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बगहा: पर्यटकों से गुलजार होने लगा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, लॉकडाउन में लगी थी पर्यटन पर रोक

वीटीआर में पश्चिमी बंगाल से आईं पर्यटक अल्फिया का कहना है कि कोरोना बीमारी को दूर करने के लिहाज से यह जगह काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि यहां पहले की अपेक्षा सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है.

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Published : Nov 22, 2020, 7:21 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 3:11 PM IST

बगहा: कोरोना गाइडलाइन में संशोधन के तहत पर्यटन की इजाजत मिलने के बाद सूबे के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का आना शुरू हो गया है. इंडो-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर में पर्यटक जंगल सफारी सहित अन्य धार्मिक स्थलों के घूमने का आनंद ले रहे हैं. बता दें कि कोरोना काल में लगे पाबंदी की वजह से पर्यटन पर रोक लगी थी जिससे पर्यटन क्षेत्र में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.

पर्यटकों से गुलजार होने लगा विटीआर
इंडो नेपाल सीमा स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली 8 महीने बाद एक बार फिर पर्यटकों से गुलजार होने लगा है. सूबे के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर अभ्यारण्य में बिहार और राज्य के बाहर के पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिससे वन और पर्यावरण विभाग सहित यहां संचालित हो रहे विभागीय कैंटीन के सदस्यों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की वजह से पर्यटन सत्र के शुरुआत से ही पर्यटन पर पाबंदी लगा दी गई थी जिस वजह से पर्यटकों का आना बंद हो गया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आर्थिक क्षति के दौर से गुजरा है पर्यटन
सूबे के एक मात्र व्याघ्र अभ्यारण्य वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ जंगली जानवरों के दीदार का मौका तो मिलता है. वाल्मीकि आश्रम और नर देवी सहित प्राचीन जटाशंकर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का भी दर्शन हो जाता है. इसके अलावा पर्यटक जंगल सफारी, झूला और बोटिंग से सैर कर काफी रोमांच का अनुभव करते हैं. पश्चिमी बंगाल से आईं पर्यटक अल्फिया का कहना है कि कोरोना बिमारी को दूर करने के लिहाज से यह जगह काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि यहां पहले की अपेक्षा सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. साथ ही व्यवस्थाएं भी सुदृढ हुई हैं. उन्होंने पर्यटकों से यहां आकर इसके खूबसूरती का आनंद लेने की भी अपील की.

आकर्षण का केंद्र है जंगल और पहाड़
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का यह इलाका यूपी और नेपाल की सीमा से सटा है. ऐसे में इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता में यहां मौजूद जल, जंगल और पहाड़ चार चांद लगा देते हैं. साल 2019 में यहां लाखों पर्यटक घुमने आये थे और विभाग को आर्थिक तौर पर फायदा भी हुआ था. यहां ठहरने के लिए सरकार ने काफी सस्ते दर पर बम्बू हट और अतिथि भवन बनवाए हैं. इन सब के अलावा एक वन भोज नाम से कैंटीन भी संचालित होता है जिसके संचालक शशिभूषण सहाय का मानना है कि अब पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिलेगा.

बगहा: कोरोना गाइडलाइन में संशोधन के तहत पर्यटन की इजाजत मिलने के बाद सूबे के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों का आना शुरू हो गया है. इंडो-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर में पर्यटक जंगल सफारी सहित अन्य धार्मिक स्थलों के घूमने का आनंद ले रहे हैं. बता दें कि कोरोना काल में लगे पाबंदी की वजह से पर्यटन पर रोक लगी थी जिससे पर्यटन क्षेत्र में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.

पर्यटकों से गुलजार होने लगा विटीआर
इंडो नेपाल सीमा स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली 8 महीने बाद एक बार फिर पर्यटकों से गुलजार होने लगा है. सूबे के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर अभ्यारण्य में बिहार और राज्य के बाहर के पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिससे वन और पर्यावरण विभाग सहित यहां संचालित हो रहे विभागीय कैंटीन के सदस्यों के चेहरे पर रौनक लौट आई है. बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की वजह से पर्यटन सत्र के शुरुआत से ही पर्यटन पर पाबंदी लगा दी गई थी जिस वजह से पर्यटकों का आना बंद हो गया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आर्थिक क्षति के दौर से गुजरा है पर्यटन
सूबे के एक मात्र व्याघ्र अभ्यारण्य वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ जंगली जानवरों के दीदार का मौका तो मिलता है. वाल्मीकि आश्रम और नर देवी सहित प्राचीन जटाशंकर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का भी दर्शन हो जाता है. इसके अलावा पर्यटक जंगल सफारी, झूला और बोटिंग से सैर कर काफी रोमांच का अनुभव करते हैं. पश्चिमी बंगाल से आईं पर्यटक अल्फिया का कहना है कि कोरोना बिमारी को दूर करने के लिहाज से यह जगह काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि यहां पहले की अपेक्षा सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. साथ ही व्यवस्थाएं भी सुदृढ हुई हैं. उन्होंने पर्यटकों से यहां आकर इसके खूबसूरती का आनंद लेने की भी अपील की.

आकर्षण का केंद्र है जंगल और पहाड़
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का यह इलाका यूपी और नेपाल की सीमा से सटा है. ऐसे में इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता में यहां मौजूद जल, जंगल और पहाड़ चार चांद लगा देते हैं. साल 2019 में यहां लाखों पर्यटक घुमने आये थे और विभाग को आर्थिक तौर पर फायदा भी हुआ था. यहां ठहरने के लिए सरकार ने काफी सस्ते दर पर बम्बू हट और अतिथि भवन बनवाए हैं. इन सब के अलावा एक वन भोज नाम से कैंटीन भी संचालित होता है जिसके संचालक शशिभूषण सहाय का मानना है कि अब पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिलेगा.

Last Updated : Dec 15, 2020, 3:11 PM IST
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