हैदराबाद : जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के एक शोध में, यूएसए ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के संक्रमण से स्वस्थ हो चुके लोगों में बेरोजगारी बढ़ सकती है. क्योंकि इस गंभीर बीमारी के बाद ठीक होने वाले मरीजों को शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ सकता है.
थोरैक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित एक पांच साल के अध्ययन में तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) से उबरने वाले रोगियों में काम पर लौटने की जांच की गई - कोविड -19 के रोगियों में एक ऐसी स्थिति, जो फेफड़ों में सूजन का कारण बनती है.
अध्ययन में पता चला है कि बचे हुए लगभग चार में से तीन लोगों ने पांच वर्षों में $180,000 की कमाई खो दी है.
पांच साल के अध्य्यन के बाद पता चला कि संक्रमण से ठीक हुए लोगों में से लगभग एक-तिहाई रोगी कभी काम पर नहीं लौटे.
जॉन्स हॉपकिन्स के चिकित्सा निदेशक डेल होडहम का कहना है कि आईसीइयू में कुछ हफ्ते मरीजों और उनके परिवारों के लिए जीवन-परिवर्तनकारी हो सकते हैं.