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Nand Kumar Sai: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के घर आ'नंद' भयो की फुल स्टोरी जानिए !

नंद कुमार साय के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने पर छत्तीसगढ़ में सियासी पारा हाई है. कांग्रेस नेता इसे बघेल सरकार का आकर्षण बता रहे हैं. जबकि बीजेपी इस फैसले पर यकीन नहीं कर पा रही है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि नंदकुमार साय के कांग्रेस में जाने से कांग्रेस और बीजेपी को कितना फायदा नुकसान होगा. क्या यह कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा. politics of Chhattisgarh

Nand Kumar Sai
नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया
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Published : May 1, 2023, 10:52 PM IST

नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया

रायपुर: चुनावी साल में सत्ता बचाए रखना और सत्ता पाने की ललक राजनेताओं से क्या नहीं कराती है. इसी के तहत हर राज्य और राजनीतिक दलों में आयाराम और गयाराम का दौर शुरू होता है.छत्तीसगढ़ में भी यह दौर शुरू हो गया है. बीजेपी के कद्दावर आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस इसे चुनावी साल में बड़ी उपलब्धि मान रही है. सूबे की राजनीति में इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ा जा रहा है. जबकि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर नंद कुमार साय पर हमलावर है. राज्य के बीजेपी थिंक टैंक को यह बातें चुभ रही है. कांग्रेस के लोग इस वक्त नंद कुमार के आने से आ'नंद' महसूस कर रहे हैं. जबकि बीजेपी खेमा स्ट्रेस मोड में नजर आ रहा है.

नंदकुमार साय के इस्तीफे की टाइमिंग: नंदकुमार साय ने सही टाइमिंग पर बीजेपी के साथ किनारा किया है. ऐसी टाइमिंग जब बीजेपी मिशन 2023 के लिए रणनीति बनाने की तैयारी में हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता में है. कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. कांग्रेस, नंद कुमार साय को पार्टी में शामिल कर बीजेपी को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि छत्तीसगढ़ में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. खुद बीजेपी के नेता अब कांग्रेस का रुख कर रहे हैं. जिसका उदाहरण नंद कुमार साय हैं. इन सब बातों को सोचकर कांग्रेस का कैंप काफी खुश है. जबकि बीजेपी अभी झटके की स्थिति में है.

नंदकुमार साय ने पार्टी छोड़ते वक्त क्या कहा: कांग्रेस में शामिल होते वक्त नंद कुमार साय ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि "ये निर्णय जीवन का बहुत कठिन फैसला था. मैं प्रारंभ से ही बीजेपी में रहा. जब जनसंघ की स्थापना हुई, तब से मैं इस पार्टी में था. श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और प्रमोद महाजन जी के साथ काम किया. मैं अटल जी को फॉलो करता था. वह राजनेता ही नहीं वह कवि भी थे. वह कहा करते थे. भारत केवल जमीन का टुकड़ा नहीं है. भारत जीता जागता राष्ट्र है. भारत का कंकड़ कंकड़ शंकर है. भारत की बूंद बूंद गंगाजल है. मैं राजमाता जी को फॉलो करता था. मैं सुंदर सिंह भंडारी जी को फॉलो करता था. मैं सुषमा जी को फॉलो करता था."

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ से सियासी समीकरण साधने में जुटी बघेल सरकार

ये बीजेपी अटल और आडवाणी जी की बीजेपी नहीं रही: नंद कुमार साय यहीं नहीं रूके. उन्होंने बीजेपी पर प्रहार चालू रखा और कहा कि" जो अटल जी और आडवाणी जी की पार्टी थी, वह बीजेपी अब नहीं रही. बीजेपी का जो पहले स्वरूप था वह अब बचा नहीं है. मैं अटल जी के साथ, आडवाणी जी के साथ, सुषमा जी के साथ और भंडारी जी के साथ रहा. लेकिन आज की तारीख में, मैं बीजेपी में सामान्य सदस्य के तौर पर हूं. मुझे किसी तरह का दायित्व नहीं दिया गया है. मुझे दल में भी अनदेखा किया जा रहा था. सारे लोग मिलकर आम लोगों का काम करते नहीं दिख रहे थे. पार्टी अपने उदेश्य से भटक गई थी. इसलिए मैंने इस दल को छोड़ने का फैसला किया. मेरे लिए उस दल में रहना ज्यादा अच्छा है. जो जनहित का कार्य कर सके. इसलिए समर्पित दल में रहना अच्छा होगा."

