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Caste Based Census : राहुल गांधी ने कहा- देश के जाति के आंकड़े जानना जरूरी

बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए हैं. इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बयान सामने आया है.राहुल गांधी ने कहा कि देश के जाति के आंकड़े जानना जरूरी है.

former Congress president Rahul Gandhi
राहुल गांधी
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By IANS

Published : Oct 2, 2023, 6:11 PM IST

नई दिल्ली : बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना जारी करने के कुछ घंटे बाद, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को एक बार फिर अपनी मांग दोहराई कि जितनी अधिक जनसंख्या, उतने अधिक अधिकार.

उन्होंने कहा कि जनगणना से पता चला है कि राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसटी) 84 फीसदी हैं और इसलिए भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है.

  • बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं।

    केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं!

    इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ - ये हमारा प्रण है।

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, 'बिहार की जाति जनगणना से पता चला है कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), एससी और एसटी वहां 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं, जो भारत के बजट का महज पांच प्रतिशत संभालते हैं.'

केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद ने कहा, 'इसलिए, भारत के जाति आँकड़ों को जानना महत्वपूर्ण है. जितनी अधिक जनसंख्या, उतने अधिक अधिकार - यह हमारी प्रतिज्ञा है.' उनकी यह टिप्पणी महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर बिहार सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वेक्षण जारी करने के बाद आई है.

यहां तक कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में उसके द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए हैं.'

रमेश ने कहा,'पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक तथा अन्य राज्यों में पूर्व में इसी तरह के सर्वेक्षणों का उल्‍लेख करते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए.'

उन्होंने कहा कि 'वास्तव में यूपीए-2 सरकार ने इस जनगणना को पूरा कर लिया था लेकिन इसके नतीजे मोदी सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं किए गए. सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए मजबूत आधार प्रदान करने और सामाजिक न्याय को गहरा करने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है.'

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियाँ 1.68 प्रतिशत हैं, जबकि ऊँची जातियाँ 15.52 प्रतिशत हैं. पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत है जबकि कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 प्रतिशत और 2.87 प्रतिशत हैं. जाति आधारित सर्वेक्षण पिछले साल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था और सभी राजनीतिक दलों ने इस पर सहमति दी थी.

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उन्होंने कहा कि जनगणना से पता चला है कि राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एसटी) 84 फीसदी हैं और इसलिए भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है.

  • बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं।

    केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं!

    इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ - ये हमारा प्रण है।

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, 'बिहार की जाति जनगणना से पता चला है कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), एससी और एसटी वहां 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी हैं, जो भारत के बजट का महज पांच प्रतिशत संभालते हैं.'

केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद ने कहा, 'इसलिए, भारत के जाति आँकड़ों को जानना महत्वपूर्ण है. जितनी अधिक जनसंख्या, उतने अधिक अधिकार - यह हमारी प्रतिज्ञा है.' उनकी यह टिप्पणी महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर बिहार सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वेक्षण जारी करने के बाद आई है.

यहां तक कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में उसके द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए हैं.'

रमेश ने कहा,'पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक तथा अन्य राज्यों में पूर्व में इसी तरह के सर्वेक्षणों का उल्‍लेख करते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए.'

उन्होंने कहा कि 'वास्तव में यूपीए-2 सरकार ने इस जनगणना को पूरा कर लिया था लेकिन इसके नतीजे मोदी सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं किए गए. सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए मजबूत आधार प्रदान करने और सामाजिक न्याय को गहरा करने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है.'

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियाँ 1.68 प्रतिशत हैं, जबकि ऊँची जातियाँ 15.52 प्रतिशत हैं. पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत है जबकि कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 प्रतिशत और 2.87 प्रतिशत हैं. जाति आधारित सर्वेक्षण पिछले साल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था और सभी राजनीतिक दलों ने इस पर सहमति दी थी.

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