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दशरथ नें किया था यज्ञ, इसलिए मखौड़ा धाम के हुए श्री राम

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है, जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था. इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ.

मखौड़ा धाम
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Published : Sep 14, 2019, 8:36 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 3:12 PM IST

बस्ती: 'मखस्थानं महतपुण्यम यत्र पुण्या मनोरमा'... मखौड़ा यानी 'मखधाम' और मनोरमा नदी की महिमा शास्त्रों-वेद पुराणों में कहा गया है. पुण्य सलिला मनोरमा जीवनदायिनी हैं. इनकी महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह वही स्थान है, जहां महाराज दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था. आज भी यह स्थान त्रेतायुग की तरह उर्वरा है.

मखौड़ा धाम क्यों है खास.

बस्ती की भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का निमित्त बनने का गौरव प्राप्त है. यूं तो अयोध्या को दुनिया भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है, मगर भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में स्थित मखौड़ा धाम है.

राजा दशरथ ने कराया था पुत्रेष्ठि यज्ञ
परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है, जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था. इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ. गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी. श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रीगिनारी के रूप में जाना जाता है. आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है.

84 कोसी परिक्रमा कर भक्त होते हैं बंधन मुक्त
मान्यता है कि रानी कौशल्या ने पुत्र प्राप्ति के लिए यहां योगिनी नृत्य किया था. इतना ही नहीं अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते हैं. पुरातन काल से ही मखधाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है. अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुन: अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है. ऐसा मान्यता है कि परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास
भगवान श्रीराम के जन्म का श्रेय रखने वाला मखौड़ा धाम आज भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाया है. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनोरम नदी की साफ-सफाई और मखौड़ा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही है.

बस्ती: 'मखस्थानं महतपुण्यम यत्र पुण्या मनोरमा'... मखौड़ा यानी 'मखधाम' और मनोरमा नदी की महिमा शास्त्रों-वेद पुराणों में कहा गया है. पुण्य सलिला मनोरमा जीवनदायिनी हैं. इनकी महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह वही स्थान है, जहां महाराज दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था. आज भी यह स्थान त्रेतायुग की तरह उर्वरा है.

मखौड़ा धाम क्यों है खास.

बस्ती की भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का निमित्त बनने का गौरव प्राप्त है. यूं तो अयोध्या को दुनिया भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है, मगर भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में स्थित मखौड़ा धाम है.

राजा दशरथ ने कराया था पुत्रेष्ठि यज्ञ
परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर यानी मनोरमा नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है, जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था. इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ. गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी. श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रीगिनारी के रूप में जाना जाता है. आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है.

84 कोसी परिक्रमा कर भक्त होते हैं बंधन मुक्त
मान्यता है कि रानी कौशल्या ने पुत्र प्राप्ति के लिए यहां योगिनी नृत्य किया था. इतना ही नहीं अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते हैं. पुरातन काल से ही मखधाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है. अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुन: अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है. ऐसा मान्यता है कि परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास
भगवान श्रीराम के जन्म का श्रेय रखने वाला मखौड़ा धाम आज भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाया है. हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनोरम नदी की साफ-सफाई और मखौड़ा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही है.

Intro:डेस्क ध्यानार्थ: यह स्टोरी राहुल तिवारी जी द्वारा मांगी गई थी, कृपया उन्हें सूचित कर दें. इस खबर बाकी विजुअल और बाइट मोजो से भेजी गई है. कृपया वहां से उठाने का कष्ट करें.

बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: मखस्थानं महतपुण्यम यत्र पुण्या मनोरमा. मखौड़ा (मखधाम) और मनोरमा की महिमा शास्त्रों-वेद पुराणों ने गायी है। पुण्य सलिला मनोरमा जीवनदायिनी हैं. इनकी महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यह वही स्थान है, जहां महाराज दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था. आज भी यह स्थान त्रेतायुग की तरह उर्वरा है.

जी हां बस्ती की भूमि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का निमित्त बनने का गौरव प्राप्त है. यूं तो अयोध्या को दुनिया भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानते हैं. मगर असल में भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में स्थित मखौड़ा धाम है.

Body:पुजारी सुरेश दास जी महाराज ने बताया कि परशुरामपुर क्षेत्र में मनवर (मनोरमा) नदी के किनारे स्थित मखौड़ा धाम ही वह सौभाग्यशाली स्थान है, जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था. इसी यज्ञ के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न का प्राकट्य हुआ. गुरु वशिष्ठ ने शृंगी ऋषि से यज्ञ कराने की सलाह दी थी. श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थल आज श्रीगिनारी के रूप में जाना जाता है. पुजारी ने बताया कि आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है.

साहित्यकार राजेन्द्र नाथ तिवारी ने बताया कि मान्यता है कि रानी कौशल्या ने पुत्र प्राप्ति के लिए यहां योगिनी नृत्य किया था. साथ ही उन्होंने बताया कि अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा देश व दुनिया के साधु-संत मखौड़ा से ही शुरू करते हैं. पुरातन काल से मख धाम से 84 कोसी परिक्रमा चैत्र माह की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर पूर्ण होने पश्चात यहीं समाप्त होती है. मान्यता है कि अयोध्या से मखौड़ा, रामजानकी मार्ग होते हुए रामरेखा चकोही बाग से पुन: अयोध्या तक फैले 84 कोस अवध प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से बैषाख जानकी नवमी तक सभी देवों का वास होता है और उनकी परिक्रमा कर भक्त जन्म जन्मान्तर के बंधन से मुक्त हो जाते हैं.

मान्यता यह भी है कि जब राजा दशरथ यज्ञ करने आये तो उस समय यज्ञ भूमि मखौड़ा के आसपास कोई पवित्र नदी न होना भी एक संकट था, जिसके लिए ऋषि उद्धालक की मदद ली गई. सरयू से उत्तर पश्चिम दिशा में टिकरीवन प्रदेश मे तप कर रहे ऋषि उद्घालक ने अपने नख से एक रेखा खींच कर गंगा का आह्वान किया तो वह मनोरमा के रूप मे प्रकट हुईं. जिसकी पवित्र धारा मखौड़ा धाम से बहती हुई रामरेखा से होकर बस्ती जिले के लालगंज में सरयू में मिलती है.

अहिल्या को तारने वाले श्रीराम के जन्म का श्रेय रखने वाला मखौड़ा धाम आज भी पूरी तरह से विकसित नही हो पाया है. हालांकि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनोरम नदी की साफ सफाई और मखौड़ा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही है. वही हरैया विधायक अजय सिंह के प्रयास से यहां राम मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो चुका है.

मखौड़ा के प्रगति कार्य का निरीक्षण करने पहुंची डीएम माला श्रीवास्तव ने बताया कि जिला प्रशासन सरकार की मंशा के अनुरूप काम कराने का प्रयास कर रहा है. जिसकी लगातार मोनिटरिंग की जा रही है.

बाइट...पुजारी सुरेश दास जी
बाइट....राजेन्द्र नाथ तिवारी, साहित्यकार
बाइट....राम बहादुर पांडेय, श्रद्धालु
बाइट.....डीएम माला श्रीवास्तव

Conclusion:
Last Updated : Sep 30, 2019, 3:12 PM IST
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