ETV Bharat / bharat

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से है उम्मीद

कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कुछ देशों को बड़ी सफलता मिली है. कई देशों ने लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बनाई है. एंटीबॉडी एक तरह का प्रोटीन होता है. इसे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र बनाता है. यह शरीर के लिए हानिकारक कोशिकाओं से लड़ने में मदद करता है.

author img

By

Published : May 7, 2020, 5:17 PM IST

Updated : May 7, 2020, 6:10 PM IST

Lab grown antibodies
डिजाइन फोटो

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. इस महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने की होड़ में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं. पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स के मुताबिक कोरोना के खिलाफ इस जंग में लैब में बनाई गई एंटीबॉडी कारगर साबित हो सकती है.

लैब में बनी एंटीबॉडी को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के नाम से जाना जाता है. इसे एक कोशिका को क्लोन करके बनाया जाता है. इसी वजह से इनको विकसित करना और इनका इस्तेमाल करना आसान होता है.

यह एंटीबॉडी वायरस की सतह पर प्रोटीन पर हमला करती है. वायरस से फैली बीमारियों को खत्म करने में यह कारगर साबित हो सकती है.

इजराइल और नीदरलैंड में इसको लेकर कई शोध हो रहे हैं. इन देशों ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने वाली एंटीबॉडी विकसित कर ली है.

नीदरलैंड
वैज्ञानिकों ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को विकसित किया है, जो नए कोरोना वायरस को लैब में खत्म करने में सफल रही है. यह कोरोना वायरस को रोकने और उसके इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम है.

नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक प्रयोगात्मक एंटीबॉडी अकेले या अन्य दावाओं के साथ मिलकर कोविड-19 को रोकने या उसका इलाज करने में मदद कर सकती है. नीदरलैंड में यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के बेरेन्ड-जान बॉश और सहयोगियों ने शोध पत्र में लिखा कि इस पर अभी और शोध किया जाना है. इससे यह पता चलेगा कि प्रयोगात्मक एंटीबॉडी क्लिनिकल ट्रायल में कैसा काम करती है.

प्रयोगात्मक एंटीबॉडी को 47D11 नाम से जानी जाती है. यह कोरोना वायरस की सतह पर बने कील नुमा प्रटीन पर हमला करती है. वायरस इसी की मदद से मानव कोशिका में प्रवेश करता है.

यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय में हुए शोध में एंटीबॉडी ने कोविड-19 फैलाने वाले कोरोना वायरस और सार्स फैलाने वायरस को नष्ट किया है.

इजरायल
इजरायल के रक्षामंत्री नैफताली बेन्नेट ने कहा कि इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) ने कोरोना वायरस की एंटीबॉडी विकसित करने में सफलता हासिल की है.

उन्होंने बताया कि इजराइल ने जो एंटीबॉडी बनाई है, वह कोरोना वायरस को होस्ट के भीतर ही खत्म कर सकती है. कोरोना वायरस वैक्‍सीन के व‍िकास का चरण अ‍ब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्‍यापक पैमाने पर उत्‍पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं.

इटली
इजराइल की घोषणा के एक दिन बाद इटली ने भी दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना ली है. रिपोर्ट के मुताबिक इससे जुड़ा शोध रोम स्थित Spallanzani अस्पताल में चल रहा है. शोधकर्ता चूहों में एंटीबॉडी विकसित करने में सफल रहे हैं. यह एंटीबॉडी मानव कोशिकाओं पर काम करती है.

पढ़ें-इजरायल के रक्षा मंत्री का दावा, हमने बना ली है कोरोना की एंटीबॉडी

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है. इस महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने की होड़ में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं. पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स के मुताबिक कोरोना के खिलाफ इस जंग में लैब में बनाई गई एंटीबॉडी कारगर साबित हो सकती है.

लैब में बनी एंटीबॉडी को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के नाम से जाना जाता है. इसे एक कोशिका को क्लोन करके बनाया जाता है. इसी वजह से इनको विकसित करना और इनका इस्तेमाल करना आसान होता है.

यह एंटीबॉडी वायरस की सतह पर प्रोटीन पर हमला करती है. वायरस से फैली बीमारियों को खत्म करने में यह कारगर साबित हो सकती है.

इजराइल और नीदरलैंड में इसको लेकर कई शोध हो रहे हैं. इन देशों ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने वाली एंटीबॉडी विकसित कर ली है.

नीदरलैंड
वैज्ञानिकों ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को विकसित किया है, जो नए कोरोना वायरस को लैब में खत्म करने में सफल रही है. यह कोरोना वायरस को रोकने और उसके इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम है.

नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक प्रयोगात्मक एंटीबॉडी अकेले या अन्य दावाओं के साथ मिलकर कोविड-19 को रोकने या उसका इलाज करने में मदद कर सकती है. नीदरलैंड में यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के बेरेन्ड-जान बॉश और सहयोगियों ने शोध पत्र में लिखा कि इस पर अभी और शोध किया जाना है. इससे यह पता चलेगा कि प्रयोगात्मक एंटीबॉडी क्लिनिकल ट्रायल में कैसा काम करती है.

प्रयोगात्मक एंटीबॉडी को 47D11 नाम से जानी जाती है. यह कोरोना वायरस की सतह पर बने कील नुमा प्रटीन पर हमला करती है. वायरस इसी की मदद से मानव कोशिका में प्रवेश करता है.

यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय में हुए शोध में एंटीबॉडी ने कोविड-19 फैलाने वाले कोरोना वायरस और सार्स फैलाने वायरस को नष्ट किया है.

इजरायल
इजरायल के रक्षामंत्री नैफताली बेन्नेट ने कहा कि इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) ने कोरोना वायरस की एंटीबॉडी विकसित करने में सफलता हासिल की है.

उन्होंने बताया कि इजराइल ने जो एंटीबॉडी बनाई है, वह कोरोना वायरस को होस्ट के भीतर ही खत्म कर सकती है. कोरोना वायरस वैक्‍सीन के व‍िकास का चरण अ‍ब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्‍यापक पैमाने पर उत्‍पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं.

इटली
इजराइल की घोषणा के एक दिन बाद इटली ने भी दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना ली है. रिपोर्ट के मुताबिक इससे जुड़ा शोध रोम स्थित Spallanzani अस्पताल में चल रहा है. शोधकर्ता चूहों में एंटीबॉडी विकसित करने में सफल रहे हैं. यह एंटीबॉडी मानव कोशिकाओं पर काम करती है.

पढ़ें-इजरायल के रक्षा मंत्री का दावा, हमने बना ली है कोरोना की एंटीबॉडी

Last Updated : May 7, 2020, 6:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.