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Republic Day 2023: राजपथ पर नहीं यहां हुई थी पहली परेड, 100 विमानों ने दिखाए थे करतब - First Republic Day Prade

First Republic Day Prade भारत के गणतंत्र बनने के पांच साल बाद 1955 में राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड आयोजित की गई थी. उससे पहले 1950 से 1954 के बीच इरविन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में परेड का आयोजन किया जाता था. आपको बता दें गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Celebration) तीन दिनों तक चलता है और यह 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ समाप्त होता है.

Republic Day 2023
राजपथ पर नहीं यहां हुई थी पहली परेड
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Published : Jan 22, 2023, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: 26 जनवरी, 1950 को गुरुवार की सुबह सर्द थी. हवा उत्साह से भरी हुई थी. दिल्ली इस दिन के लिए हफ्तों से तैयारी कर रही थी. इस आयोजन की रिहर्सल शुरू हो गई थी. क्योंकि यह आखिरकार एक ऐतिहासिक दिन था. वह दिन जब भारत खुद को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करेगा और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को कार्यालय में स्थापित किया जाएगा. जैसे ही दिन निकला, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सुबह-सुबह जुलूस या 'प्रभात फेरी' देखी गई, जिसमें हर्षित नागरिक ढोल पीट रहे थे और शंख बजा रहे थे, देशभक्ति के गीत गा रहे थे. दिन के आगमन की घोषणा कर रहे थे. पूरे देश में इसी तरह के जश्न मनाए गए थे.

राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (घोड़े की गाड़ी में) 26 जनवरी, 1950 को नई दिल्ली में राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए जाते हुए
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (घोड़े की गाड़ी में) 26 जनवरी, 1950 को नई दिल्ली में राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए जाते हुए

इरविन एम्फीथिएटर में हुई थी पहली परेड
भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को मनाया (India celebrated first Republic Day on 26 January) था. जब भारत का संविधान लागू हुआ था. उस दिन परेड इरविन एम्फीथिएटर में हुई थी, जिसे वर्तमान में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो अपनी पत्नी के साथ शामिल हुए थे. परेड के दौरान अन्य प्रमुख हस्तियां भी मौजूद रहीं. वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिली। यह संविधान सभा थी जिसने भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया था.

हालांकि भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था, लेकिन यह तारीख के ऐतिहासिक महत्व के कारण 26 जनवरी को लागू हुआ. राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू हुई. परेड में विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों के साथ-साथ एक सेना मार्चिंग बैंड भी शामिल था. इस कार्यक्रम में देश की कई नामी हस्तियों ने शिरकत की. मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे, जो अपनी पत्नी के साथ आए थे. यह सिलसिला आज तक बना हुआ है. अब आठ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला पर खत्म होती है.

3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था
3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था

100 से अधिक विमानों ने लिया था भाग
प्रारंभ से ही, भारत का गणतंत्र दिवस परेड एक भव्य समारोह और एक शानदार नजारा रहा है. जो देश की उपलब्धियों, सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता को अत्याधुनिक युद्ध उपकरण, फ्लाईपास्ट, स्टंट और ज्वलंत, विषयगत झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित करता है. इरविन एम्फीथिएटर में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का प्रदर्शन किया गया (First Republic Day Prade was held at Irwin Stadium) था, जहां भारत के नव-शपथ लेने वाले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (President of India Dr Rajendra Prasad) के बाद सशस्त्र बलों के 3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था. कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के लिए दिल्ली की सड़कों से गुजरे थे.

ये भी पढ़ें: 26 January Chief Guests : जानें कैसे होता Republic Day पर चीफ गेस्ट का चयन

नई दिल्ली: 26 जनवरी, 1950 को गुरुवार की सुबह सर्द थी. हवा उत्साह से भरी हुई थी. दिल्ली इस दिन के लिए हफ्तों से तैयारी कर रही थी. इस आयोजन की रिहर्सल शुरू हो गई थी. क्योंकि यह आखिरकार एक ऐतिहासिक दिन था. वह दिन जब भारत खुद को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करेगा और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को कार्यालय में स्थापित किया जाएगा. जैसे ही दिन निकला, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सुबह-सुबह जुलूस या 'प्रभात फेरी' देखी गई, जिसमें हर्षित नागरिक ढोल पीट रहे थे और शंख बजा रहे थे, देशभक्ति के गीत गा रहे थे. दिन के आगमन की घोषणा कर रहे थे. पूरे देश में इसी तरह के जश्न मनाए गए थे.

राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (घोड़े की गाड़ी में) 26 जनवरी, 1950 को नई दिल्ली में राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए जाते हुए
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (घोड़े की गाड़ी में) 26 जनवरी, 1950 को नई दिल्ली में राजपथ पर पहली गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए जाते हुए

इरविन एम्फीथिएटर में हुई थी पहली परेड
भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को मनाया (India celebrated first Republic Day on 26 January) था. जब भारत का संविधान लागू हुआ था. उस दिन परेड इरविन एम्फीथिएटर में हुई थी, जिसे वर्तमान में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो अपनी पत्नी के साथ शामिल हुए थे. परेड के दौरान अन्य प्रमुख हस्तियां भी मौजूद रहीं. वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिली। यह संविधान सभा थी जिसने भारत के संविधान का मसौदा तैयार किया था.

हालांकि भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था, लेकिन यह तारीख के ऐतिहासिक महत्व के कारण 26 जनवरी को लागू हुआ. राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू हुई. परेड में विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों के साथ-साथ एक सेना मार्चिंग बैंड भी शामिल था. इस कार्यक्रम में देश की कई नामी हस्तियों ने शिरकत की. मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे, जो अपनी पत्नी के साथ आए थे. यह सिलसिला आज तक बना हुआ है. अब आठ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला पर खत्म होती है.

3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था
3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था

100 से अधिक विमानों ने लिया था भाग
प्रारंभ से ही, भारत का गणतंत्र दिवस परेड एक भव्य समारोह और एक शानदार नजारा रहा है. जो देश की उपलब्धियों, सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता को अत्याधुनिक युद्ध उपकरण, फ्लाईपास्ट, स्टंट और ज्वलंत, विषयगत झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित करता है. इरविन एम्फीथिएटर में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का प्रदर्शन किया गया (First Republic Day Prade was held at Irwin Stadium) था, जहां भारत के नव-शपथ लेने वाले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (President of India Dr Rajendra Prasad) के बाद सशस्त्र बलों के 3,000 अधिकारियों और 100 से अधिक विमानों ने भाग लिया था. कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के लिए दिल्ली की सड़कों से गुजरे थे.

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