हैरत में बीजेपी नेता

नंदकुमार साय ने सीएम बघेल की तारीफ की: कांग्रेस में शामिल होते वक्त नंद कुमार साय ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस और बघेल सरकार की तारीफ की. उन्होंने हा कि" अभी भूपेश जी के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में अच्छा काम कर रही है. बघेल जी छत्तीसगढ़ के लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. आदिवासियों को शिक्षित कैसे किया जाए. उन्हें कैसे खड़ा किया जाए. उनके उत्थान के लिए हम लोगों को सोचना होगा. मैं बघेल जी का धन्यवाद करता हूं कि, उन्होंने मुझे दल में शामिल करने का फैसला लिया."

सीएम बघेल ने नंद कुमार साय का किया स्वागत: सीएम बघेल ने कहा कि" नंद कुमार साय सादगी पूर्ण वाले नेता है. साय जी किसी का नमक नहीं खाते हैं. उन्होंने किसी का नमक नहीं खाया. वह निश्चल मन के व्यक्ति हैं. आज वह बीजेपी के क्रियाकलापों से दुखी हैं. उनकी छवि को बीजेपी में खराब करने की कोशिश की गई. इसलिए उन्होंने बीजेपी का त्याग किया. नंद कुमार साय ने सोनिया जी, खरगे जी, राहुल जी पर विश्वास किया. उन्होंने मरकाम जी के नेतृत्व में कांग्रेस में प्रवेश किया. मैं नंद कुमार साय जी का कांग्रेस में स्वागत करता हूं.". कांग्रेस से बस्तर के सांसद दीपक बैज ने भी नंद कुमार साय की तारीफ की है.

बीजेपी ने नंदकुमार साय पर विश्वासघात का लगाया आरोप: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव इस फैसले से नाखुश दिखे. रमन सिंह भी इस फैसले पर अचरज जता रहे हैं. लेकिन बीजेपी नेता धरमलाल कौशिक ने नंदकुमार साय पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने नंदकुमार साय को विश्वासघाती बताया. बीजेपी के सभी नेता एक सुर में साय के इस फैसले पर आश्चर्य जता रहे हैं. बीजेपी की तरफ से उन्हें जो जो पद दिए गए उसे गिना रहे हैं. बीजेपी नेता कह रहे हैं कि" पार्टी ने हमेशा उनको सम्मान दिया. वह लोकसभा सांसद रहे, राज्यसभा सांसद रहे. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे, नेता प्रतिपक्ष रहे. ऐसे में पार्टी ने उन्हें सब दिया.

ये भी पढ़ें: नंदकुमार साय ने दबाव में किया कांग्रेस प्रवेश: विष्णुदेव साय

क्या कहते हैं जानकार: नंदकुमार साय के इस एपिसोड को लेकर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चुनाव में बीजेपी पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा. इससे खासकर आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ संदेश जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच में भी इसका एक बड़ा संदेश पहुंचेगा. दूसरी तरफ कांग्रेस को इसका फायदा बस्तर और सरगुजा के आदिवासी सीटों पर भी हो सकता है. बघेल सरकार इसे छत्तीसगढ़िया अस्मिता और आदिवसी अस्मिता से भी जोड़ सकती है. इस बहाने बीजेपी में और सेंध लगाने की कोशिश हो सकती है. राजनीतिक जानकार ये भी मानते हैं कि" नंदकुमार साय 75 साल से अधिक के हो गए थे. बीजेपी में 75 साल का नियम है. उसके तहत बीजेपी को छोड़कर नंदकुमार के जाने का ज्यादा असर नहीं पड़ सकता है. बीजेपी इस नियम के आधार पर यह डिफेंड कर सकती है कि जब उनका उम्र और कौशल था. तब उन्हें पद दिया गया. लेकिन आज वह 75 साल के आस पास पहुंच गए हैं. इसलिए उनकी भूमिका पार्टी में कुछ और थी."

