ETV Bharat / bharat

CBI Raid On GST Office Jabalpur: डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले सहित 5 अधिकारी गिरफ्तार, बड़ी मात्रा में कैश बरामद

जबलपुर में Central GST के ऑफिस में डिप्टी कमिश्नर स्तर का अधिकारी कपिल कामले 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है. यह कार्रवाई CBI ने की है. कामले ने पान मसाला कारोबारी से जीएसटी चोरी मामले में रिश्वत मांगी थी. 45 लाख रुपए की रिश्वत में 25 लाख रुपया पहले ही ले चुका था.

CBI Raid On GST Office Jabalpur
जबलपुर सीबीआई रेड
author img

By

Published : Jun 13, 2023, 9:03 PM IST

Updated : Jun 14, 2023, 11:10 AM IST

जबलपुर सीबीआई रेड

जबलपुर। सेंट्रल जीएसटी ऑफिस में CBI ने छापा मारकर Central GST के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले को 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है. इस मामले में सीबीआई ने देर रात कपिल कामले सहित 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी अधिकारियों को जबलपुर सीबीआई दफ्तर में रखा गया है. गिरफ्तार अधिकारियों में डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले, सोमेन गोस्वामी, प्रदीप हजारे, विकास गुप्ता, समेत एक अन्य शामिल हैं. टीम को कपिल कामले के घर से करीब 60 लाख रुपए नगद बरामद हुए हैं. इसके अलावा अन्य अधिकारियों के घर से भी बड़ी मात्रा में कैश मिले हैं.

डिप्टी कमिश्नर ने मांगी थी 1 करोड़ की रिश्वत: सेंट्रल जीएसटी ने त्रिलोक चंद सेन नाम के कारोबारी के फैक्ट्री में बीते दिनों जीएसटी का छापा मारा था. इसके बाद फैक्ट्री को सील कर दिया गया था. फैक्ट्री सील होने के बाद जब त्रिलोक चंद सेन ने सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले से फैक्ट्री खोलने के लिए गुहार लगाई तो जीएसटी अधिकारी ने पान मसाला कारोबारी से 1 रुपए की रिश्वत मांगी थी लेकिन लंबी बातचीत के बाद दोनों का सौदा 45 लाख में तय हुआ था.

45 लाख में तय हुआ था सौदा: 45 लाख रुपए में सौदा तय होने के बाद इसमें से 25 लाख रुपए की रिश्वत पान मसाला कारोबारी सेंट्रल जीएसटी के अधिकारी कपिल कामले को दे चुका था. मंगलवार को 7 लाख की किस्त देनी थी. इसी किस्त को देने के पहले पान मसाला कारोबारी ने रिश्वत के इस मामले की जानकारी सीबीआई को दी. सीबीआई की टीम ने रिश्वत में दिए जाने वाले नोटों को सर्टिफाई करके जीएसटी ऑफिसर के पास से बरामद किया है.

CBI की कार्रवाई: कपिल कामले के खिलाफ CBI की कार्रवाई जारी है. सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों ने ऑफिस को बाहर से बंद कर दिया है और मीडिया को भीतर नहीं जाने दिया. लेकिन यह बात स्पष्ट है कि कपिल कामले को 7 लाख रुपए की रिश्वत देते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. सीजीएसटी की टीम ने 19 मई को पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री पर छापा मारा था और बड़े पैमाने पर जीएसटी की देनदारी निकाली थी. GST जमा ना करने के सौदे पर यह रिश्वत मांगी गई थी.

Also Read

क्या है पूरा मामला: सीबीआई की टीम ने डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले, सोमेन गोस्वामी, प्रदीप हजारे, विकास गुप्ता, समेत एक अन्य को हिरासत में लिया है. दरअसल सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर के साथ इंस्पेक्टर और अन्य छोटे अधिकारियों ने मिलकर दमोह के नोहटा में एक पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री पर छापा मारा था. यह फैक्ट्री राजस्थान के त्रिलोक चंद्र सेन नाम के व्यापारी की थी. त्रिलोक चंद्र सेन ने बताया कि उसने फैक्ट्री डाली थी लेकिन इसके पहले कि इसमें उत्पादन शुरू हो पाता जीएसटी की टीम यहां पहुंच गई और इन लोगों ने फैक्टरी पर ताला डाल दिया.

