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अच्छी राह : बंदूक से नहीं अब किताबों से बन रही बस्तर की पहचान - available for better education

अब बस्तर की पहचान बंदूक से नहीं, किताबों से होगी. जगदलपुर में प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है. यह पुस्तकालय बस्तर के मशहूर साहित्यकार स्व. लाला जगदलपुरी के नाम से स्थापित है. इसमें 40 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं. सबसे खास बात है कि यह लाइब्रेरी सप्ताह के सातों दिनों और 24 घंटे खुली रहती है.

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Published : Mar 6, 2021, 9:15 PM IST

जगदलपुर : छत्तीसगढ़ का बस्तर अब विकास की ओर अग्रसर है. लगातार बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में राज्य सरकारों की ओर से प्रयास किए जाते रहे हैं. नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर को काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है. लेकिन अब बस्तर बदल रहा है और विकास के नए आयाम भी गढ़ रहा है. अब बस्तर के युवा राष्ट्रीय खेलों में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी कामयाबी हासिल कर रहे हैं.

शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में प्रदेश का दूसरा बड़ा पुस्तकालय बनाया गया है. बस्तर के सर्वोच्च साहित्यकार स्वर्गीय लाला जगदलपुरी के नाम से बनाए गए इस लाइब्रेरी में 24 घंटे पढ़ाई की सुविधा जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराई है. हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस ग्रंथालय का शुभारंभ किया था. अब धीरे धीरे साहित्यकारों के साथ प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले युवा, स्कूली बच्चे महिलाएं, वरिष्ठ नागरिकों के साथ साथ नौकरी पेशा के लोग भी बड़ी संख्या में लाइब्रेरी पहुंचकर एक बेहतर माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

हर तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें हैं उपलब्ध.
हर तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें हैं उपलब्ध.

ऑफलाइन और ऑनलाइन किताबें उपलब्ध

स्मार्टफोन के जमाने में जहां युवा लाइब्रेरी से काफी दूरी बना चुके हैं, लेकिन बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में लाला जगदलपुरी जिला ग्रंथालय में युवा शिक्षा का बेहतर माहौल प्राप्त कर रहे हैं. उन्हें यहां शिक्षा से जुड़ी सभी पुस्तकें और सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं. इस ग्रंथालय की खास बात यह है कि यहां ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों की ही पढ़ाई की सुविधा युवाओं के लिए उपलब्ध कराई गई है. इसके अलावा 1931 से अब तक विशेष साहित्यकारों की लिखी गई पुस्तकों का भी संग्रहण इस लाइब्रेरी में पढ़ने को मिलता है.

बंदूक से नहीं, किताबों से होगी बस्तर की पहचान.

कौन थे लाला जगदलपुरी ?

लाला जगदलपुरी बस्तर के एक प्रसिद्ध लोक साहित्यकार थे. उन्होंने बस्तर के ग्रामीण शहरी और कला संस्कृति के अलावा आदिवासियों की परंपरा पर 50 से भी अधिक पुस्तके लिखी हैं जो पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश में भी मशहूर है. यही वजह है कि जिला प्रशासन ने इस जिला ग्रंथालय का नाम बस्तर के सभी साहित्यकारों के सहमति से लाला जगदलपुरी के नाम पर रखा है. इस लाइब्रेरी में लाला जगदलपुरी की लिखी गई सभी पुस्तकों का संग्रहण देखने को मिलता है.

40 हजार से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध

लाइब्रेरी के ई-लर्निंग इंचार्ज यशा हवली बताते हैं कि इस लाइब्रेरी 40 हजार से ज्यादा पुस्तके यहां मौजूद हैं. जिसमें साहित्यिक लाइब्रेरी अलग कॉलम है. जहां बस्तर के साहित्यकारों और दूसरे साहित्यकारों की लिखी किताबें देखने और पढ़ने को मिलती है. वहीं दूसरी तरफ कॉलेज प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले युवाओं के लिए सभी पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं. जिससे वे प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. करंट अफेयर्स से लेकर जितने भी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं. उन सभी सिलेबस के पुस्तकें ग्रंथालय में मौजूद हैं.

ग्रामीण क्षेत्र के युवा भी पहुंच रहे पुस्तकालय

ई-लर्निंग इंचार्ज यशाहवली ने बताया कि इस ग्रंथालय में आजीवन सदस्यता के लिए न्यूनतम शुल्क 1300 रुपये रखी गई है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के साथ-साथ नौकरी पेशा व्यक्ति, रिटायर्ड सिटीजन, व्यापारी, महिलाओं के साथ-साथ अन्य लोग भी मेंबरशिप ले सकते हैं. सभी के लिए एक बेहतर सुविधा केंद्र के रूप में यह ग्रंथालय जाना जा रहा है. वहीं गरीब युवाओं को इस न्यूनतम शुल्क के लिए किस्तों का भी प्रावधान रखा गया है. यही वजह है कि शहरी क्षेत्र के के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के भी युवा भी ग्रंथालय पहुंच शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

पढ़ाई के लिए एक बेहतर माहौल-कलेक्टर

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि बस्तर के बच्चों और युवाओं को बेहतर शिक्षा का माहौल देने के लिए ग्रंथालय को एक मॉडल के रूप में बनाया गया है. जहां 24 घंटे बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. बेहतर शिक्षकों के साथ साथ सर्व सुविधा युक्त होने की वजह से इस लाइब्रेरी में लगातार बच्चे अब पढ़ाई के लिए पहुंच रहे हैं. कलेक्टर ने कहा कि आने वाले समय में बस्तर के भी ज्यादा से ज्यादा युवा प्रतियोगी परीक्षा में भाग ले सके इसके लिए इस ग्रंथालय में करंट अफेयर्स से लेकर सभी तरह की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं.

