बगहा: आज टाइगर डे है. इसकी की शुरुआत 2010 में की गई थी. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है. टाइगर सेंसस के बाद गत वर्ष VTR को देशभर के शीर्ष 5वें स्थान का गौरव प्राप्त हुआ और पीएम मोदी ने भी सम्मानित किया. हालांकि, उस वक्त यहां बाघों की संख्या 30 से 35 के करीब थी, लेकिन आज यहां बाघों की तादाद में निरंतर बढ़ोतरी के बाद अब यह आंकड़ा 50 के करीब जा पहुंचा है.
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2008 में थे सिर्फ 8 बाघ : वैसे तो साल 2008 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में महज 8 बाघ थे. उसके बाद बाघों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर देने के कारण अब उनकी संभावित संख्या 50 के पार होने का अनुमान है. हालांकि आधिकारिक तौर पर इनकी संख्या 47 बताई जा रही है, जिसमें शावक शामिल नहीं हैं. दरअसल 'वर्ल्ड टाइगर डे’ की शुरुआत को लेकर साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें 13 देशों ने हिस्सा लिया, जिसमें 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था.
"बाघों के संरक्षण को लेकर काफी काम किए जा रहे हैं, यहीं वजह है की वीटीआर अच्छे रैंकिंग में आया है, बाघों की संख्या तकरीबन 50 तक पहुंची है. बाघों को बचाना जरूरी है क्योंकि बाघ हैं तो आप हैं. बाघ इको सिस्टम को गवर्न करते हैं जिससे पर्यावरण का संतुलन बरकरार रहता है" -अवधेश कुमार सिंह, वन क्षेत्र पदाधिकारी, वाल्मीकिनगर VTR
भारत में 3891 बाघ : केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी बाघों के संरक्षण को लेकर ख़ास तौर पर इस ओर ध्यान दे रही है. वहीं, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम की ओर से जारी 2016 के आंकड़ों में बताया गया कि पूरी दुनिया में तकरीबन 6000 ही बाघ बचे हैं. इनमें से 3891 बाघ इंडिया में मौजूद हैं. बताया जा रहा है कि दुनियाभर में बाघों के कई किस्म की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से 6 प्रजातियां प्रमुख हैं. इनमें साइबेरियन बाघ, रॉयल बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं.
1973 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट टाइगर : देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) शुरू किया गया. उस समय देश में मात्र 8 अभयारण्य थे. वर्तमान में इनकी संख्या 53 हो चुकी है. इन्ही अभयारण्य में यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी शामिल है. यहां रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं. पड़ोसी देश नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटे नारायणी गण्डक नदी तट पर करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैले VTR का इलाका इंडो नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर से बेतिया तक है. इसे दो डिवीजन और 8 वन क्षेत्र में बांटा गया है.
बाघों की सुरक्षा जरूरी : WTI व WWF के साथ वन विभाग की ओर से बेंत के घने सदाबहार जंगलों के साथ-साथ ग्रास लैंड को विकसित किये जाने के बाद यहां बाघों के अधिवास बेहतर किये गए हैं. दूसरी तरफ हाल के दिनों में बाघों के शिकार पर रोक को लेकर SSB के साथ जिला पुलिस प्रशासन के अलावा खुद वन विभाग की पैनी नजर है. दूसरी ओर घने जंगलों के बीच सैकड़ों कैमरा ट्रेप लगाए गए हैं. इससे इनकी गणना और सुरक्षा में मदद मिल रही है. हालांकि तस्करों और शिकारियों की टेढ़ी नजर से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके बावजूद संसाधनों के बीच संवर्धन को लेकर खासतौर पर कदम उठाये गए हैं.
बाघ बचाने की अपील : बाघों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. स्कूली छात्रों के साथ साथ जनसहभागिता की कवायद तेज है. खासतौर पर गन्ना किसानों से सहयोग को लेकर इको विकास समिति का गठन किया गया है और तो और यहां आने वाले सैलानियों से भी बाघों को बचाने की अपील की जा रही है. तभी तो स्लोगन दिया गया है ''मुझे फंदे से बचाओ ... जियो और जीने दो...क्योंकि बाघ हैं तो आप हैं..''
"बाघों के संरक्षण को लेकर ग्लोबल टाइगर्स डे मनाया जा रहा है. हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती इन बाघों को शिकारियों के फंदे से बचाना है. जिस पर वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही है" - सुब्रत बहेरा, एक्सपर्ट व ऑफिसर WTI