फैक्ट्री पर लगाया ताला: त्रिलोक चंद्र सेन ने बताया कि सेंट्रल जीएसटी के इन अधिकारियों ने उससे लगभग एक करोड़ रूपया मांगा था. इसके अलावा जीएसटी का ₹10 लाख का बकाया भी उसके खिलाफ जारी किया था. तिलोकचंद का कहना है कि उसने ₹10 लाख जीएसटी का भर दिया था लेकिन इसके बाद भी सेंट्रल जीएसटी के यह अधिकारी फैक्ट्री खोलने को तैयार नहीं थे. फैक्ट्री बंद होने की वजह से त्रिलोक चंद्र सेन को नुकसान हो रहा था और उसने सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों से जब दोबारा फैक्ट्री खोलने की मांग की तो इन लोगों ने उससे एक करोड़ रूपये की रिश्वत मांगी. तिलोकचंद हर हाल में अपनी फैक्ट्री को शुरू करना चाह रहा था इसलिए उसने सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों से रिश्वत की रकम कम करने की मांग की. लंबी बातचीत के बाद सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले ने 45 लाख रुपए की रिश्वत पर सौदा तय किया. इसमें से 2500000 रुपए की रिश्वत त्रिलोकचंद कपिल कामले की टीम को दे चुका था. लेकिन इसके बाद भी सेंट्रल जीएसटी के यह रिश्वतखोर अधिकारी पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री कब ताला खोलने के लिए तैयार नहीं थे इसलिए त्रिलोक चंद सेन ने इस मामले की शिकायत सीबीआई से की.

क्या होता है रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद: सीबीआई या लोकायुक्त जिन अधिकारी कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार करती है उन्हें पहले तो जमानत मिल जाती है लेकिन उनके खिलाफ सबसे पहले विभागीय कार्रवाई होती है. इस दौरान रिश्वतखोर अधिकारी कर्मचारियों को सस्पेंड करने का प्रावधान है. विभागीय कार्रवाई के बाद सीबीआई या लोकायुक्त इन अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर करती है. क्रिमिनल केस की डायरी कोर्ट में पेश की जाती है और रंगे हाथों पकड़े गए अधिकारियों के खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद होने की वजह से ऐसे मामलों में अक्सर अधिकारियों को नौकरी से टर्मिनेट तो किया ही जाता है, साथ ही इन्हें सजा भी होती है. हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगता है. लेकिन अंततः रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी अपना पूरा कैरियर बर्बाद कर जेल पहुंच जाते हैं.

जबलपुर सीबीआई रेड

जबलपुर। सेंट्रल जीएसटी ऑफिस में CBI ने छापा मारकर Central GST के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले को 7 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है. इस मामले में सीबीआई ने देर रात कपिल कामले सहित 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी अधिकारियों को जबलपुर सीबीआई दफ्तर में रखा गया है. गिरफ्तार अधिकारियों में डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले, सोमेन गोस्वामी, प्रदीप हजारे, विकास गुप्ता, समेत एक अन्य शामिल हैं. टीम को कपिल कामले के घर से करीब 60 लाख रुपए नगद बरामद हुए हैं. इसके अलावा अन्य अधिकारियों के घर से भी बड़ी मात्रा में कैश मिले हैं.

डिप्टी कमिश्नर ने मांगी थी 1 करोड़ की रिश्वत: सेंट्रल जीएसटी ने त्रिलोक चंद सेन नाम के कारोबारी के फैक्ट्री में बीते दिनों जीएसटी का छापा मारा था. इसके बाद फैक्ट्री को सील कर दिया गया था. फैक्ट्री सील होने के बाद जब त्रिलोक चंद सेन ने सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले से फैक्ट्री खोलने के लिए गुहार लगाई तो जीएसटी अधिकारी ने पान मसाला कारोबारी से 1 रुपए की रिश्वत मांगी थी लेकिन लंबी बातचीत के बाद दोनों का सौदा 45 लाख में तय हुआ था.

45 लाख में तय हुआ था सौदा: 45 लाख रुपए में सौदा तय होने के बाद इसमें से 25 लाख रुपए की रिश्वत पान मसाला कारोबारी सेंट्रल जीएसटी के अधिकारी कपिल कामले को दे चुका था. मंगलवार को 7 लाख की किस्त देनी थी. इसी किस्त को देने के पहले पान मसाला कारोबारी ने रिश्वत के इस मामले की जानकारी सीबीआई को दी. सीबीआई की टीम ने रिश्वत में दिए जाने वाले नोटों को सर्टिफाई करके जीएसटी ऑफिसर के पास से बरामद किया है.

