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प. बंगाल के सभी पूजा पंडाल नो-एंट्री जोन घोषित हों : कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक अहम आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किए जाएं.

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Published : Oct 19, 2020, 4:22 PM IST

Updated : Oct 19, 2020, 10:59 PM IST

Calcutta High Court
Calcutta High Court

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किए जाएं. गौरतलब है कि कोविड-19 के मद्देनजर इस बार विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों ने आगंतुकों के आगमन पर रोक लगाते हुए आभासी (virtual) 'दर्शन' का प्रबंध किया है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि कोविड-19 के प्रसार पर काबू के लिए राज्य भर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित किया जाए. बता दें कि पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना वायरस के 3.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं और इस बीमारी के कारण 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पीठ ने यह आदेश सौरव चटर्जी नामक एक व्यक्ति की जनहित याचिका पर दिया.

प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे हों

अदालत ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए. पीठ ने कहा कि बैरिकेडों पर प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे होने चाहिए.

अदालत ने यह भी कहा कि आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोगों को ही पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति होगी.

केरल में ओणम के बाद संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी. दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है. लेकिन विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने आशंका जताई थी कि इस उत्सव में लापरवाही से वायरस का प्रकोप बढ़ सकता है.

सख्ती से लागू हों दिशानिर्देश

महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने भीड़ पर नियंत्रण के लिए पश्चिम बंगाल और कोलकाता पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से तैयार योजना अदालत के समक्ष पेश किया. पीठ ने आदेश दिया कि योजना में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए.

अदालत ने कोलकाता तथा अन्य स्थानों पर प्रमुख बाजारों और मॉलों में एकत्र होने वाली बड़ी भीड़ तथा सामाजिक सुरक्षा की उपेक्षा पर चिंता जताई.

हालांकि, कई अन्य दुर्गा पूजा संघों का कहना है कि यह महोत्सव समावेशिता की भावना से ओतप्रोत है और आगंतुकों को पंडालों में आने से नहीं रोका जा सकता. उन्होंने भीड़ को संभालने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है.

ऑनलाइन माध्यमों से होंगे दर्शन

शहर के कम से कम दो बड़े पूजा आयोजकों संतोष मित्रा स्क्वायर और देबदारू फाटक ने घोषणा की है कि इस बार बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि लोग उनके यू-ट्यूब चैनलों के जरिए माता दुर्गा की मूर्ति की झलक पा सकते हैं और रस्में अदा कर सकते हैं.

संतोष मित्रा स्क्वायर के सचिव सजल घोष ने कहा, 'हर साल तंग गलियों से निकलकर लाखों लोग पूजा पंडाल पहुंचते हैं. इस बार इसकी अनुमति नहीं होगी. हमारे इलाके के लोग भी कोविड-19 की चपेट में आ सकते हैं. इसलिए हमने अपने पंडाल में आगंतुकों के आगमन पर अस्थायी पाबंदी लगा दी है.'

वहीं, संतोषपुर लेक पल्ली के सचिव सोमनाथ दास ने कहा, 'हमने आगुंतकों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई है. इसके अलावा पंडाल भी इस तरह लगाए गए हैं कि लोग पंडाल से लगी सड़क से मूर्ति की झलक पा सकें. घर से दर्शन करने वाले लोग हमारी वेबसाइट पर लॉग-इन कर दर्शन कर सकते हैं.'

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किए जाएं. गौरतलब है कि कोविड-19 के मद्देनजर इस बार विभिन्न दुर्गा पूजा समितियों ने आगंतुकों के आगमन पर रोक लगाते हुए आभासी (virtual) 'दर्शन' का प्रबंध किया है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि कोविड-19 के प्रसार पर काबू के लिए राज्य भर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित किया जाए. बता दें कि पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना वायरस के 3.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं और इस बीमारी के कारण 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पीठ ने यह आदेश सौरव चटर्जी नामक एक व्यक्ति की जनहित याचिका पर दिया.

प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे हों

अदालत ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए. पीठ ने कहा कि बैरिकेडों पर प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे होने चाहिए.

अदालत ने यह भी कहा कि आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोगों को ही पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति होगी.

केरल में ओणम के बाद संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी. दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है. लेकिन विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने आशंका जताई थी कि इस उत्सव में लापरवाही से वायरस का प्रकोप बढ़ सकता है.

सख्ती से लागू हों दिशानिर्देश

महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने भीड़ पर नियंत्रण के लिए पश्चिम बंगाल और कोलकाता पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से तैयार योजना अदालत के समक्ष पेश किया. पीठ ने आदेश दिया कि योजना में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए.

अदालत ने कोलकाता तथा अन्य स्थानों पर प्रमुख बाजारों और मॉलों में एकत्र होने वाली बड़ी भीड़ तथा सामाजिक सुरक्षा की उपेक्षा पर चिंता जताई.

हालांकि, कई अन्य दुर्गा पूजा संघों का कहना है कि यह महोत्सव समावेशिता की भावना से ओतप्रोत है और आगंतुकों को पंडालों में आने से नहीं रोका जा सकता. उन्होंने भीड़ को संभालने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है.

ऑनलाइन माध्यमों से होंगे दर्शन

शहर के कम से कम दो बड़े पूजा आयोजकों संतोष मित्रा स्क्वायर और देबदारू फाटक ने घोषणा की है कि इस बार बाहरी लोगों को आने की अनुमति नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि लोग उनके यू-ट्यूब चैनलों के जरिए माता दुर्गा की मूर्ति की झलक पा सकते हैं और रस्में अदा कर सकते हैं.

संतोष मित्रा स्क्वायर के सचिव सजल घोष ने कहा, 'हर साल तंग गलियों से निकलकर लाखों लोग पूजा पंडाल पहुंचते हैं. इस बार इसकी अनुमति नहीं होगी. हमारे इलाके के लोग भी कोविड-19 की चपेट में आ सकते हैं. इसलिए हमने अपने पंडाल में आगंतुकों के आगमन पर अस्थायी पाबंदी लगा दी है.'

वहीं, संतोषपुर लेक पल्ली के सचिव सोमनाथ दास ने कहा, 'हमने आगुंतकों के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई है. इसके अलावा पंडाल भी इस तरह लगाए गए हैं कि लोग पंडाल से लगी सड़क से मूर्ति की झलक पा सकें. घर से दर्शन करने वाले लोग हमारी वेबसाइट पर लॉग-इन कर दर्शन कर सकते हैं.'

Last Updated : Oct 19, 2020, 10:59 PM IST

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