रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना का तेजी से विस्तार हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत 51 स्थानों का चयन किया गया है, जहां चरणबद्ध काम चल रहे हैं. पहले और दूसरे चरण के तहत राजधानी रायपुर के चंदखुरी में स्थित कौशल्या माता मंदिर और जांजगीर में स्थित शिवरीनारायण समेत 9 जगहों पर काम लगभग पूरा हो गया है. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ का असर भी दिखना शुरू हो गया है. इन स्थलों में पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं यहां के मंदिरों के खजाने में भी 10 गुना वृद्धि हुई है.
मंदिर का बढ़ा खजाना : छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की जनसंपर्क अधिकारी डॉ अनुराधा दुबे ने बताया ''राम वन गमन परिपथ छत्तीसगढ़ सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके तहत बड़ी तेजी से काम हो रहा है. पर्यटन विभाग ने शिवरीनारायण और माता कौशल्या मंदिर के ट्रस्ट और आम लोगों से बातचीत की, जिससे पता चला कि 10 गुना पर्यटकों की वृद्धि हुई है. ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने से मंदिर में दान दक्षिणा में बढ़ोतरी हुई है. पहले की अपेक्षा यहां का खजाना बढ़ा है.''
क्या है राम वनगमन पथ : छत्तीसगढ़ सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक राम वन गमन पथ है. इसमें उन जगहों को विकसित किया जा रहा है, जहां मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास का वक्त बिताया. इसी के तहत कोरिया जिले से सुकमा तक राम वन गमन पथ में लोगों को कदम कदम पर भगवान श्री राम के दर्शन होंगे. राम वन गमन पथ की कुल लंबाई लगभग 2260 किलोमीटर है. इन रास्तों पर किनारे जगह जगह साइन बोर्ड, श्री राम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी. इन रास्तों पर कई तरह के पेड़ लगाए जा रहे हैं. यह पेड़ वैसा ही फील कराएंगे जैसा भगवान राम के वनवास के वक्त को लेकर यादें लोगों के जेहन में हैं. 135 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है. वहीं माता कौशिल्या मंदिर का डेवलपमेंट करने के लिए करोड़ों रुपए की योजना तैयार की गई है.''
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पहले चरण में 9 स्थलों का चयन : छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के तहत 51 स्थल चुने गए हैं. इन स्थलों पर प्रभु राम ने भ्रमण के दौरान कुछ समय व्यतीत किए. प्रदेश सरकार ने प्रथम चरण के लिए नौ स्थान चुने गए हैं. इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.
Effect of Ram Van Gaman Path: छत्तीसगढ़ में बढ़ रहा मंदिरों का खजाना - छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ
छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन पथ को लेकर एक बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया है. यह प्रोजेक्ट अब मूर्त रूप लेने लगा है. इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के कई स्थलों को चुनकर उन्हें पर्यटन की दृष्टि से डेवलेप किया जाएगा. पहले चरण में नौ स्थलों का चयन हुआ है. जिसमें माता कौशल्या का मंदिर भी शामिल है. मंदिर को डेवलेप करने पर अब यहां पहले के मुकाबले ज्यादा लोग आ रहे हैं. खास बात यह है कि मंदिर का खजाना भी बढ़ रहा है. Chhattisgarh temples treasury is increasing
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना का तेजी से विस्तार हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत 51 स्थानों का चयन किया गया है, जहां चरणबद्ध काम चल रहे हैं. पहले और दूसरे चरण के तहत राजधानी रायपुर के चंदखुरी में स्थित कौशल्या माता मंदिर और जांजगीर में स्थित शिवरीनारायण समेत 9 जगहों पर काम लगभग पूरा हो गया है. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ का असर भी दिखना शुरू हो गया है. इन स्थलों में पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं यहां के मंदिरों के खजाने में भी 10 गुना वृद्धि हुई है.
मंदिर का बढ़ा खजाना : छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की जनसंपर्क अधिकारी डॉ अनुराधा दुबे ने बताया ''राम वन गमन परिपथ छत्तीसगढ़ सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके तहत बड़ी तेजी से काम हो रहा है. पर्यटन विभाग ने शिवरीनारायण और माता कौशल्या मंदिर के ट्रस्ट और आम लोगों से बातचीत की, जिससे पता चला कि 10 गुना पर्यटकों की वृद्धि हुई है. ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने से मंदिर में दान दक्षिणा में बढ़ोतरी हुई है. पहले की अपेक्षा यहां का खजाना बढ़ा है.''
क्या है राम वनगमन पथ : छत्तीसगढ़ सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक राम वन गमन पथ है. इसमें उन जगहों को विकसित किया जा रहा है, जहां मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास का वक्त बिताया. इसी के तहत कोरिया जिले से सुकमा तक राम वन गमन पथ में लोगों को कदम कदम पर भगवान श्री राम के दर्शन होंगे. राम वन गमन पथ की कुल लंबाई लगभग 2260 किलोमीटर है. इन रास्तों पर किनारे जगह जगह साइन बोर्ड, श्री राम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी. इन रास्तों पर कई तरह के पेड़ लगाए जा रहे हैं. यह पेड़ वैसा ही फील कराएंगे जैसा भगवान राम के वनवास के वक्त को लेकर यादें लोगों के जेहन में हैं. 135 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है. वहीं माता कौशिल्या मंदिर का डेवलपमेंट करने के लिए करोड़ों रुपए की योजना तैयार की गई है.''
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पहले चरण में 9 स्थलों का चयन : छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के तहत 51 स्थल चुने गए हैं. इन स्थलों पर प्रभु राम ने भ्रमण के दौरान कुछ समय व्यतीत किए. प्रदेश सरकार ने प्रथम चरण के लिए नौ स्थान चुने गए हैं. इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.