CBI की कार्रवाई: कपिल कामले के खिलाफ CBI की कार्रवाई जारी है. सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों ने ऑफिस को बाहर से बंद कर दिया है और मीडिया को भीतर नहीं जाने दिया. लेकिन यह बात स्पष्ट है कि कपिल कामले को 7 लाख रुपए की रिश्वत देते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. सीजीएसटी की टीम ने 19 मई को पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री पर छापा मारा था और बड़े पैमाने पर जीएसटी की देनदारी निकाली थी. GST जमा ना करने के सौदे पर यह रिश्वत मांगी गई थी.

Also Read

क्या है पूरा मामला: सीबीआई की टीम ने डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले, सोमेन गोस्वामी, प्रदीप हजारे, विकास गुप्ता, समेत एक अन्य को हिरासत में लिया है. दरअसल सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर के साथ इंस्पेक्टर और अन्य छोटे अधिकारियों ने मिलकर दमोह के नोहटा में एक पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री पर छापा मारा था. यह फैक्ट्री राजस्थान के त्रिलोक चंद्र सेन नाम के व्यापारी की थी. त्रिलोक चंद्र सेन ने बताया कि उसने फैक्ट्री डाली थी लेकिन इसके पहले कि इसमें उत्पादन शुरू हो पाता जीएसटी की टीम यहां पहुंच गई और इन लोगों ने फैक्टरी पर ताला डाल दिया.

फैक्ट्री पर लगाया ताला: त्रिलोक चंद्र सेन ने बताया कि सेंट्रल जीएसटी के इन अधिकारियों ने उससे लगभग एक करोड़ रूपया मांगा था. इसके अलावा जीएसटी का ₹10 लाख का बकाया भी उसके खिलाफ जारी किया था. तिलोकचंद का कहना है कि उसने ₹10 लाख जीएसटी का भर दिया था लेकिन इसके बाद भी सेंट्रल जीएसटी के यह अधिकारी फैक्ट्री खोलने को तैयार नहीं थे. फैक्ट्री बंद होने की वजह से त्रिलोक चंद्र सेन को नुकसान हो रहा था और उसने सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों से जब दोबारा फैक्ट्री खोलने की मांग की तो इन लोगों ने उससे एक करोड़ रूपये की रिश्वत मांगी. तिलोकचंद हर हाल में अपनी फैक्ट्री को शुरू करना चाह रहा था इसलिए उसने सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों से रिश्वत की रकम कम करने की मांग की. लंबी बातचीत के बाद सेंट्रल जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर कपिल कामले ने 45 लाख रुपए की रिश्वत पर सौदा तय किया. इसमें से 2500000 रुपए की रिश्वत त्रिलोकचंद कपिल कामले की टीम को दे चुका था. लेकिन इसके बाद भी सेंट्रल जीएसटी के यह रिश्वतखोर अधिकारी पान मसाला कारोबारी की फैक्ट्री कब ताला खोलने के लिए तैयार नहीं थे इसलिए त्रिलोक चंद सेन ने इस मामले की शिकायत सीबीआई से की.

क्या होता है रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद: सीबीआई या लोकायुक्त जिन अधिकारी कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार करती है उन्हें पहले तो जमानत मिल जाती है लेकिन उनके खिलाफ सबसे पहले विभागीय कार्रवाई होती है. इस दौरान रिश्वतखोर अधिकारी कर्मचारियों को सस्पेंड करने का प्रावधान है. विभागीय कार्रवाई के बाद सीबीआई या लोकायुक्त इन अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर करती है. क्रिमिनल केस की डायरी कोर्ट में पेश की जाती है और रंगे हाथों पकड़े गए अधिकारियों के खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद होने की वजह से ऐसे मामलों में अक्सर अधिकारियों को नौकरी से टर्मिनेट तो किया ही जाता है, साथ ही इन्हें सजा भी होती है. हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगता है. लेकिन अंततः रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी अपना पूरा कैरियर बर्बाद कर जेल पहुंच जाते हैं.

Last Updated : Jun 14, 2023, 11:10 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.