पढ़ेंः लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सहायता से संबंधित शब्द हुए ज्यादा सर्च

जगदलपुर : छत्तीसगढ़ का बस्तर अब विकास की ओर अग्रसर है. लगातार बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में राज्य सरकारों की ओर से प्रयास किए जाते रहे हैं. नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर को काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है. लेकिन अब बस्तर बदल रहा है और विकास के नए आयाम भी गढ़ रहा है. अब बस्तर के युवा राष्ट्रीय खेलों में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी कामयाबी हासिल कर रहे हैं.

शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में प्रदेश का दूसरा बड़ा पुस्तकालय बनाया गया है. बस्तर के सर्वोच्च साहित्यकार स्वर्गीय लाला जगदलपुरी के नाम से बनाए गए इस लाइब्रेरी में 24 घंटे पढ़ाई की सुविधा जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराई है. हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस ग्रंथालय का शुभारंभ किया था. अब धीरे धीरे साहित्यकारों के साथ प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले युवा, स्कूली बच्चे महिलाएं, वरिष्ठ नागरिकों के साथ साथ नौकरी पेशा के लोग भी बड़ी संख्या में लाइब्रेरी पहुंचकर एक बेहतर माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

हर तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें हैं उपलब्ध.
हर तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें हैं उपलब्ध.

ऑफलाइन और ऑनलाइन किताबें उपलब्ध

स्मार्टफोन के जमाने में जहां युवा लाइब्रेरी से काफी दूरी बना चुके हैं, लेकिन बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में लाला जगदलपुरी जिला ग्रंथालय में युवा शिक्षा का बेहतर माहौल प्राप्त कर रहे हैं. उन्हें यहां शिक्षा से जुड़ी सभी पुस्तकें और सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं. इस ग्रंथालय की खास बात यह है कि यहां ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों की ही पढ़ाई की सुविधा युवाओं के लिए उपलब्ध कराई गई है. इसके अलावा 1931 से अब तक विशेष साहित्यकारों की लिखी गई पुस्तकों का भी संग्रहण इस लाइब्रेरी में पढ़ने को मिलता है.

बंदूक से नहीं, किताबों से होगी बस्तर की पहचान.

कौन थे लाला जगदलपुरी ?

लाला जगदलपुरी बस्तर के एक प्रसिद्ध लोक साहित्यकार थे. उन्होंने बस्तर के ग्रामीण शहरी और कला संस्कृति के अलावा आदिवासियों की परंपरा पर 50 से भी अधिक पुस्तके लिखी हैं जो पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश में भी मशहूर है. यही वजह है कि जिला प्रशासन ने इस जिला ग्रंथालय का नाम बस्तर के सभी साहित्यकारों के सहमति से लाला जगदलपुरी के नाम पर रखा है. इस लाइब्रेरी में लाला जगदलपुरी की लिखी गई सभी पुस्तकों का संग्रहण देखने को मिलता है.

40 हजार से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध

लाइब्रेरी के ई-लर्निंग इंचार्ज यशा हवली बताते हैं कि इस लाइब्रेरी 40 हजार से ज्यादा पुस्तके यहां मौजूद हैं. जिसमें साहित्यिक लाइब्रेरी अलग कॉलम है. जहां बस्तर के साहित्यकारों और दूसरे साहित्यकारों की लिखी किताबें देखने और पढ़ने को मिलती है. वहीं दूसरी तरफ कॉलेज प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले युवाओं के लिए सभी पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं. जिससे वे प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. करंट अफेयर्स से लेकर जितने भी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं. उन सभी सिलेबस के पुस्तकें ग्रंथालय में मौजूद हैं.

ग्रामीण क्षेत्र के युवा भी पहुंच रहे पुस्तकालय

ई-लर्निंग इंचार्ज यशाहवली ने बताया कि इस ग्रंथालय में आजीवन सदस्यता के लिए न्यूनतम शुल्क 1300 रुपये रखी गई है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के साथ-साथ नौकरी पेशा व्यक्ति, रिटायर्ड सिटीजन, व्यापारी, महिलाओं के साथ-साथ अन्य लोग भी मेंबरशिप ले सकते हैं. सभी के लिए एक बेहतर सुविधा केंद्र के रूप में यह ग्रंथालय जाना जा रहा है. वहीं गरीब युवाओं को इस न्यूनतम शुल्क के लिए किस्तों का भी प्रावधान रखा गया है. यही वजह है कि शहरी क्षेत्र के के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के भी युवा भी ग्रंथालय पहुंच शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

पढ़ाई के लिए एक बेहतर माहौल-कलेक्टर

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि बस्तर के बच्चों और युवाओं को बेहतर शिक्षा का माहौल देने के लिए ग्रंथालय को एक मॉडल के रूप में बनाया गया है. जहां 24 घंटे बच्चों के लिए पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. बेहतर शिक्षकों के साथ साथ सर्व सुविधा युक्त होने की वजह से इस लाइब्रेरी में लगातार बच्चे अब पढ़ाई के लिए पहुंच रहे हैं. कलेक्टर ने कहा कि आने वाले समय में बस्तर के भी ज्यादा से ज्यादा युवा प्रतियोगी परीक्षा में भाग ले सके इसके लिए इस ग्रंथालय में करंट अफेयर्स से लेकर सभी तरह की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं.

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