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भारत बनाएगा ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 15 किलोमीटर लंबी सुरंग - brahmaputra tunnel

भारत सरकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रही है. ग्लोबल टेंडरिंग हेतु प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) में इस सुरंग को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यह फोर-लेन सुरंग भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण साबित होगी. पढ़िए, हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

ब्रह्मपुत्र सुरंग
ब्रह्मपुत्र सुरंग
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Published : Jul 23, 2020, 8:47 PM IST

Updated : Jul 24, 2020, 6:33 AM IST

नई दिल्ली : भारत सरकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रही है. यह फोर-लेन सुरंग 2028 तक शंघाई सहित लगभग पूरे चीन को भारत की रणनीतिक मिसाइलों की रेंज में प्रभावी ढंग से लाने में गेम-चेंजर साबित होगी. शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र है.

हालांकि, भारत ने चीन की चुनौती से निबटने के लिए उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर शक्तिशाली पारंपरिक और परमाणु-सक्षम मिसाइल सिस्टम्स तैनात किए हैं. इन्हें अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित करने से भारत लगभग पूरे चीन को अपनी मिसाइलों की रेंज में लाने में सक्षम हो जाएगा.

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में ऐसी मिसाइल प्रणालियों की तैनाती बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी. इससे मिसाइलों को दुष्मनों की नजर से छिपाया भी जा सकेगा.

लेकिन इसके लिए, मिसाइल प्रणालियों के संचालन में आसान गतिशीलता और आवरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. इस स्थिति में ब्रह्मपुत्र नदी सुरंग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है.

नियोजित सुरंग नदी के दक्षिणी तट में नुमालीगढ़ को उत्तर में गोहपुर से जोड़ेगी, जहां से अरुणाचल करीब है.

मिसाइल प्रणाली के संचालन के साथ, यह सुरंग प्रतिकूल परिस्थितियों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) या चीन से लगती सीमा पर भारी तोपखाने सहित पुरुषों और युद्ध उपकरणों के परिवहन में कारगर साबित होगी.

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के पास असम में सैन्य अड्डे हैं, जहां पर परमाणु-सक्षम अग्नि 2, अग्नि 3 और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियों को स्थापित किया गया है.

मध्यम मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2, 35,00 किमी तक की रेंच में आने वाले लक्ष्य को टारगेट कर सकती है, जबकि अग्नि 3, 5,000 किमी तक लक्ष्य को भेद सकती है.

वहीं, ब्रह्मोस 300 किमी रेंज वाली एक क्रूज मिसाइल है. सभी मिसाइलों को सड़क और रेल सहित विभिन्न प्रकार के गतिशील मंचों से लॉन्च किया जा सकता है.

चीन ने कम से कम 104 परमाणु सक्षम मिसाइलों को तैनात किया है, जो भारत के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकती हैं.

चीनी सेना की स्ट्रटेजिक रॉकेट फोर्स (PLASRF) द्वारा भारत के खिलाफ दो मुख्य परमाणु सक्षम मिसाइलों को तैनात किए गए हैं, जिसमें डोंग-फेंग (DF) 21 और डोंग-फेंग 31 शामिल हैं.

DF 21 की रेंज लगभग 2,000 किमी है, जबकि DF 31 के दो संस्करण हैं- DF 31 की रेंज 7,000 किमी है और DF 31A की रेंज 11,000 किमी तक है.

भारत केंद्रित मिसाइल DF 21 के लिए झिंजियांग प्रांत के कोरला में सैन्य अड्डा (बेस 56) और युन्नान प्रांत के तहत जियानशुई में सैन्य अड्डा (बेस 53) बनाया गया है. दूसरी ओर, डीएफ 21 और डीएफ 31 चिंगहई प्रांत के Liuqingkou में (बेस 56) तैनात हैं.

भारत सरकार ने हाल ही में सुरंग परियोजना के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. सुरंग के लिए ग्लोबल टेंडरिंग का प्रस्ताव (RFP) 15 अक्टूबर, 2019 को पूरा हुआ था और इसका निर्माण कार्य पूरा होने की अंतिम समय सीमा 2028 रखी गई थी.

पिछले साल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग परियोजना पर संसदीय पैनल के समक्ष पावर-पॉइंट प्रस्तुति दी थी.

पहाड़ी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश, जो तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के साथ 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य है. हालांकि, चीन इस पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा करता है और इसे 'दक्षिणी तिब्बत' बताता है.

अपने विशाल आकार और उग्र बाढ़ के लिए मशहूर ब्रह्मपुत्र नदी पर पहले से ही छह पुल हैं, जो दक्षिणी असम को उत्तरी असम से जोड़ते हैं. लेकिन चीन के साथ युद्ध की परिस्थिति में इन पुलों को सबसे पहले लक्षित किया जा सकता है.

