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बेतिया: रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों से ग्रामीणों को हो रहा नुकसान, कई फसल बर्बाद - wild animals harming Villagers

बेतिया में रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों से ग्रामीणों को नुकसान हो रहा है. ग्रामीणों की फसलों के अलावा उनके पालतू पशुओं का नुकसान लगातार जारी है.

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बेतिया
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Published : Oct 1, 2020, 6:35 PM IST

बेतिया (वाल्मीकिनगर): वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. टाइगर रिजर्व क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कई तरफ से रिहायशी क्षेत्रों से सटा हुआ है. इस कारण रिहायशी क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की फसल और उनके पालतू पशुओं समेत उनके ऊपर भी खेती किसानी करते समय आए दिन वन्यजीवों के हमले आम बात हो गए हैं.

पालतू पशुओं की मौत
इससें वन क्षेत्र के पास रहने वाले रिहायशी क्षेत्रों के ग्रामीण आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं. वन विभाग को प्रतिवर्ष लाखों रुपये का मुआवजा फसल क्षति और पालतू पशुओं की मौत के अलावा ग्रामीणों पर हुए वन्यजीवों के हमले के एवज में चुकानी पड़ती है. लेकिन वन प्रशासन प्रतिवर्ष लाखों रुपये के हो रहे नुकसान के प्रति बिल्कुल चिंतित प्रतीत नहीं होता है.

रिहायशी क्षेत्रों में विचरण
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल का मदनपुर, गोनौली, वाल्मीकि नगर, हर्नाटांड़, चिउटांहां, मंगुराहां आदि क्षेत्र रिहायशी क्षेत्रों से सटा होने के कारण आए दिन वन क्षेत्र से भटक कर शाकाहारी और मांसाहारी प्रवृत्ति के वन्य जीव रिहायशी क्षेत्रों में विचरण करते हैं. जिससे ग्रामीणों की फसलों के अलावा उनके पालतू पशुओं का नुकसान लगातार जारी है. जिससे ग्रामीण त्राहिमाम की स्थिति में पहुंच चुके हैं.

वन्यजीवों को नुकसान
वन क्षेत्र और रिहायशी क्षेत्रों के सटे होने के कारण रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण से परेशान ग्रामीण और शरारती तत्व यदा-कदा कीटनाशकों का प्रयोग कर वन्यजीवों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. हालांकि उनकी मंशा अपने फसलों को सुरक्षित करने की होती है. लेकिन कीटनाशक के प्रभाव के कारण वन्य जीवों को भी नुकसान पहुंचता है.

रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण के प्रवृत्ति को देखते हुए शरारती और अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों इनका शिकार भी करते हैं. जिसके मामले भी वन विभाग में दर्ज होते रहते हैं.

वार्केटिंग की करें व्यवस्था
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रशासन अगर रिहायशी क्षेत्रों के नजदीक वार्केटिंग की व्यवस्था कर दें. जैसा मदनपुर वन क्षेत्र में पनियहवा वाल्मीकि नगर रोड रेलवे लाइन पर ट्रेन की चपेट में आने से कई जानवरों के हुए मौत मामले को गंभीरता से लेते हुए वन प्रशासन ने रेलवे लाइन के नजदीक वार्केटिंग की व्यवस्था की है. जिससे वन्यजीवों के ट्रेन से हो रहे नुकसान को रोका जा सके.

नुकसान से मिलेगी राहत
इसी तर्ज पर रिहायशी क्षेत्रों के नजदीक अगर वन प्रशासन वार्केटिंग की व्यवस्था करता है तो, रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण का सिलसिला रुक जाएगा. ग्रामीणों की फसल और उनके पालतू पशुओं पर हो रहे वन्यजीवों के हमले पर विराम लगेगा. जिससे वन प्रशासन को प्रतिवर्ष मुआवजे के रूप में दी जाने वाली रकम के नुकसान से भी राहत मिलेगी.

ग्रास लैंड का निर्माण
वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि शाकाहारी जानवरों के बाहरी क्षेत्रों में विचरण को रोकने के लिए वन प्रशासन सभी वन क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर ग्रास लैंड का निर्माण करा रहा है. जिससे शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों के विचरण पर विराम लगेगी.

सोलर फेंसिंग लगाने की योजना
मांगुराहा वन क्षेत्र में नेपाली हाथियों का प्रवेश हमेशा होता रहता है. जिससे ग्रामीणों के फसलों का नुकसान होता है. उसे रोकने के लिए वन प्रशासन सोलर फेंसिंग लगाने की योजना पर काम कर रहा है. वन प्रशासन वन संपदा और वन्यजीवों की सुरक्षा को अपनी पहली प्राथमिकता मानता है. इसके लिए आवश्यक सभी कदमों को उठाया जाएगा.

