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जशपुर के कांसाबेल में हाथी की मौत, 15 दिन पहले कुनकुरी में घायल मिला था गजराज - पशु विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ पीके चंदन

Death of elephants continues in Jashpur जशपुर के कांसाबेल में घायल हाथी की मौत हो गई है. यह हाथी 27 नवंबर को जशपुर के जंगल में घायल अवस्था में मिला था. तब से हाथी का इलाज कांसाबेल के नर्सरी में किया जा रहा था. Injured elephant dies in Jashpur यंहा विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने इस घायल हाथी का लगातार उपचार किया. लेकिन हाथी ने आज शाम को दम तोड़ दिया. पोस्टमार्टम के बाद मृत हाथी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.Jashpur latest News

Death of elephants continues in Jashpur
जशपुर के कांसाबेल में हाथी की मौत
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Published : Dec 12, 2022, 10:09 PM IST

Updated : Dec 13, 2022, 12:33 AM IST

जशपुर के कांसाबेल में हाथी की मौत

जशपुर: Death of elephants continues in Jashpur जशपुर के जंगल से घायल स्थिति में लाए गए हाथी की सोमवार को मौत हो गई. करीब 15 दिनों तक इलाज के बाद आखिरकार हाथी ने दम तोड़ दिया. Injured elephant dies in Jashpur वन मंडल अधिकारी जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि "एक पखवाड़ा पहले कुनकुरी के जंगल में यह हाथी घायल अवस्था में मिला था .घायल हाथी को कांसाबेल नर्सरी में शिफ्ट किया गया था. चिकित्सकों के अनुसार इस हाथी का पिछला पैर काम नहीं कर रहा था".Jashpur latest News

Death of elephants continues in Jashpur
हाथी की मौत से हड़कंप

जशपुर में एक महीने के अंदर दो हाथियों की मौत: जशपुर वन मंडल में एक महीने में दूसरे हाथी की मौत हुई है. इससे पहले कांसाबेल के समीप करंट की चपेट में आकर एक हाथी की दर्दनाक मौत हो गई थी. जिस हाथी की मौत हुई है वह 27 नवंबर को अपने दल से बिछड़ गया था. जिसके बाद एक गड्ढे में गिरने से वह घायल हो गया था.

ये भी पढ़ें: जशपुर में हाथियों का आतंक, गजराज के हमले में युवक की मौत

वन अधिकारी ने दी जानकारी: पत्थलगांव वन क्षेत्र के वन अधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि "घटना कुनकुरी वन परिक्षेत्र की है. जहां 27 नवंबर को हाथी अपने झुंड से बिछड़ गया था. हाथी जंगल के बीच खाई में गिर गया था जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया. जिसका विशेष टीम के द्वारा इलाज किया जा रहा था. वहीं बेहतर इलाज के लिए 5 दिसंबर को उसे नर्सरी कांसाबेल में लाया गया. जहां उसका इलाज लगातार चल रहा था. इलाज के दौरान इस हाथी की आज शाम मौत हो गई"

हाथी की मौत पर क्या कहते हैं पशु चिकित्सक: पशु विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ पीके चंदन ने बताया कि "कुनकुरी के जंगल में नाले के पास फिसल कर हाथी नीचे गिर गया था. जिसे रेस्क्यू कर कांसाबेल लाया गया था. उसके बाद पूरी टीम के द्वारा घायल हाथी का इलाज किया जा रहा था. लेकिन हाथी के पिछले दोनों पैर में पैरालिसिस मार दिया था. जिस कारण उसे ठीक कर पाना संभव नहीं था. फिर भी प्रयास किया जा रहा था इसलिए 15 दिनों तक लगातार पूरी टीम के द्वारा हाथी की देखरेख की गई. लेकिन अफसोस हम हाथी को बचा नहीं सके"

जशपुर के कांसाबेल में हाथी की मौत

जशपुर: Death of elephants continues in Jashpur जशपुर के जंगल से घायल स्थिति में लाए गए हाथी की सोमवार को मौत हो गई. करीब 15 दिनों तक इलाज के बाद आखिरकार हाथी ने दम तोड़ दिया. Injured elephant dies in Jashpur वन मंडल अधिकारी जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि "एक पखवाड़ा पहले कुनकुरी के जंगल में यह हाथी घायल अवस्था में मिला था .घायल हाथी को कांसाबेल नर्सरी में शिफ्ट किया गया था. चिकित्सकों के अनुसार इस हाथी का पिछला पैर काम नहीं कर रहा था".Jashpur latest News

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हाथी की मौत से हड़कंप

जशपुर में एक महीने के अंदर दो हाथियों की मौत: जशपुर वन मंडल में एक महीने में दूसरे हाथी की मौत हुई है. इससे पहले कांसाबेल के समीप करंट की चपेट में आकर एक हाथी की दर्दनाक मौत हो गई थी. जिस हाथी की मौत हुई है वह 27 नवंबर को अपने दल से बिछड़ गया था. जिसके बाद एक गड्ढे में गिरने से वह घायल हो गया था.

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वन अधिकारी ने दी जानकारी: पत्थलगांव वन क्षेत्र के वन अधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि "घटना कुनकुरी वन परिक्षेत्र की है. जहां 27 नवंबर को हाथी अपने झुंड से बिछड़ गया था. हाथी जंगल के बीच खाई में गिर गया था जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया. जिसका विशेष टीम के द्वारा इलाज किया जा रहा था. वहीं बेहतर इलाज के लिए 5 दिसंबर को उसे नर्सरी कांसाबेल में लाया गया. जहां उसका इलाज लगातार चल रहा था. इलाज के दौरान इस हाथी की आज शाम मौत हो गई"

हाथी की मौत पर क्या कहते हैं पशु चिकित्सक: पशु विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ पीके चंदन ने बताया कि "कुनकुरी के जंगल में नाले के पास फिसल कर हाथी नीचे गिर गया था. जिसे रेस्क्यू कर कांसाबेल लाया गया था. उसके बाद पूरी टीम के द्वारा घायल हाथी का इलाज किया जा रहा था. लेकिन हाथी के पिछले दोनों पैर में पैरालिसिस मार दिया था. जिस कारण उसे ठीक कर पाना संभव नहीं था. फिर भी प्रयास किया जा रहा था इसलिए 15 दिनों तक लगातार पूरी टीम के द्वारा हाथी की देखरेख की गई. लेकिन अफसोस हम हाथी को बचा नहीं सके"

Last Updated : Dec 13, 2022, 12:33 AM IST
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