नई दिल्ली : भारत सरकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे 15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रही है. यह फोर-लेन सुरंग 2028 तक शंघाई सहित लगभग पूरे चीन को भारत की रणनीतिक मिसाइलों की रेंज में प्रभावी ढंग से लाने में गेम-चेंजर साबित होगी. शंघाई चीन का सबसे बड़ा शहर और वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र है.

हालांकि, भारत ने चीन की चुनौती से निबटने के लिए उत्तर-पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर शक्तिशाली पारंपरिक और परमाणु-सक्षम मिसाइल सिस्टम्स तैनात किए हैं. इन्हें अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित करने से भारत लगभग पूरे चीन को अपनी मिसाइलों की रेंज में लाने में सक्षम हो जाएगा.

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में ऐसी मिसाइल प्रणालियों की तैनाती बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी. इससे मिसाइलों को दुष्मनों की नजर से छिपाया भी जा सकेगा.

लेकिन इसके लिए, मिसाइल प्रणालियों के संचालन में आसान गतिशीलता और आवरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. इस स्थिति में ब्रह्मपुत्र नदी सुरंग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती है.

नियोजित सुरंग नदी के दक्षिणी तट में नुमालीगढ़ को उत्तर में गोहपुर से जोड़ेगी, जहां से अरुणाचल करीब है.

मिसाइल प्रणाली के संचालन के साथ, यह सुरंग प्रतिकूल परिस्थितियों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) या चीन से लगती सीमा पर भारी तोपखाने सहित पुरुषों और युद्ध उपकरणों के परिवहन में कारगर साबित होगी.

सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के पास असम में सैन्य अड्डे हैं, जहां पर परमाणु-सक्षम अग्नि 2, अग्नि 3 और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियों को स्थापित किया गया है.

मध्यम मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-2, 35,00 किमी तक की रेंच में आने वाले लक्ष्य को टारगेट कर सकती है, जबकि अग्नि 3, 5,000 किमी तक लक्ष्य को भेद सकती है.

वहीं, ब्रह्मोस 300 किमी रेंज वाली एक क्रूज मिसाइल है. सभी मिसाइलों को सड़क और रेल सहित विभिन्न प्रकार के गतिशील मंचों से लॉन्च किया जा सकता है.

चीन ने कम से कम 104 परमाणु सक्षम मिसाइलों को तैनात किया है, जो भारत के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकती हैं.

चीनी सेना की स्ट्रटेजिक रॉकेट फोर्स (PLASRF) द्वारा भारत के खिलाफ दो मुख्य परमाणु सक्षम मिसाइलों को तैनात किए गए हैं, जिसमें डोंग-फेंग (DF) 21 और डोंग-फेंग 31 शामिल हैं.

DF 21 की रेंज लगभग 2,000 किमी है, जबकि DF 31 के दो संस्करण हैं- DF 31 की रेंज 7,000 किमी है और DF 31A की रेंज 11,000 किमी तक है.

भारत केंद्रित मिसाइल DF 21 के लिए झिंजियांग प्रांत के कोरला में सैन्य अड्डा (बेस 56) और युन्नान प्रांत के तहत जियानशुई में सैन्य अड्डा (बेस 53) बनाया गया है. दूसरी ओर, डीएफ 21 और डीएफ 31 चिंगहई प्रांत के Liuqingkou में (बेस 56) तैनात हैं.

भारत सरकार ने हाल ही में सुरंग परियोजना के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. सुरंग के लिए ग्लोबल टेंडरिंग का प्रस्ताव (RFP) 15 अक्टूबर, 2019 को पूरा हुआ था और इसका निर्माण कार्य पूरा होने की अंतिम समय सीमा 2028 रखी गई थी.

पिछले साल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग परियोजना पर संसदीय पैनल के समक्ष पावर-पॉइंट प्रस्तुति दी थी.

पहाड़ी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश, जो तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के साथ 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य है. हालांकि, चीन इस पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा करता है और इसे 'दक्षिणी तिब्बत' बताता है.

अपने विशाल आकार और उग्र बाढ़ के लिए मशहूर ब्रह्मपुत्र नदी पर पहले से ही छह पुल हैं, जो दक्षिणी असम को उत्तरी असम से जोड़ते हैं. लेकिन चीन के साथ युद्ध की परिस्थिति में इन पुलों को सबसे पहले लक्षित किया जा सकता है.

Last Updated : Jul 24, 2020, 6:33 AM IST
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