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Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया पर बन रहे 6 अद्भुत योग, ये उपाय बदल देंगे किस्मत!

इस अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2023) पर 6 अद्भुत योग बन रहे रहे हैं. ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री का कहना है कि इस दिन कये गये शुभ कार्यों का अक्षय फल मिलता है.

six auspicious yogs Akshaya Tritiya 2023 अक्षय तृतीया पर 6 अद्भुत योग अक्षय तृतीया पर बन रहे 6 अद्भुत योग
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Published : Apr 17, 2023, 12:04 PM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में पर्व और त्योहारों का विशेष महत्व माना जाता है और अपने पुण्य को अक्षय रखने वाले महापर्व अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है. दान पुण्य के साथ ही किसी नई वस्तु को खरीदने स्वर्ण आभूषण लाने और अपने जीवन को तरक्की की राह पर अग्रसर करने के लिए इस दिन किए गए कुछ उपाय पूरे वर्ष पर्यंत अच्छे नतीजे देते हैं. सही समय पर पूजा आराधना और श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान हर तरह की मुसीबतों से निजात दिलाता है.

इस बार 22 अप्रैल को पड़ रही अक्षय तृतीया तीन ऐसे अद्भुत योग के साथ आ रही है. जिनमें श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना आपके जीवन के उन तमाम कष्टों का निवारण करेगी. इस अक्षय तृतीया कौन से अद्भुत योग आपके जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं.

अक्षय तृतीया पर 6 अद्भुत योग के बारे में ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के बताया कि अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है.



पंडित दैवज्ञ की मानें तो भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था. इस दिन श्री बद्रीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं. वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं.

पंडित दैवज्ञ के अनुसार तृतीया 41 घटी 21 पल होती है तथा धर्म सिन्धु एवं निर्णय सिन्धु ग्रन्थ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए. पद्म पुराण के अनुसार इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए. इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया का पर्व अपने आप में बेहद पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन की गई पूजा आराधना और पुण्य हमेशा के लिए अक्षय यानी नष्ट ना होने वाले माने जाते हैं. इस बार तो अद्भुत योग के साथ पड़ रही अक्षय तृतीया पर धनधान्य स्मृति सुख में हो सब कुछ की प्राप्ति होने वाली है क्योंकि इस अक्षय तृतीया एक नहीं बल्कि 6 अद्भुत योग लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए अलग-अलग समय पर उपलब्ध रहेंगे. आइये जानके हैं कि कौन-कौन से योग बन रहे हैं और इनका लाभ कब मिल सकता है.

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2023) पर 6 अद्भुत योग:


1- त्रिपुष्कर योग: 22 अप्रैल, सुबह 05 बजकर 49 मिनट से सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक
2- आयुष्मान योग: प्रात:काल से सुबह 09 बजकर 26 मिनट तक
3- सौभाग्य योग: प्रात: 09:36 बजे से पूरी रात
4- रवि योग: रात 11:24 बजे से 23 अप्रैल को सुबह 05:48 बजे तक
5- सर्वार्थ सिद्धि योग: रात 11 बजकर 24 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक
6- अमृत सिद्धि योग: रात 11:24 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक.

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल को सुबह 07.49 से दोपहर 12.20 मिनट तक है. अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इस दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन 23 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक है.

पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री की मानें तो अक्षय तृतीया का मतलब ही सभी चीजों को अक्षय यानी सुरक्षित रखना माना जाता है. इसलिए इस दिन लोगों ने अपने घर पर स्वर्ण लेकर आने की परंपरा की शुरुआत की है. स्वर्ण वैभव का प्रतीक माना जाता है और लोग इसीलिए स्वर्ण को खरीदते भी हैं, ताकि उनका वैभव अक्षय रहें और हमेशा घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहे, लेकिन इस दिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं. जिन्हें नहीं खरीदना चाहिए जैसे लोहे का कोई सामान कभी भी घर लेकर नहीं आना चाहिए. इस दिन शीशा बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए.

