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बेतियाः प्रवासी श्रमिक बनेंगे आत्मनिर्भर, जिला प्रशासन सभी क्वॉरेंटाइन सेंटर पर दे रहा है प्रशिक्षण

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Published : May 23, 2020, 1:11 PM IST

कोरोना ने मजदूरों को ऐसा सबक दिया है, जिसे वो कभी भूल नहीं सकते. ऐसे में जीविका के जरिए स्वरोजगार का दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण इन मजदूरों की जिंदगी में एक नया सवेरा लेकर आया है.

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ट्रेनिंग लेते मजदूर

बेतियाः कोरोना महामारी को लेकर बड़े पैमाने पर पश्चिमी चंपारण में प्रवासी श्रमिक देश के कई प्रदेशों से पहुंचे हैं. जिन्हें करोनो से बचाव के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में कम से कम 14 दिनों तक रखा जा रहा है. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार और अत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन के जरिए विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. ताकि आने वाले समय में ये लोग अपने घर पर ही रह कर आत्मनिर्भर बनें.

जिले में बने 570 क्वारेंटाइन सेंटर
पश्चिमी चंपारण जिले में अब तक लगभग 44 हजार प्रवासी श्रमिक देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंच चुके हैं. जिन्हें 570 क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है. इन सेंटरों में रह रहे मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन सभी सेंटरों पर विशेष प्रशिक्षण दे रहा है.

Bettiah
ट्रेनिंग लेते मजदूर

मजदूरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रशासन के जरिए कामगारों को बकरी पालन, मुर्गी पालन, समेत सब्जी और खरीफ की खेती करने का गुण सिखाया जा रहा है. ताकि कोरोना के बाद फिर से ये मजदूर रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश में पलायन ना करें. घर पर ही रहकर अपना जीवनयापन कर सकें. जीविका के जरिए ये विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले के सभी सेंटरों पर चलाया जा रहा है. ताकि क्वॉरेंटाइन अवधि के दौरान कामगार स्वरोजगार का मूलमंत्र समझकर उस पर अमल करें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः श्रमिकों की स्थिति पर कुशवाहा ने सोनिया गांधी को दिया सुझाव, कहा- बढ़ाना होगा मनरेगा का रोजगार

मजदूरों की जिंदगी में आएगा नया सवेरा
दरअसल कोरोना महामारी में अगर सबसे ज्यादा दर्द और तकलीफ किसी को हुई है, तो वो हैं प्रवासी मजदूर. जिन्हें कोरोना महामारी के कारण दूसरे प्रदेश में सालों से बसा बसाया घर और काम धंधा छोड़कर अपने घर लौटना पड़ा. कोरोना ने मजदूरों को ऐसा सबक दिया है, जिसे वो कभी भूल नहीं सकते. ऐसे में जीविका के जरिए स्वरोजगार का सबक इन मजदूरों की जिंदगी में एक नया सवेरा लेकर आया है.

बेतियाः कोरोना महामारी को लेकर बड़े पैमाने पर पश्चिमी चंपारण में प्रवासी श्रमिक देश के कई प्रदेशों से पहुंचे हैं. जिन्हें करोनो से बचाव के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में कम से कम 14 दिनों तक रखा जा रहा है. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार और अत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन के जरिए विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. ताकि आने वाले समय में ये लोग अपने घर पर ही रह कर आत्मनिर्भर बनें.

जिले में बने 570 क्वारेंटाइन सेंटर
पश्चिमी चंपारण जिले में अब तक लगभग 44 हजार प्रवासी श्रमिक देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंच चुके हैं. जिन्हें 570 क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है. इन सेंटरों में रह रहे मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन सभी सेंटरों पर विशेष प्रशिक्षण दे रहा है.

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ट्रेनिंग लेते मजदूर

मजदूरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रशासन के जरिए कामगारों को बकरी पालन, मुर्गी पालन, समेत सब्जी और खरीफ की खेती करने का गुण सिखाया जा रहा है. ताकि कोरोना के बाद फिर से ये मजदूर रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश में पलायन ना करें. घर पर ही रहकर अपना जीवनयापन कर सकें. जीविका के जरिए ये विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले के सभी सेंटरों पर चलाया जा रहा है. ताकि क्वॉरेंटाइन अवधि के दौरान कामगार स्वरोजगार का मूलमंत्र समझकर उस पर अमल करें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः श्रमिकों की स्थिति पर कुशवाहा ने सोनिया गांधी को दिया सुझाव, कहा- बढ़ाना होगा मनरेगा का रोजगार

मजदूरों की जिंदगी में आएगा नया सवेरा
दरअसल कोरोना महामारी में अगर सबसे ज्यादा दर्द और तकलीफ किसी को हुई है, तो वो हैं प्रवासी मजदूर. जिन्हें कोरोना महामारी के कारण दूसरे प्रदेश में सालों से बसा बसाया घर और काम धंधा छोड़कर अपने घर लौटना पड़ा. कोरोना ने मजदूरों को ऐसा सबक दिया है, जिसे वो कभी भूल नहीं सकते. ऐसे में जीविका के जरिए स्वरोजगार का सबक इन मजदूरों की जिंदगी में एक नया सवेरा लेकर आया है.

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