बेतिया (वाल्मीकिनगर): वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. टाइगर रिजर्व क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कई तरफ से रिहायशी क्षेत्रों से सटा हुआ है. इस कारण रिहायशी क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की फसल और उनके पालतू पशुओं समेत उनके ऊपर भी खेती किसानी करते समय आए दिन वन्यजीवों के हमले आम बात हो गए हैं.

पालतू पशुओं की मौत
इससें वन क्षेत्र के पास रहने वाले रिहायशी क्षेत्रों के ग्रामीण आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं. वन विभाग को प्रतिवर्ष लाखों रुपये का मुआवजा फसल क्षति और पालतू पशुओं की मौत के अलावा ग्रामीणों पर हुए वन्यजीवों के हमले के एवज में चुकानी पड़ती है. लेकिन वन प्रशासन प्रतिवर्ष लाखों रुपये के हो रहे नुकसान के प्रति बिल्कुल चिंतित प्रतीत नहीं होता है.

रिहायशी क्षेत्रों में विचरण
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल का मदनपुर, गोनौली, वाल्मीकि नगर, हर्नाटांड़, चिउटांहां, मंगुराहां आदि क्षेत्र रिहायशी क्षेत्रों से सटा होने के कारण आए दिन वन क्षेत्र से भटक कर शाकाहारी और मांसाहारी प्रवृत्ति के वन्य जीव रिहायशी क्षेत्रों में विचरण करते हैं. जिससे ग्रामीणों की फसलों के अलावा उनके पालतू पशुओं का नुकसान लगातार जारी है. जिससे ग्रामीण त्राहिमाम की स्थिति में पहुंच चुके हैं.

वन्यजीवों को नुकसान
वन क्षेत्र और रिहायशी क्षेत्रों के सटे होने के कारण रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण से परेशान ग्रामीण और शरारती तत्व यदा-कदा कीटनाशकों का प्रयोग कर वन्यजीवों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. हालांकि उनकी मंशा अपने फसलों को सुरक्षित करने की होती है. लेकिन कीटनाशक के प्रभाव के कारण वन्य जीवों को भी नुकसान पहुंचता है.

रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण के प्रवृत्ति को देखते हुए शरारती और अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों इनका शिकार भी करते हैं. जिसके मामले भी वन विभाग में दर्ज होते रहते हैं.

वार्केटिंग की करें व्यवस्था
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रशासन अगर रिहायशी क्षेत्रों के नजदीक वार्केटिंग की व्यवस्था कर दें. जैसा मदनपुर वन क्षेत्र में पनियहवा वाल्मीकि नगर रोड रेलवे लाइन पर ट्रेन की चपेट में आने से कई जानवरों के हुए मौत मामले को गंभीरता से लेते हुए वन प्रशासन ने रेलवे लाइन के नजदीक वार्केटिंग की व्यवस्था की है. जिससे वन्यजीवों के ट्रेन से हो रहे नुकसान को रोका जा सके.

नुकसान से मिलेगी राहत
इसी तर्ज पर रिहायशी क्षेत्रों के नजदीक अगर वन प्रशासन वार्केटिंग की व्यवस्था करता है तो, रिहायशी क्षेत्रों में वन्यजीवों के विचरण का सिलसिला रुक जाएगा. ग्रामीणों की फसल और उनके पालतू पशुओं पर हो रहे वन्यजीवों के हमले पर विराम लगेगा. जिससे वन प्रशासन को प्रतिवर्ष मुआवजे के रूप में दी जाने वाली रकम के नुकसान से भी राहत मिलेगी.

ग्रास लैंड का निर्माण
वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि शाकाहारी जानवरों के बाहरी क्षेत्रों में विचरण को रोकने के लिए वन प्रशासन सभी वन क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर ग्रास लैंड का निर्माण करा रहा है. जिससे शाकाहारी और मांसाहारी जानवरों के विचरण पर विराम लगेगी.

सोलर फेंसिंग लगाने की योजना
मांगुराहा वन क्षेत्र में नेपाली हाथियों का प्रवेश हमेशा होता रहता है. जिससे ग्रामीणों के फसलों का नुकसान होता है. उसे रोकने के लिए वन प्रशासन सोलर फेंसिंग लगाने की योजना पर काम कर रहा है. वन प्रशासन वन संपदा और वन्यजीवों की सुरक्षा को अपनी पहली प्राथमिकता मानता है. इसके लिए आवश्यक सभी कदमों को उठाया जाएगा.

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