अस्वीकरण- ये लेख आध्यात्मिक मान्यताओं और ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के कथन पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.

ये भी पढ़ें- एफआईआर में एक नया खुलासा, अतीक पाकिस्तान से मंगवाता था आरडीएक्स

वाराणसी: सनातन धर्म में पर्व और त्योहारों का विशेष महत्व माना जाता है और अपने पुण्य को अक्षय रखने वाले महापर्व अक्षय तृतीया का विशेष महत्व होता है. दान पुण्य के साथ ही किसी नई वस्तु को खरीदने स्वर्ण आभूषण लाने और अपने जीवन को तरक्की की राह पर अग्रसर करने के लिए इस दिन किए गए कुछ उपाय पूरे वर्ष पर्यंत अच्छे नतीजे देते हैं. सही समय पर पूजा आराधना और श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान हर तरह की मुसीबतों से निजात दिलाता है.

इस बार 22 अप्रैल को पड़ रही अक्षय तृतीया तीन ऐसे अद्भुत योग के साथ आ रही है. जिनमें श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना आपके जीवन के उन तमाम कष्टों का निवारण करेगी. इस अक्षय तृतीया कौन से अद्भुत योग आपके जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं.

अक्षय तृतीया पर 6 अद्भुत योग के बारे में ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के बताया कि अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है.



पंडित दैवज्ञ की मानें तो भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है. सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था. ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था. इस दिन श्री बद्रीनाथ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं. प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं. वृन्दावन स्थित श्री बाँके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं.

पंडित दैवज्ञ के अनुसार तृतीया 41 घटी 21 पल होती है तथा धर्म सिन्धु एवं निर्णय सिन्धु ग्रन्थ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए. पद्म पुराण के अनुसार इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए. इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया का पर्व अपने आप में बेहद पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन की गई पूजा आराधना और पुण्य हमेशा के लिए अक्षय यानी नष्ट ना होने वाले माने जाते हैं. इस बार तो अद्भुत योग के साथ पड़ रही अक्षय तृतीया पर धनधान्य स्मृति सुख में हो सब कुछ की प्राप्ति होने वाली है क्योंकि इस अक्षय तृतीया एक नहीं बल्कि 6 अद्भुत योग लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए अलग-अलग समय पर उपलब्ध रहेंगे. आइये जानके हैं कि कौन-कौन से योग बन रहे हैं और इनका लाभ कब मिल सकता है.

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2023) पर 6 अद्भुत योग:


1- त्रिपुष्कर योग: 22 अप्रैल, सुबह 05 बजकर 49 मिनट से सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक
2- आयुष्मान योग: प्रात:काल से सुबह 09 बजकर 26 मिनट तक
3- सौभाग्य योग: प्रात: 09:36 बजे से पूरी रात
4- रवि योग: रात 11:24 बजे से 23 अप्रैल को सुबह 05:48 बजे तक
5- सर्वार्थ सिद्धि योग: रात 11 बजकर 24 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक
6- अमृत सिद्धि योग: रात 11:24 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक.

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अप्रैल को सुबह 07.49 से दोपहर 12.20 मिनट तक है. अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इस दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन 23 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक है.

पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री की मानें तो अक्षय तृतीया का मतलब ही सभी चीजों को अक्षय यानी सुरक्षित रखना माना जाता है. इसलिए इस दिन लोगों ने अपने घर पर स्वर्ण लेकर आने की परंपरा की शुरुआत की है. स्वर्ण वैभव का प्रतीक माना जाता है और लोग इसीलिए स्वर्ण को खरीदते भी हैं, ताकि उनका वैभव अक्षय रहें और हमेशा घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहे, लेकिन इस दिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं. जिन्हें नहीं खरीदना चाहिए जैसे लोहे का कोई सामान कभी भी घर लेकर नहीं आना चाहिए. इस दिन शीशा बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए.

अस्वीकरण- ये लेख आध्यात्मिक मान्यताओं और ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के कथन पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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