क्या कहते हैं जानकार

चुनावी साल में छत्तीसगढ़ में सियासत का यह उठापटक अभी और हो सकता है. अब देखना होगा कि दोनों पार्टियां अपने दल को मजबूत करने के लिए और अपनी टीम के लोगों को साधे रखने के लिए क्या करती है.

नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया

रायपुर: चुनावी साल में सत्ता बचाए रखना और सत्ता पाने की ललक राजनेताओं से क्या नहीं कराती है. इसी के तहत हर राज्य और राजनीतिक दलों में आयाराम और गयाराम का दौर शुरू होता है.छत्तीसगढ़ में भी यह दौर शुरू हो गया है. बीजेपी के कद्दावर आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस इसे चुनावी साल में बड़ी उपलब्धि मान रही है. सूबे की राजनीति में इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ा जा रहा है. जबकि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर नंद कुमार साय पर हमलावर है. राज्य के बीजेपी थिंक टैंक को यह बातें चुभ रही है. कांग्रेस के लोग इस वक्त नंद कुमार के आने से आ'नंद' महसूस कर रहे हैं. जबकि बीजेपी खेमा स्ट्रेस मोड में नजर आ रहा है.

नंदकुमार साय के इस्तीफे की टाइमिंग: नंदकुमार साय ने सही टाइमिंग पर बीजेपी के साथ किनारा किया है. ऐसी टाइमिंग जब बीजेपी मिशन 2023 के लिए रणनीति बनाने की तैयारी में हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता में है. कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. कांग्रेस, नंद कुमार साय को पार्टी में शामिल कर बीजेपी को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि छत्तीसगढ़ में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. खुद बीजेपी के नेता अब कांग्रेस का रुख कर रहे हैं. जिसका उदाहरण नंद कुमार साय हैं. इन सब बातों को सोचकर कांग्रेस का कैंप काफी खुश है. जबकि बीजेपी अभी झटके की स्थिति में है.

नंदकुमार साय ने पार्टी छोड़ते वक्त क्या कहा: कांग्रेस में शामिल होते वक्त नंद कुमार साय ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि "ये निर्णय जीवन का बहुत कठिन फैसला था. मैं प्रारंभ से ही बीजेपी में रहा. जब जनसंघ की स्थापना हुई, तब से मैं इस पार्टी में था. श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और प्रमोद महाजन जी के साथ काम किया. मैं अटल जी को फॉलो करता था. वह राजनेता ही नहीं वह कवि भी थे. वह कहा करते थे. भारत केवल जमीन का टुकड़ा नहीं है. भारत जीता जागता राष्ट्र है. भारत का कंकड़ कंकड़ शंकर है. भारत की बूंद बूंद गंगाजल है. मैं राजमाता जी को फॉलो करता था. मैं सुंदर सिंह भंडारी जी को फॉलो करता था. मैं सुषमा जी को फॉलो करता था."

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ से सियासी समीकरण साधने में जुटी बघेल सरकार

ये बीजेपी अटल और आडवाणी जी की बीजेपी नहीं रही: नंद कुमार साय यहीं नहीं रूके. उन्होंने बीजेपी पर प्रहार चालू रखा और कहा कि" जो अटल जी और आडवाणी जी की पार्टी थी, वह बीजेपी अब नहीं रही. बीजेपी का जो पहले स्वरूप था वह अब बचा नहीं है. मैं अटल जी के साथ, आडवाणी जी के साथ, सुषमा जी के साथ और भंडारी जी के साथ रहा. लेकिन आज की तारीख में, मैं बीजेपी में सामान्य सदस्य के तौर पर हूं. मुझे किसी तरह का दायित्व नहीं दिया गया है. मुझे दल में भी अनदेखा किया जा रहा था. सारे लोग मिलकर आम लोगों का काम करते नहीं दिख रहे थे. पार्टी अपने उदेश्य से भटक गई थी. इसलिए मैंने इस दल को छोड़ने का फैसला किया. मेरे लिए उस दल में रहना ज्यादा अच्छा है. जो जनहित का कार्य कर सके. इसलिए समर्पित दल में रहना अच्छा होगा."

