जगदलपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण मावली परघाव रस्म सोमवार देर रात पूरी की गई. दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली और छत्र को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर लाया गया. जिसका स्वागत बस्तर राज परिवार सहित हजारों लोगों ने किया.
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#WATCH Chhattisgarh: 'Mavli Parghav' ritual was organized in the Bastar district. (23.10) pic.twitter.com/PMDmGwEq9c
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) October 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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माता मावली की डोली पहुंची जगदलपुर: नवमी के दिन जगदलपुर दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण कुटरूबाढ़ा में मावली देवी की डोली पहुंची. जिसके बाद मां का स्वागत करने मावली परघाव रस्म शुरू किया गया. मावली देवी की डोली का स्वागत करने बस्तर राजपरिवार, राजगुरु और पुजारी के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि राजमहल से मंदिर प्रांगण पहुंचे. उनकी अगवानी और पूजा-अर्चना के बाद देवी की डोली को बस्तर राजा अपने कंधे पर उठाकर देवी दंतेश्वरी के मंदिर लेकर पहुंचे
मावली माता की छत्र और डोली लेकर आते हैं. इसे ही मावली परघाव कहते हैं. मां अगले मंगलवार तक जगदलपुर में रहेगी. मां की विदाई मंगलवार और शनिवार को ही होती है. इस बार सूर्य ग्रहण के कारण अगले मंगलवार को मां की विदाई की जाएगी. उसके बाद दशहरा का समापना होगा- जिया महाराज
600 साल पुरानी परंपरा को पूरा किया गया. दंतेवाड़ा से मावली माता और जिया आते हैं. जगदलपुर पहुंचने के बाद राजा मावली माता को लेकर जाते हैं. पाड जात्रा, डेरी गढ़ाई, काछन गादी, इसके बाद मावली परघाव की रस्म पूरी की जाती है. इसके बाद भीतर रैनी होगी. इसके बाद रथ को कुम्हरा कोना ले जाया जाएगा. मां की विदाई सूर्य ग्रहण के कारण अगले मंगलवार को मां की विदाई होगी. मांझी, फरसवाल
पंचमी के दिन बस्तर राजा मावली माता को देते है न्योता: विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व में मावली माता को बुलाने के लिए बस्तर के राजा दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वरी मंदिर पहुंचते हैं और मां को बस्तर दशहरा में शामिल होने का न्योता देते हैं. उसके बाद नवमी के दिन माता मावली की डोली और छत्र जगदलपुर पहुंचते हैं. यहां पहुंचने के बाद माता की डोली को पहले दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिया डेरा नामक एक मंदिर में रखा जाता है. शाम को पूरे जोश और आतिशबाजी के साथ बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव डोली की पूजा अर्चना करते हैं. हजारों लोग मंदिर के प्रांगण में मावली माता का स्वागत करते हैं. माता के जय जयकारों के साथ डोली का स्वागत किया जाता है.
इस रस्म का मुख्य सार जगदलपुर स्थित दंतेश्वरी देवी माता की तरफ से मावली माता को दशहरा पर्व के लिए जगदलपुर बुलाना होता है. सदियों से चली आ रही इस रस्म में माताओं के मिलन के बाद मुख्य दशहरा पर्व की रस्मों की शुरुआत होती है.