रायपुर: राष्ट्रीय अधिवेशन से ठीक पहले कांग्रेस नेताओं पर ईडी की कार्रवाई ने छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक की सियासत को गर्मा दिया है. आक्रामक तेवर दिखाते कांग्रेस ईडी दफ्तर का घेराव तो कर ही रही है, केंद्र पर हमलावर भी है. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा के इशारे पर ईडी काम कर रही है. भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद भाजपा कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन को कमजोर करने की कोशिश में जुटी है. कांग्रेस के मुताबिक ईडी ने जिन नेताओं के घर दबिश दी है, उनके कंधों पर राष्ट्रीय अधिवेशन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.
इन नेताओं के यहां ईडी ने मारा छापा: कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन 24 से 26 फरवरी तक होगा. अधिवेशन से 4 दिन पहले ईडी ने कांग्रेस नेताओं के घर दबिश दी है. इनमें भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, बिलाईगढ़ विधायक चंद्रदेव राय, कांग्रेस प्रदेश कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, कांग्रेस नेता व खनिज न्यास बोर्ड के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, श्रम विभाग के अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, राजीव भवन के अकाउंटेंट देवेंद्र डड़सेना और कांग्रेस के युवा नेता विनोद तिवारी शामिल हैं.
अधिवेशन में मिली है यह जिम्मेदारी: राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए फूड कमेटी चेयरमैन रामगोपाल अग्रवाल बनाए गए हैं. कम्युनिकेशन समिति में आरपी सिंह, पंडाल समिति में सनी अग्रवाल हैं तो पब्लिक मीटिंग समिति में गिरीश देवांगन को समन्वयक का जिम्मा दिया गया है. इसके अलावा भिलाई विधायक देवेंद्र यादव और बिलाईगढ़ विधायक समेत अन्य को भी अधिवेशन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.
क्या कहती है कांग्रेस: कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर कहते हैं कि "अधिवेशन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार डरी हुई है. क्योंकि अधिवेशन के मंच के माध्यम से नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल की जो असफलताएं हैं, जो वादाखिलाफी है, किसानों को धोखा दिया गया है, युवाओं को धोखा दिया गया है, देश में जो डेढ़ सौ लाख करोड़ का कर्जा बढ़ गया है, यह सब मंच के माध्यम से उजागर होगा. अडानी और मोदी जी के रिश्ते सामने आए हैं, वह सभी मंच के माध्यम से उजागर होगा. नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार डरी हुई है. इसलिए ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग करके ईडी के माध्यम से कांग्रेस नेताओं का चरित्र हरण कर रही है."
कांग्रेस नेताओं पर इसलिए भी हो रही कार्रवाई: धनंजय सिंह ठाकुर कहते हैं कि "आरपी सिंह ने राजेश मूणत के खिलाफ स्काई वॉक में हुए घोटाले पर ईओडब्ल्यू को शिकायत की थी. राजेश मूणत को नोटिस जारी हुआ. मूणत के खिलाफ कार्रवाई हो रही है. इसी तरह विनोद तिवारी ने डॉ. रमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए पीएमओ को पत्र लिखे थे. वे कोर्ट में भी लड़ाई लड़ रहे हैं. डॉ. रमन सिंह का उत्तराखंड में अवैध रिसॉर्ट बताया जाता है, उसका भी भंडाफोड़ किया था. कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार भारतीय जनता पार्टी के शासन में हुए भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्हें डराने के लिए ईडी के माध्यम से नरेंद्र मोदी कि सरकार काम कर रही है."
मामले में क्या कहती है भाजपा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव कहते हैं कि "2019 में आईटी की रेड की शुरुआत हुई थी और आईटी की रेड के बाद दस्तावेजों की जांच पड़ताल के बाद जो तथ्य आए, उसके बाद फिर उस पर ईडी की कार्रवाई हुई है. ईडी की चार्जशीट आप देखोगे तो जो तथ्य और साक्ष्य ईडी ने इकट्ठे किए हैं, उसके आधार पर यह कार्रवाई हो रही है. अब तक ईडी की जो कार्रवाई हुई, जो गिरफ्तारियां की गई हैं, सबको इस बात की जानकारी है कि अब तक गिरफ्तार लोग चाहे वह अधिकारी हो या अन्य लोग हों, किसी की जमानत नहीं हुई है. इसका मतलब ईडी के पास पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं. इसलिए ईडी की कार्रवाई पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है."
कार्रवाई पर क्या कहते हैं जानकर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार उचित शर्मा के मुताबिक "जितनी भी जांच एजेंसियां हैं, चाहे ईडी हो, सीबीआई हो या इनकम टैक्स, यह पहले तोता बने हुए थे. अभी मैना बने हुए हैं. 2013 के पहले भी ये केंद्र सरकार की इशारे पर चलते थे. 2013 के बाद भी यह केंद्र सरकार के इशारे पर चल रहे हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं हैं कि भ्रष्टाचार खत्म हो गया है, या काला पैसा नहीं कमाया जा रहा है. क्यों आईएएस के घर 48 लाख रुपए कैश मिलते हैं, 4 किलो सोना मिलता है. करोड़ों की जमीन के कागजात मिलते हैं. उनके यहां साक्ष्य मिले हैं, ईडी के पास सबूत है. कोई हवा हवाई बात तो नहीं हो रही है. लेकिन यह केंद्र के इशारे पर हो रहा, यह बात भी सत्य है."