ज्यादा होता है. इस मामले में डॉ. देबाशीष चटर्जी कहते हैं, 'वर्तमान में क्लोरोक्वीन का उपयोग किया जाता है. डॉक्टर इंजेक्शन आर्टेमिसिनिन समूह की दवाओं का उपयोग करते हैं. ये सभी 1970 के दशक की दवाएं हैं. लेकिन ये अब मानव शरीर पर कम असर करती हैं. प्रतिरक्षा के अलावा, कुनैन के अधिक दुष्प्रभाव होते हैं. यह शर्करा के स्तर को कम करती है. हृदय को प्रभावित करती है.'
उन्होंने बताया कि नतीजतन, इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नई दवाएं आ रही हैं. एक घरेलू फार्मा कंपनी बहुत जल्द हमारे शहर में दूसरे चरण का परीक्षण शुरू करने जा रही है. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में इस दवा का ट्रायल चल रहा था.
वैक्सीन के ट्रायल फैसिलिटेटर स्नेहेंदु कोनार (Vaccine Trial Facilitator Snehendu Konar ) ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया में इस वैक्सीन का ट्रायल पहले ही हो चुका है. भारत की तरह ही मलेरिया की इन दो किस्मों का असर वहां भी एक जैसा है. अच्छे नतीजे सामने आए हैं.'
परीक्षण पश्चिम बंगाल में जल्द ही शुरू होगा. घरेलू दवा होने के कारण इसकी कीमत काफी कम होगी. पता चला है कि यह ट्रायल नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन हॉस्पिटल में किया जाएगा. कुल 145 लोगों पर यह ट्रायल 43 दिनों तक चलेगा.
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