हैरत में बीजेपी नेता

नंदकुमार साय ने सीएम बघेल की तारीफ की: कांग्रेस में शामिल होते वक्त नंद कुमार साय ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस और बघेल सरकार की तारीफ की. उन्होंने हा कि" अभी भूपेश जी के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में अच्छा काम कर रही है. बघेल जी छत्तीसगढ़ के लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. आदिवासियों को शिक्षित कैसे किया जाए. उन्हें कैसे खड़ा किया जाए. उनके उत्थान के लिए हम लोगों को सोचना होगा. मैं बघेल जी का धन्यवाद करता हूं कि, उन्होंने मुझे दल में शामिल करने का फैसला लिया."

सीएम बघेल ने नंद कुमार साय का किया स्वागत: सीएम बघेल ने कहा कि" नंद कुमार साय सादगी पूर्ण वाले नेता है. साय जी किसी का नमक नहीं खाते हैं. उन्होंने किसी का नमक नहीं खाया. वह निश्चल मन के व्यक्ति हैं. आज वह बीजेपी के क्रियाकलापों से दुखी हैं. उनकी छवि को बीजेपी में खराब करने की कोशिश की गई. इसलिए उन्होंने बीजेपी का त्याग किया. नंद कुमार साय ने सोनिया जी, खरगे जी, राहुल जी पर विश्वास किया. उन्होंने मरकाम जी के नेतृत्व में कांग्रेस में प्रवेश किया. मैं नंद कुमार साय जी का कांग्रेस में स्वागत करता हूं.". कांग्रेस से बस्तर के सांसद दीपक बैज ने भी नंद कुमार साय की तारीफ की है.

बीजेपी ने नंदकुमार साय पर विश्वासघात का लगाया आरोप: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव इस फैसले से नाखुश दिखे. रमन सिंह भी इस फैसले पर अचरज जता रहे हैं. लेकिन बीजेपी नेता धरमलाल कौशिक ने नंदकुमार साय पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने नंदकुमार साय को विश्वासघाती बताया. बीजेपी के सभी नेता एक सुर में साय के इस फैसले पर आश्चर्य जता रहे हैं. बीजेपी की तरफ से उन्हें जो जो पद दिए गए उसे गिना रहे हैं. बीजेपी नेता कह रहे हैं कि" पार्टी ने हमेशा उनको सम्मान दिया. वह लोकसभा सांसद रहे, राज्यसभा सांसद रहे. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे, नेता प्रतिपक्ष रहे. ऐसे में पार्टी ने उन्हें सब दिया.

ये भी पढ़ें: नंदकुमार साय ने दबाव में किया कांग्रेस प्रवेश: विष्णुदेव साय

क्या कहते हैं जानकार: नंदकुमार साय के इस एपिसोड को लेकर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चुनाव में बीजेपी पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा. इससे खासकर आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ संदेश जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच में भी इसका एक बड़ा संदेश पहुंचेगा. दूसरी तरफ कांग्रेस को इसका फायदा बस्तर और सरगुजा के आदिवासी सीटों पर भी हो सकता है. बघेल सरकार इसे छत्तीसगढ़िया अस्मिता और आदिवसी अस्मिता से भी जोड़ सकती है. इस बहाने बीजेपी में और सेंध लगाने की कोशिश हो सकती है. राजनीतिक जानकार ये भी मानते हैं कि" नंदकुमार साय 75 साल से अधिक के हो गए थे. बीजेपी में 75 साल का नियम है. उसके तहत बीजेपी को छोड़कर नंदकुमार के जाने का ज्यादा असर नहीं पड़ सकता है. बीजेपी इस नियम के आधार पर यह डिफेंड कर सकती है कि जब उनका उम्र और कौशल था. तब उन्हें पद दिया गया. लेकिन आज वह 75 साल के आस पास पहुंच गए हैं. इसलिए उनकी भूमिका पार्टी में कुछ और थी."

क्या कहते हैं जानकार

चुनावी साल में छत्तीसगढ़ में सियासत का यह उठापटक अभी और हो सकता है. अब देखना होगा कि दोनों पार्टियां अपने दल को मजबूत करने के लिए और अपनी टीम के लोगों को साधे रखने के लिए क्या करती है.

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